अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर का निधन
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर भारत आने वाले तीसरे अमेरिकी राष्ट्रपति थे। जिमी कार्टर का भारत से खास नाता रहा है और जब वे भारत दौरे पर आए थे तो हरियाणा के एक गांव भी गए थे। जिमी कार्टर के सम्मान में उस गांव का नाम बदलकर उनके नाम पर रख दिया गया था। जिमी कार्टर का रविवार देर रात 100 साल की उम्र में निधन हो गया।
तीन वर्ष पूर्व उनकी पत्नी का भी निधन हो गया था। उस समय वह 97 वर्ष की थीं।
जिमी कार्टर अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले राष्ट्रपति थे। राष्ट्रपति जो बाइडन ने जिमी कार्टर के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि आज अमेरिका और दुनिया ने एक असाधारण नेता, राजनेता और मानवतावादी खो दिया है!
जिमी कार्टर ने भारत दौरे पर तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के साथ दिल्ली घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए थे। इस घोषणा पत्र के साथ ही भारत और अमेरिका के बीच संबंधों का नया दौर शुरू हुआ था। जिमी कार्टर सेंटर के अनुसार, 3 जनवरी, 1978 को कार्टर और तत्कालीन प्रथम महिला रोजलिन कार्टर नई दिल्ली से एक घंटे की दूरी पर स्थित हरियाणा के दौलतपुर नसीराबाद गांव गए थे। दरअसल जिमी कार्टर की मां लिलियन ने 1960 के दशक के अंत में भारत आईं थीं।
कार्टर का दिल्ली-एनसीआर से खास नाता रहा है। गुरुग्राम के दौलतपुर नसीराबाद गांव का नाम उनके नाम पर कार्टरपुरी रखा गया।
अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद कार्टर अपनी पत्नी के साथ तीन जनवरी, 1978 को गांव आए थे। इस दौरान उन्होंने उस हवेली का भी दौरा किया, जिसमें उनका बचपन बीता। गांव के पूर्व पंचायत सदस्य अत्तर सिंह ने बताया कि कार्टर राष्ट्रपति बनने के बाद भारत दौरे पर आ रहे थे, तब मां लिलियन ने उनसे गांव दौलतपुर नसीराबाद का भी दौरा करने को कहा। गांव पहुंचने पर उनका खूब सत्कार हुआ। उनके साथ गांव पहुंचे तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने गांव का नाम दौलतपुर नसीराबाद से बदलकर कार्टरपुरी रखने का प्रस्ताव रखा, जिस पर कार्टर ने हामी भरी। तब से गांव का नाम कार्टरपुरी हो गया।
कार्टर हरियाणा की शान कहे जाने वाली हुक्का और खाट देखकर काफी खुश हुए थे। मुंबई से लगभग 80 किलोमीटर दूर लोनावला के निकट निम्न आय वाले 100 परिवारों के लिए जिमी कार्टर ईश्वर के दूत थे क्योंकि उन्होंने 2006 में उनके घर बनाने में मदद की थी।
उस वर्ष अक्तूबर में एक सप्ताह तक पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति और उनकी पत्नी रोजलिन ने परिवारों और लगभग 2,000 अंतरराष्ट्रीय व स्थानीय स्वयंसेवकों के साथ मिलकर लोकप्रिय पर्वतीय स्थल लोनावला के पास पाटन गांव में घर बनाने का काम किया था। स्वयंसेवकों में हालीवुड अभिनेता ब्रैड पिट और बालीवुड अभिनेता जान अब्राहम शामिल थे। ये घर गैर सरकारी संगठन ‘हैबिटेट फार गाँव कार्टरपुरी नगर निगम गुड़गाँव मैनिटी’ के तत्वावधान में बनाए गए थे। कार्टर ने अपने बढ़ई के कौशल का इस्तेमाल करके संगठन की छवि को निखारने के लिए पैसे जुटाए। कार्टर 1984 से हर वर्ष एक सप्ताह का अपना समय और अपना निर्माण कौशल संगठन कार्टर वर्ष और संगठन को देते रहे थे। एक साक्षात्कार में कार्टर ने कहा था कि उनकी मां लिलियन 67 वर्ष की उम्र में ‘पीस कार्ब्स’ में शामिल हुई थीं और मुंबई के पास कुष्ठ रोगियों की एक कालोनी में काम करती थीं। कार्टर ने अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले और एकमात्र कार्यकाल के अंत में 1980 में वाइट हाउस छोड़ दिया था।
पूर्व राष्ट्रपति ने याद करते हुए कहा था, ‘मेरी मां बंबई के बहुत निकट विक्रोली नामक एक छोटे से गांव में रहती थीं।’ उनका इशारा उस स्थान की ओर था जो अब महानगर का एक केंद्रीय उपनगर है। हैबिटैट के साथ कार्टर का जुड़ाव 1984 में शुरू हुआ। यह एनजीओ स्वयंसेवकों के साथ मिलकर गृहस्वामियों को घर बनाने में मदद करता है और इसकी स्थापना कार्टर के गृहनगर प्लेन्स के निकट अमेरिकस, जार्जिया में की गई थी।
जार्जिया के मूंगफली किसान (जिमी कार्टर) को पद (अमेरिका का राष्ट्रपति) छोड़ने के बाद नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। रविवार को 100 वर्ष की आयु में लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया। वह अपने देश के इतिहास में सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले पूर्व राष्ट्रपति थे।