मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दीक्षान्त सन्देश में कहा कि यह विश्वविद्यालय गुरुकुल की प्राचीन परम्परा को साकार कर रहा है।
आत्मविश्वास से आत्मविकास
डॉ दिलीप अग्निहोत्री
जीवन में उन्नति के लिए आत्मविश्वास अपरिहार्य होता है। प्राचीन ऋषियों ने भी निराशा को पाप की तरह माना था। इसका मतलब है कि विफलताओं के बाद भी व्यक्ति को निराश नहीं होना चाहिए। यदि आत्मविश्वास है,इच्छाशक्ति है,तो बाधाओं को भी पार किया जा सकता है। शारीरिक रूप से असमर्थ लोगों ने भी आत्मविश्वास के बल पर उल्लेखनीय कार्य किये है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुत विचार के बाद ही विकलांग की जगह दिव्यांग संबोद्धन दिया है। उनका कहना था कि ऐसे लोगों में कोई न कोई विशेष क्षमता होती है। इसी को समझने की आवश्यकता है। इसको माध्यम बना कर दिव्यांगजन भी समाज में बराबरी का मुकाम बना सकते है। महामण्डेलश्वर गुरु उदासीन गुरु शरणानन्द महाराज ने ठीक कहा कि यदि किसी व्यक्ति को मानसिक रूप से सबल बना दिया जाये, तो शारीरिक दिव्यांगता महत्व नहीं रखती है। प्रत्येक मनुष्य, पशु, पक्षी तथा वनस्पति में अपनी विशेष योग्यता होती है, केवल उसे निखारने की आवश्यकता है।
जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय चित्रकूट का दीक्षान्त समारोह ऐसे ही सकारात्मक विचारों के साथ आयोजित किया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसमें मुख्य दीक्षान्त सन्देश दिया। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय गुरुकुल की प्राचीन परम्परा को साकार कर रहा है। यहां दिव्यांगजन को बेहतर शिक्षा मिल रही है। इससे उनकी प्रतिभा का विकास हो रहा है,उनको रोजगार के अवसर प्रदान किये जा रहे है।
योगी ने विश्वविद्यालयों में तैत्तिरीय उपनिषद् की शिक्षाओं को आत्मसात किये जाने पर बल दिया। विद्यर्थियो को भी देश, समाज और राष्ट्र की सेवा के लिए निरन्तर कार्य करना चाहिए। प्राचीन काल से ही दिव्यांगजन अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते रहे हैं। सूरदास जी ने उच्च कोटि साहित्य की रचना की। यह कालजयी बन गई। आधुनिक समय में वैज्ञानिक स्टीफन हाॅकिंग ने ब्रह्माण्ड के रहस्यों को उजागर कर अपनी अप्रतिम प्रतिभा का प्रमाणित की। यहां के विद्यर्थियो को जगद्गुरु रामानन्दाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य जैसे पूज्य संत का मार्गदर्शन प्राप्त हो रहा है।
योगी ने कहा कि इस विश्वविद्यालय को दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग से जोड़कर अधिक से अधिक सहायता प्रदेश सरकार द्वारा प्रदान की जायेगी। जिससे दिव्यांगजन की शिक्षा के लिए अच्छी से अच्छी व्यवस्था हो सके। दिव्यांग पेंशन में भी बढ़ोत्तरी की गयी है। प्रदेश सरकार द्वारा भविष्य में भी दिव्यांग पेंशन में बढ़ोत्तरी की जायेगी। पूज्य संतों की साधना व्यर्थ नहीं जाती है। संतों की पांच सौ वर्षों की साधना के बाद श्रीराम जन्मभूमि का फैसला आया है और अब अयोध्या में शीघ्र ही भव्य राम मंदिर बनेगा।
जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय के कुलाधिपति जगद्गुरु रामानन्दाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य ने प्रगति आख्या प्रस्तुत की। उनके अनुसार केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हमें यह आश्वासन दिया है कि अगले वर्ष तक यह केन्द्रीय विश्वविद्यालय बनेगा। इस विश्वविद्यालय में दिव्यांगजन के लिए मेडिकल काॅलेज भी स्थापित किया जायेगा। रामभद्राचार्य जी ने रामकथा के प्रवचन से प्राप्त पांच सौ करोड़ रुपये विश्वविद्यालय को प्रदान किये हैं।