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कल्याण सिंह पर फिर चलेगा बाबरी विध्वंस मुकदमा

राजस्थान के राज्यपाल के तौर पर कार्यकाल खत्म होने के बाद कल्याण सिंह भाजपा में शामिल हुए थे। भाजपा में शामिल होते ही बाबरी विध्वंस मामले में उन्हें बतौर आरोपी फिर कोर्ट में पेश करने के लिए सीबीआई की विशेष अदालत में अर्जी दी गयी थी। 1992 में अयोध्या की बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आरोपी कल्याण सिंह को संविधान के अनुच्छेद 351 के तहत कानूनी कार्रवाई से छूट मिली थी।सीबीआई कोर्ट ने 27 सितंबर को कोर्ट में पेश किये जाने का दिया आदेश

विधि विशेषज्ञ जे.पी.सिंह की कलाम से 

बाबरी विध्वंस मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को सीबीआई की विशेष अदालत ने तलब किया है। शनिवार को मामले की सुनवाई कर रही स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने कल्याण सिंह को 27 सितंबर को कोर्ट में पेश किए जाने का आदेश दिया है। कल्याण के अलावा इस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और महंत नृत्यगोपाल दास भी आरोपी हैं।

हाल ही में राजस्थान के राज्यपाल के तौर पर कार्यकाल खत्म होने के बाद कल्याण सिंह भाजपा में शामिल हुए थे। भाजपा में शामिल होते ही बाबरी विध्वंस मामले में उन्हें बतौर आरोपी फिर कोर्ट में पेश करने के लिए सीबीआई की विशेष अदालत में अर्जी दी गई थी। 1992 में अयोध्या की बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आरोपी कल्याण सिंह को संविधान के अनुच्छेद 351 के तहत कानूनी कार्रवाई से छूट मिली थी। राजस्थान के राज्यपाल पद से हटने के बाद सीबीआई से कोर्ट ने दस्तावेजी प्रमाण की मांग की थी। हालांकि अबतक सीबीआई की तरफ़ से दस्तावेज पेश न करने के बावजूद कोर्ट ने यह आदेश किया है। इससे पहले कल्याण सिंह ने कहा था कि वो सीबीआई कोर्ट में पेश होकर अपना पक्ष रखने के लिए तैयार हैं।

कल्याण सिंह के अलावा इस केस में पूर्व उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी, पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा और महंत नृत्यगोपाल दास भी आरोपी हैं, जिन्हें कोर्ट से जमानत मिली हुई है। कल्याण सिंह को 3 सितंबर 2014 को राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया था। 5 साल तक पद पर होने के कारण कल्याण को अदालत की ओर से तलब नहीं किया गया। अन्य आरोपी नेताओं को कोर्ट में अपील के बाद इस केस में जमानत दे दी गई। कार्यकाल खत्म होने पर कल्याण के वापस बीजेपी की सदस्यता लेने के बाद सीबीआई कोर्ट के विशेष जज की कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। केंद्रीय जांच एजेंसी की ओर से दायर याचिका में कल्याण को दोबारा कोर्ट में पेश कराने के लिए अनुमति मांगी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही यह भी स्पष्ट किया था कि 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह को मुकदमे का सामना करने के लिए आरोपी के तौर पर बुलाया नहीं जा सकता क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत राज्यपालों को संवैधानिक छूट मिली हुई है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल 2017 को बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र के आरोप फिर से बहाल करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही यह भी स्पष्ट किया था कि 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह को मुकदमे का सामना करने के लिए आरोपी के तौर पर बुलाया नहीं जा सकता क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत राज्यपालों को संवैधानिक छूट मिली हुई है। जिस समय सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की थी, उस समय कल्याण सिंह राजस्थान के राज्यपाल के पद पर थे. संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत राष्ट्रपति और राज्यपालों को उनके कार्यकाल के दौरान आपराधिक और दीवानी मामलों से छूट प्रदान की गई है। इसके अनुसार, कोई भी अदालत किसी भी मामले में राष्ट्रपति या राज्यपाल को सम्मन जारी नहीं कर सकती।

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