*कोरोना काल में मेरी उपलब्धि*
रचना सक्सेना
“कोरोन काल में जब महिलाओं के पास घर का कार्य बढ़ा हुआ है, बच्चे स्कूल / कालेज नही जा रहे है और महिलाओं का घर से बाहर निकलना बिल्कुल बंद है, ऐसी स्थिति में घर की महिलाओ में अवसाद की स्थिति आना संभव है। मैनें आनलाइन काव्यगोष्ठी के द्वारा महिलाओं के मन की बात को कविताओं और स्लोगनों कें माध्यम से मंच तक लाने का प्रयास किया।
मैने इस कोरोना काल में प्रयागराज की महिला साहित्यकारों की काव्यगोष्ठी के आयोजन के अतिरिक्त राष्ट्रीय स्तर की कई महत्वपूर्ण महिला काव्य गोष्ठियाँ, विशेष रूप से धार्मिक और राष्ट्रीय स्तर के पर्व पर आयोजित की, जैसे पूरे सावन भर राष्ट्रीय महिला मंच के द्वारा लोकगीत पर आधारित कई कार्यक्रम किये गये। जिसके अंतर्गत जो महिलायें सावन के अवसर पर शिव मंदिर तक न पहुंच पाने के कारण परेशान रहती थी, उन्होंने महीने भर तक मंच पर सावन उत्सव के अंतर्गत अपने मन की बात अपने स्वरचित लोकगीतों गीतों, गजलों और कविताओं में अभिव्यक्त करकें अत्यधिक आनंद का अनुभव किया।
महत्वपूर्ण बात यह रही कि मेरे प्रयास से देश भर की महिलाओं ने प्रचलित परम्परागत लोकगीतों के अलावा कुछ और बेहतरीन लोकगीतों का सृजन किया और घर के भीतर बंद दरवाजे बढ़े हुऐ रोजमर्रा के कार्यो से ऊब चुकी महिलाओं को इन आयोजनों से एक मनोरंजन मिला साथ ही उनके जीवन में एक नई ऊर्जा/स्फुर्ति का सृजन हुआ। स्लोगनों पर आधारित आयोजन के अंतर्गत देशभर से आई करीब पचास से अधिक महिलाओं ने बहुत उत्साह के साथ देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत स्लोगनों का सृजन किया। यह मेरे लिये एक बड़ी उपलब्धि रही है कि इस कोरोना काल में जहाँ हम लोग घर से बाहर नही निकल पा रहे है, इस तरह के आयोजन के द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर देशभर से अनेक प्रान्तों की महिला साहित्यकारों को एक साथ जोड़कर, उनको साहित्य/काव्य को साझा करने का ऑनलाइन मंच प्रदान कर, उनको एक दूसरे से साक्षात्कार करने का मौका दिया।
रचना सक्सेना
प्रयागराज