
प्रणव मुखर्जी कोरोनावायरस पॉजिटिव पाए गए थे और उनकी हाल ही में ब्रेन सर्जरी की गई थी। प्रणब मुखर्जी साल 2012 में देश के राष्ट्रपति बने थे, 2017 तक राष्ट्रपति रहे। साल 2019 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। प्रणव मुखर्जी को खराब स्वास्थ्य के कारण 10 अगस्त को दिल्ली में आरआर अस्पताल में उनके मस्तिष्क में खून का थक्का जमने के बाद सर्जरी की गई थी।
वे पिछले एक महीने से दिल्ली के आर्मी अस्पताल में भर्ती थे। जहां उनकी ब्रेन सर्जरी हुई थी। सर्जरी के बाद से ही वह वेंटिलेटर पर थे और उनकी स्थिति काफी गंभीर बनी हुई थी।
उन्हें 10 अगस्त को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया था। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने खुद ट्वीट करके अपने कोविड-19 संक्रमित होने की जानकारी देश से साझा की थी। साथ ही उन्होंने अपने संपर्क में आए लोगों से भी अपना कोरोना टेस्ट ज़रूर कराने की अपील की थी।
कांग्रेस के संकट मोचक होने से भाजपा के भारत रत्न होने तक का उनका राजनीतिक सफ़र काफी दिलचस्प और विवादास्पद रहा था। 11 दिसंबर 1935 को जन्मे प्रणब मुखर्जी जीवन के शुरुआती दिनों में प्रोफ़ेसर भी रहे थे, साल 1963 में पश्चिम बंगाल के विद्यानगर कॉलेज में वो पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर थे। और पत्रकार के तौर पर भी उन्होंने स्थानीय बंगाली समाचार पत्र ‘देशर डाक’ में काम किया था।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी उन्हें राजनीति में लेकर आई थीं और राज्य सभा का सदस्य मनोनीत करवाया था। और इंदिरा गांधी के निधन के बाद प्रणब मुखर्जी ने कांग्रेस पार्टी छोड़कर अपनी राजनीतिक पार्टी “राष्ट्रीय समाजवादी पार्टी” बनाई थी।

पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट कर श्रद्धांजलि दी। रामनाथ कोविंद ने ट्वीट में लिखा कि प्रणव मुखर्जी के निधन की खबर सुनकर दुख हुआ। उनका जाना एक युग का अंत है। प्रणब मखर्जी ने देश की सेवा की आज उनके जाने पर पूरा देश दुखी है।
असाधारण विवेक के धनी, भारत रत्न श्री मुखर्जी के व्यक्तित्व में परंपरा और आधुनिकता का अनूठा संगम था। पांच दशक के अपने शानदार सार्वजनिक जीवन में अनेक उच्च पदों पर आसीन रहते हुए भी वे सदैव जमीन से जुड़े रहे। अपने सौम्य और मिलनसार स्वभाव के कारण राजनीतिक क्षेत्र में सर्वप्रिय थे।
कांग्रेस पार्टी की मनमोहन सिंह सरकार के दौरान ही 15 जून 2012 को प्रणब मुखर्जी देश के 13वें राष्ट्रपति नियुक्त हुए थे। और साल 2012 से 2017 तक वो देश के राष्ट्रपति रहे।
उन्हें कई दया याचिकाएं खारिज करने वाले राष्ट्रपति के तौर पर विशेष रूप से याद किया जाता है। प्रणब मुखर्जी ने अफ़जल गुरु और अजमल कसाब समेत सात दया याचिकाओं को खारिज किया था।
वित्तमंत्री
हालांकि उन्होंने रक्षा, वाणिज्य, विदेश और वित्त मंत्रालय को संभाला था और एक साथ सभी मंत्रालयों को विस्तार दिया था। लेकिन वो वित्तमंत्री के तौर पर विशेष रूप से सराहे गए। प्रणब अपनी तरह के इकलौते वित्त मंत्री हुए थे जिन्होंने सात बार बजट पेश किया था, इसके लिए उन्हें 1984 में यूरोमनी मैग्जीन द्वारा दुनिया का सर्वश्रेष्ठ वित्त मंत्री भी घोषित किया गया था।
वित्तमंत्री के तौर पर दिया गया उनका वो बयान ‘दया दिखाने के लिए क्रूर बनना पड़ता है’ आज भी कोट किया जाता है।
भारत रत्न
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के जून 2018 में आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होने पर देश भर में उनकी कड़ी आलोचना की गई थी। और इसके एक साल बाद ही भाजपा की मोदी सरकार द्वारा उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
प्रणब मुखर्जी भाजपा के दोनो प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी के मुरीद थे। इसका जिक्र उन्होंने एक कार्यक्रम में किया था।
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