
शिक्षा पर सार्थक सेमिनार
डॉ दिलीप अग्निहोत्री

उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा लखनऊ में आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार और सीएसआर काॅनक्लेव सार्थक रही। इसमें पिछले तीन वर्षों के दौरान हुए शैक्षणिक सुधार पर विचार विमर्श हुआ। यह माना गया कि यह सभी सुधार अभूतपूर्व थे। इनसे बेसिक शिक्षा में अवस्थापना,गुणवत्ता और बच्चों के लिए अन्य सुविधाओं का विस्तार हुआ है।
इसके अलावा इस आयोजन में भविष्य में होने वाले कार्यों पर भी मंथन किया गया। दो दिवसीय इस सेमिनार व कॉन्क्लेव का उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और समापन राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने किया। योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि उनकी सरकार को बदहाल शिक्षा व्यवस्था मिली थी। तीन वर्ष में उसके कायाकल्प संबन्धी कारगर प्रयास किये गए। सरकार ने शुरू में ही शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने और अनियमितताओं को दूर करने का संकल्प लिया था। इसके पहले उत्तर प्रदेश में होने वाली परीक्षाओं का स्तर सम्मानजनक नहीं था। वर्तमान सरकार ने इसको प्रतिष्ठा दिलाई है।

दिनेश शर्मा का नजरिया था कि परीक्षा केन्द्र निर्धारण में किसी भी प्रकार की लापरवाही एवं अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जायेगी। यदि ऐसा पाया गया तो सख्त कदम उठाया जायेगा। सरकार का मन्तव्य नकल विहीन परीक्षा कराकर शिक्षा की गुणवत्ता में आमूल चूल सुधार लाना है। इसी के साथ विद्यालय भवन, मण्डलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों,उप शिक्षा निदेशकों,डीआईओएस कार्यालयों में अवस्थापना सुविधाओं पर भी ध्यान दिया गया। तीन वर्षों से बोर्ड परीक्षा में सम्मिलित न होने अथवा काली सूची में दर्ज स्कूलों को परीक्षा केंद्र न बनाने की नीति पर अमल किया गया। परीक्षा केन्द्र एवं परीक्षा कक्ष की निर्धारित क्षमता के अनुसार ही परीक्षार्थियों की संख्या करने के निर्देश दिए गए। यह भी निर्देश दिया गया कि एक प्रबंधतंत्र अथवा सोसाइटी द्वारा संचालित कई विद्यालय होने की दशा में उनके विद्यार्थियों को पारस्परिक केन्द्र आवंटित नहीं होना चाहिए।

अशासकीय सहायता प्राप्त एवं वित्त विहीन विद्यालयों के परीक्षा केंद्रों में प्रवेश द्वार सहित प्रत्येक कक्ष में वाॅइस रिकाॅर्डर युक्त सीसीटीवी कैमरा एवं रिकार्डिंग हेतु डीवीआर की व्यवस्था सुनिश्चित की गई। प्रत्येक परीक्षा केन्द्र जीपीएस से लिंक करना अनिवार्य कर दिया गया। विद्यालयों में पढ़ाई, पाठ्यक्रम पूरा किए जाने हेतु अभियान चलाया गया। नकल विहीन परीक्षा के लिये सरकार कटिबद्ध है। सरकार की मंशा रही है कि शिक्षा की गुणवत्ता में आमूलचूल सुधार सुनिश्चित किया जाए। सरकार के प्रयास सफल भी हुए है। सरकार ने परीक्षा केन्द्र निर्धारण में लापरवाही एवं अनियमितता बर्दाश्त न करने की चेतावनी जारी की थी। कहा था कि ऐसा करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्यवाई की हिदायत दी गई थी। राज्यपाल ने प्रेरक प्रदेश निर्माण में सीएसआर के योगदान सराहनीय बताया। उंन्होने पत्रिका प्रेरणा का विमोचन भी किया। कहा कि शिक्षकों में बच्चों के प्रति एक माँ जैसा भाव होना चाहिये।


इससे बच्चों का आत्मबल बढ़ेगा। उनका बौद्धिक और मानसिक विकास होगा। बच्चे जितने प्रबुद्ध और सशक्त होंगे, देश उतना ही अधिक शक्तिशाली होगा। प्राथमिक शिक्षा इसी की नींव तैयार करती है। स्कूलों में सद्वाक्य लिखने चाहिए। इनसे बच्चों को प्रेरणा मिलेगी। बच्चों में सेवाभाव से कार्य करने के संस्कार विकसित करने चाहिए। अक्षर ज्ञान देते समय अर्थ भरे नाम सीखने चाहिए। जाहिर है कि इस आयोजन में शिक्षा से जुड़े उपयोगी विचार विमर्श हुआ। इन सबका भविष्य की कार्ययोजना पर सार्थक प्रभाव होगा।
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