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नहीं रहे प्रखर पत्रकार एवं साहित्यकार, श्रद्धेय अग्रज कृष्णमोहन अग्रवाल जी

प्रखर पत्रकार एवं साहित्यकार, श्रद्धेय अग्रज कृष्णमोहन अग्रवाल जी का शरीरान्त हुआ!

 ● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

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    लगभग 40 वर्षोँ तक पत्रकारीय कर्म का बहुविध निर्वहण करनेवाले श्री कृष्णमोहन अग्रवाल का गत 16 मार्च को निधन हो गया था। कुछ देर-पूर्व उनके पोते से वार्त्ता करने के पश्चात् ज्ञात हुआ कि श्री अग्रवाल कुछ दिनो से गम्भीर रूप से अस्वस्थ हो गये थे। उन्हेँ उपचार-हेतु 16 मार्च को ही लखनऊ-स्थित मेदान्ता चिकित्सालय ले जाया गया, जहाँ चिकित्सक असमर्थ दिखे और कुछ ही अवधि-बाद उनका प्राणान्त हो गया।

    उल्लेखनीय है कि ‘के० एम० अग्रवाल’ नाम से विख्यात श्री अग्रवाल एक पत्रकार ही नहीँ थे, अपितु रंगकर्मी, साहित्यकार, समाजकार एवं राजनेता भी थे। वे मध्यमार्गी थे और अंशत: वामपन्थी भी। वे कई पत्रकार-संघटनो के पदाधिकारी थे तथा कई हिन्दी-दैनिक समाचारपत्रोँ मे विविध पदोँ पर प्रतिष्ठित भी, जिनमे ‘पूर्वांचल प्रहरी’, ‘स्वतन्त्र भारत’, ‘अमृत प्रभात’ इत्यादिक प्रमुख थे।

     महाराजगंज (उत्तरप्रदेश) के मूल निवासी कृष्णमोहन अग्रवाल जी से मेरा परिचय उस समय हुआ था, जिस समय इलाहाबाद से उत्तरप्रदेश के प्रथम श्रेणी के हिन्दी-दैनिक ‘अमृत प्रभात’ का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ था, तब वे प्रधान संवाददाता की भूमिका मे होते थे। 

     मितभाषी अग्रवाल जी के अन्तस् मे साहित्य के बीजांकुरण का श्रेय कब प्राप्त कर लिया, ज्ञात ही नहीँ हुआ; परन्तु उन्होँने अपने पत्रकारकाल के मित्रोँ तथा तत्कालीन देश, काल, परिस्थिति एवं पात्र का चित्रण किया, तब उनके भीतर की शब्दजीविता मुखर होकर प्रत्यक्ष हुई थी, उनकी संस्मरणीय कृति ‘जो झुका नहीं’ के रूप मे। उनकी लेखनी उपन्यास की ओर बढ़ी; परिणामत: उन्होँने रच डाला, ‘प्रोफेसर रामनाथ’।

सर्जना के प्रति उनकी इच्छाशक्ति इतनी प्रबल थी कि वे ‘रूपमती की डायरी’ के माध्यम से कथासाहित्य मे प्रतिष्ठित हो गये। इस प्रकार उन्होँने कविता, कहानी, उपन्यास तथा नाटक-विषयोँ पर गहन चिन्तन करते हुए, समाज को अपनी सर्जन-सामर्थ्य से बहुविध अवगत करा दिया है। साहित्यसंसार उनके सर्जनात्मक अवदान के प्रति ऋणी रहेगा।

    हम ‘मुक्त मीडिया’ के माध्यम से बहुआयामी कर्त्तृत्व के धनी श्रद्धेय अग्रज कृष्णमोहन अग्रवाल जी की स्मृति को प्रणाम करते हुए, उनके प्रति भावाञ्जलि प्रकट करते हैँ।

श्रद्धांजलियां

के एम अग्रवाल भाई की अचानक शरीर शांत होने की ख़बर पढ़ चौंक गया।     बीते काल उनके अनुभव के बटुआ से तमाम विभूतिओं को सोपान दर सोपान घूमता आइना में पढ़ने को मिला था.. । बहुत कम लोग होते हैं जो पुराने मित्रों से जुड़ कर काव्य धारा अनुरूप बहते रहते हैं। K m भाई हमारी पीढी में मार्ग दर्शक की तरह् रहे… उनकी आत्मा और लेखनी को शत् शत् नमन्…… वीरेंद्र मिश्र नई दिल्ली

भारतीय साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति… ईश्वर श्रद्धेय की आत्मा को अपनी शरण में ले .. विनम्र श्रद्धांजलि… धनंजय इंदौर 

