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यूपी में डीजे बजाने पर 5 साल की कैद और जुर्माना

विधि विशेषज्ञ एवं वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट/

 

‘ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण कानून का उल्लंघन नागरिकों के मूल अधिकारों का उल्लंघन है’, कहते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीजे बजाने की अनुमति देने पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल तथा न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खंडपीठ ने कहा है कि बच्चों, बुजुर्गों और अस्पतालों में भर्ती मरीजों सहित मानव स्वास्थ्य के लिए ध्वनि प्रदूषण बड़ा खतरा है।

खंडपीठ ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को टीम बनाकर ध्वनि प्रदूषण की निगरानी करने और दोषियों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। खंडपीठ ने कहा है कि ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण कानून का उल्लंघन नागरिकों के मूल अधिकारों का उल्लंघन होगा। इसलिए सभी धार्मिक त्योहारों से पहले जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बैठक कर कानून का पालन सुनिश्चित कराएं।

खंडपीठ ने निर्देश दिया है कि ध्वनि प्रदूषण कानून का उल्लंघन करने वाले पर प्राथमिकी दर्ज हो। त्योहारों से पहले अधिकारी बैठक कर ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाना सुनिश्चित करें। कानून का पालन कराने की जिम्मेदारी संबंधित थानाध्यक्षों की होगी। शहरी क्षेत्रों को औद्योगिक, व्यवसायिक और रिहायशी में श्रेणीबद्ध किया जाए। शिकायत सुनने के लिए अधिकारी नियुक्त किया जाएं। ऐसे अधिकारी का फोन नंबर और अन्य ब्यौरा सार्वजनिक स्थानों पर प्रदर्शित करें।

शिकायत के लिए टोल फ्री नंबर जारी करें। शिकायतें एक रजिस्टर पर दर्ज हों और उन पर कार्रवाई की जाए। शिकायत मिलने पर पुलिस तत्काल कार्रवाई करे और शोर बंद कराए। शिकायतकर्ता का नाम गोपनीय रखा जाए, अनाम शिकायतें भी दर्ज हों।एसएमएस, व्हाट्सएप, ई-मेल से भी शिकायतें दर्ज हों।

खंडपीठ ने यह भी कहा है कि कार्रवाई न होने पर जनता का कोई भी आदमी अवमानना याचिका दाखिल कर सकता है। खंडपीठ ने कहा है कि ध्वनि प्रदूषण कानून का उल्लंघन करने पर पांच साल तक की कैद और एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। खंडपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण कानून के तहत अपराध की प्राथमिकी दर्ज की जाए।

खंडपीठ ने कहा है कि शिकायत दर्ज होते ही पुलिस मौके पर पहुंचकर डीजे या अन्य ध्वनि विस्तारक यंत्र बंद कराए और सक्षम अधिकारी को रिपोर्ट करे, ताकि दोषी पर कार्रवाई की जा सके। शिकायतकर्ता का नाम गोपनीय रखा जाए। अनाम शिकायत भी दर्ज हो। एसएमएस, व्हाट्सएप, ई-मेल आदि माध्यमों से या फोन से मौखिक मिली शिकायत भी दर्ज की जाए और संबंधित अधिकारी को सूचित किया जाए।

कार्रवाई न करने के लिए संबंधित थाना प्रभारी जवाबदेह माने जाएंगे। खंडपीठ ने प्रदेश के मुख्य सचिव को सभी अधिकारियों को आदेश का पालन करने का निर्देश जारी करने के लिए कहा है।

प्रयागराज के याची सुशील चंद्र श्रीवास्तव का कहना था कि जिला प्रशासन ने रिहायशी इलाके हासिमपुर रोड पर एलसीडी लगाई है, जो सुबह चार बजे से आधी रात तक बजती रहती है। याची की मां 85 वर्ष की हैं। आसपास कई अस्पताल हैं। शोर से लोगों और मरीजों को परेशानी हो रही है। बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है। शिकायत करने पर अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं करते, उल्टे प्रदूषण फैलाने में सहयोग कर रहे हैं। याचिका में ध्वनि प्रदूषण कानून का कड़ाई से पालन करने की मांग की गई थी।

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