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गोरखपुर को “सिटी आफ नाॅलेज” के रूप में विकसित करें

 

“साधना पथ से ज्ञान यात्रा”

डॉ दिलीप अग्निहोत्री

गोरखपुर

भारतीय चिंतन में ज्ञान, कर्म और भक्ति के ध्येय मार्ग का विशद वर्णन है। धर्म अर्थ काम मोक्ष की जीवन यात्रा इसी मार्ग पर चलती है। गोरखपुर के महाराणा प्रताप शिक्षण संस्थान में इन्हीं तथ्यों पर चर्चा हुई जहां महाराणा प्रताप प्रबल राष्ट्रवाद के प्रतीक रूप में प्रतिष्ठित है।

इस अवसर पर राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर को सिटी आफ नाॅलेज के रूप में विकसित करने के लिए विज़न डाॅक्यूमेण्ट साधना पथ स्मारिका एवं ’गोरक्ष प्रभा’ वार्षिक पत्रिका का भी विमोचन किया। दो हजार बत्तीस तक यह लक्ष्य हासिल करने की संकल्पना राष्ट्रपति ने की थी। इसके मूल में भी राष्ट्रभाव के साथ साथ कर्म व ज्ञान है।

राज्यपाल ने एक शिक्षिका के रूप में बच्चों का मार्गदर्शन किया। कहा कि शिक्षा के साथ स्वास्थ्य पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है, क्योंकि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क विकसित होता है। इसके लिए भोजन, खेल, स्वच्छता, शिक्षा आदि आवश्यक है। बच्चे प्लास्टिक उपयोग न करें, अध्ययन को दिनचर्या में शामिल करें, अनुशासित रहे,सकारात्मक प्रतिष्पर्धा में सहभागी बनें, पानी और पर्यावरण के संरक्षण में योगदान करें।

राज्यपाल के रूप में प्राचार्यों से कहा कि समय-समय पर छात्राओं का हीमोग्लोबीन अवश्य चेक कराएं और यदि उनमें कोई एनीमिक पाया जाता है, तो उसका इलाज कराएं। राज्य सरकार शिक्षा के लिए अनेक सुविधाएं उपलब्ध करा रही है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह शिक्षण संस्थान राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली के विकास के उद्देश्य से स्थापित किया गया था। ऐसी शिक्षा से राष्ट्र एवं समाज को समर्पित ज्ञानवान नागरिक तैयार होते है।

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