स्‍मृतियों में के एम अग्रवाल
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मन बहुत दुखी है। मेरे ‘अमृत प्रभात’ के दिनों से मित्र केएम अग्रवाल नहीं रहे। आज दोपहर उन्‍होने लखनऊ मेदांता में आखिरी सांस ली। एक हफ्ते पहले उन्‍हें दिल का दौरा पड़ा था तो उन्‍हें महराजगंज से गोरखपुर लाकर अस्‍पताल में भर्ती कराया गया जहां डाक्‍टरों ने उनके दिल की नलियों में स्‍टंट डाला। सेहत कुछ सुधर रही थी। जब उनके पत्रकार मित्र मिलने गए तो वह उठ कर बैठे और बात भी की। डाक्‍टर शीघ्र ही उन्‍हें अस्‍पताल से छुट्टी देने की सोच रहे थे। लेकिन दो दिन पहले हालत अचानक बिगड़ी तो लखनऊ के मेदांता में भर्ती कराया गया। आज दोपहर वह सबको छोड़ अनंत या पर निकल गए। केएम से मेरे 45 साल से संबंध थे लेकिन उनकी मित्रता में हमेशा ताजगी भरी रहती थी। इलाहाबाद के पुराने मित्रों में वह अकेले थे तो हर महीने दो महीने में हालचाल लेते रहते थे। इलाहाबाद से जब वह गोहाटी पूर्वांचल प्रहरी के संपादक बन कर गए तो भी बातचीत होती रहती थी। बाद में अखबारी नौकरी से मोहभंग होने पर वह अपने गृहनगर महराजगंज आ गए थे और पेंट का व्‍यवसाय शुरू किया था जिसे अपने श्रम और ईमानदारी से स्‍थापित किया। वह पिछले कई सालों से लेखन की दुनिया में रम रहे थे। उन्‍होंने अपनी आत्‍मकथा ‘ जो झुका नहीं’ के बाद दो उपन्‍यास भी लिखे जो बहुत सराहे गए। इन दिनों वह महराजगंज के इतिहास और संस्‍कृति की पुस्‍तक पर काम रहे थे। वह कई सामाजिक और साहित्यिक संस्थाओं से जुड़े हुए थे. लगभग 78 साल के थे लेकिन उम्र को अपने पर हावी नहीं होने देते थे। उनकी सक्रियता लोगों के लिए मिसाल थी। पिछले दिनों वह जब नोएडा अपनी बेटी के यहां आए तो मेरे आवास पर आए और घंटों रहे और पुरानी बातों की,साथियों की चर्चा होती रही। वह किसी को नहीं भूलते थे और जिससे संबंध बने गए,उसे दिल से निबाहते थे। बहुत कुछ स्‍मृतियां हैं,उनकी। इस समय कुछ लिखते नहीं बन रहा। केएम आप इस तरह बिना बताये चले गए, स्‍मृतियों से नहीं जाने पाओगे मित्र।

……….वरिष्ठ पत्रकार रामधनी द्विवेदी 

बहुत अफ़सोस हुआ. आज ही लखनऊ के अस्पताल में गंभीर हालत में आये . थोड़ी देर वेंटिलेटर पर और फिर प्रस्थान कर गये , जहॉं कभी नहीं मिल सकते .

इलाहाबाद में अमृत प्रभात में कुछ साथ काम किया . वह चीफ रिपोर्टर थे . 

फिर गौहाटी से हिंदी के पहले अखबार पूर्वांचल प्रहरी के संपादक हुए. उल्फा का आंदोलन हुआ तो सब कुछ छोड़कर गृहनगर महराजगंज में अपना बिज़नेस जमाया .

पर लिखना पढ़ना जारी रखा . अस्सी साल की उम्र में भी फ़िट थे . अचानक हृदयरोग उभरा . शुरू में गैस का इलाज हुआ. गोरखपुर में ऐंजियोप्लास्टी हुई पर निमोनिया ने जकड़ लिया जो जानलेवा हो गया . अंत में धीरे-धीरे सारे महत्वपूर्ण अंग जवाब दे गये….. वरिष्ठ पत्रकार राम दत्त त्रिपाठी 

अत्यंत दुखद। सादर नमन। विनम्र श्रद्धांजलि। इलाहाबाद प्रवास के समय से ही संपर्क था जो हाल के दिनों में भी फोन और सोशल मीडिया के जरिए जारी रहा। उन्होंने अपनी पुस्तक भी भेजी थी। एक दो दिन पहले ही सूचना मिली थी कि वह तेजी से रिकवर कर रहे हैं लेकिन आज यह मनहूस मर्मांतक पीड़ा देने वाली सूचना मिली……….वरिष्ठ पत्रकार जय शंकर गुप्त…

ओह, वे इतने सक्रिय थे इन दिनों कि यह कल्पना करना भी मुश्किल लग रहा है कि वे अचानक चले गये…………… वरिष्ठ पत्रकार सुभाष राय

इधर लगभग एक साल पहले उनसे टेलीफोन पर लम्बी बातचीत हुई थी। पत्रकारिता जगत में उनका बड़ा सम्मान था। उनके बारे में महराजगंज में मुझे इतनी जानकारी नहीं थी। उनके प्रयाण की ख़बर स्तब्धकारी है। ईश्वर उनकी आत्मा को परम शांति प्रदान करें। उन्हें शत-शत नमन 🙏……. हरिकांत त्रिपाठी, पूर्व आई ए एस

पूर्व संपादक, लेखक तथा सामाजिक कार्यों में विशेष रुचि रखने वाले, बड़े भाई समान श्री कृष्ण मोहन अग्रवाल जी का लखनऊ मेदांता हॉस्पिटल में निधन, विनम्र श्रद्धांजलि!ॐ शांति। 💐🌹🙏….दीपक शरण श्रीवास्तव

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