पूरा विश्व इस समय मानसिक बीमारियों की चपेट में है। हर चार में से एक बुजुर्ग और हर दस में से एक बालक मानसिक रूप से अस्वस्थ हो रहा है। ये बीमारियां अवसाद और फिर आत्महत्या की तरफ ले जाती हैं। इसलिए इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी चिंता को आत्महत्याओं को रोकने की तरफ केंद्रित किया है।
पूरे के पूरे विश्व में मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति बहुत ही चिन्ता जनक है। एलोपैथिक के अलावा इस तरह की बीमारियों के उपचार में होम्योपैथिक दवाइयां भी पूरी तरह से कारगर साबित हो रही हैं। सबसे बड़ी विशेषता यह है ये दवााायें रोगी को लती नहीं बनाती हैं तथा शरीर पर किसी प्रकार का दुष्प्रभाव भी नही उत्पन्न करती है।
यह जानकारी विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस की पूर्व संध्या पर वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक एवं केन्द्रीय होम्योपैथिक परिषद के सदस्य डॉ अनुरुद्ध वर्मा ने दी। उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा दुनिया में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के लिए प्रतिवर्ष 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का आयोजन किया जाता है। उन्होंने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य संवेक्षण 2015-16 में यह तथ्य उजागर हुआ है कि देश के 15 करोड़ लोगों के मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति अच्छी नहीं है और उन्हें देखभाल की जरूरत है।