आज 24 जनवरी 2020 को है मौनी अमावस्या
संगम नोज के पहले भूमिगत पाईपों से गंगा- यमुना में बहाया जा रहा है मेले का गन्दा पानी
प्रयागराज।
माघमेला संगम की रेती पर लगा है और 24 जनवरी को सबसे बड़ा स्नान पर्व मौनी अमावस्या है जिसमें प्रशासन के दावे के अनुसार फिलवक्त लगभग दो करोड़ सनातन श्रद्धालुओं का पुण्य स्नान चल रहा है लेकिन मेले में जल निगम की कृपा से पूरे मेले के गंदे पानी की संगम जल में मिलावट का खेल जारी है. जलनिगम ने मेले के गंदे जल का एकत्र करने के नाले बनाये हैं जिन्हें 6 डाया के पाईप से एक दूसरे से जोड़ कर संगम नोज के निकट और किला घाट के बगल में हाईकोर्ट शिविर के पहले अक्षयबट मार्ग से भूमिगत पाईप से यमुना नदी में मिला दिया गया है.जैसे ही नालों में पानी का जमाव बढ़ता है वैसे ही पाईपों के मुंह पर लगी बोरियों को हटाकर पानी सीधे नदी मवन भा दिया जा रहा है .इसप्रकार गंदे जल की मिलावट के बीच श्रद्धालुओं का पुण्य स्नान जारी है.
इस सम्बन्ध में आज कुछ श्रद्धालुओं ने माघ मेला अधिकारी को शिकायती पत्र देकर आरोप लगाया है की मेला क्षेत्र के नाले के गंदे पानी को भूमिगत पाईप लाइनों से सीधे यमुना और गंगा में जल निगम द्वारा भय जा रहा है .शिकायत में कहा गया है कि आज भोर में वे जब स्नान के लिए जा रहे थे तो उन्होंने अक्षयबट मार्गपर किला एवं हाईकोर्ट शिविर के बीच तथा इंटरलाकिंग रोड के ढलान में शौचालय के बगल में कुछ लोगों को काम करते देखा.उत्सुकतावश पूछने पर उन लोगों ने बताया की वे नालों में ओवरफ्लो गंदे पानी को बाहर निकाल रहे हैं .उनहोंने और पूछने पर बताया किबड़े नालों में जब पानी भर जाता है तो भोर में बोरिया हटाकर मोती भूमिगत पाईपों से पानी भा क्र गंगा यमुना में मिला दिया जाता है और फिर दिनभर बोरियां बांध कर रखा जाता है.शिकायती पत्र में इसकी जाँच कर दोषी अधिकारीयों को दंडित करने की मांग की गयी है जो करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था से खिलवाड़ कर रहे हैं.
पता करने पर मालूम हुआ कि माघमेला शुरू होने से भुत पहले इन भूमिगत पाईपों को डाला जाता है और मेला खत्म होने पर सबसे बाद में इन भूमिगत पाईपों को बहार निकला जाता है . ऐसा कुम्भ 20१९ में भी जल निगम ने किया था.सूत्रों ने यह भी बताया की झूंसी और अरैल क्षेत्र में बसे मेला से एसडीपी पाईपों के माध्यम से गंदा पानी सीधे गंगा यमुना में भा दिया जाता है.