चलती ट्रेन में चोरी हो गयी हो, कोई शराबी परेशान कर रहा हो या फिर र्कोई आपकी सीट पर कब्जा कर लिया हो या फिर सीट पर अपना सामान इस तरह से रखे हुए हो कि कोई सीट पर बैठ न पा रहा हो, ऐसी हर स्थिति में पुलिस मदद करने के लिए तैयार है रेलवे पुलिस.
प्रयागराज.
स्टेशन पर ट्रेन के रुकते ही कुछ पुलिसवाले अचानक बोगी में घुसते हैं और सीधे बर्थ नंबर 53 के सामने पहुंच जाते हैं जहाँ पर एक लड़की के सामने बैठे दो लड़के हंसी–ठट्ठा कर रहे होते हैं. पुलिस वाले उन दोनों लड़कों को दबोच लेते हैं. लोग हैरान कि पुलिस वाले सही समय पर सटीक जगह पर कैसे पहुँच गये? पुलिस वाले बताते हैं कि 100 नंबर पर किसी ने थोड़ी देर पहले किसी ने सूचना दी थी कि इस ट्रेन नंबर किस कोच में इस नंबर की बिर्थ पर यात्रा कर रही लड़की को कुछ शोहदे परेशान कर रहे हैं. बस फिर क्या था, पुलिस एक्शन में आ गयी और ट्रेन के रुकते ही धावा बोल दिया.
अगर आप ट्रेन से यात्रा कर रहे हैं और चलती ट्रेन में कोई आपको परेशान कर रहा है या छेड़-छाड़ कर रहा है तो आप घबराएं नहीं. वे दिन गये जब स्टेशन आने के बाद पुलिस को सूचना दी जाती थी और जब तक पुलिस कुछ समझती, तब तक अपराधी नौ-दो-ग्यारह हो जाते थे. अब स्टेशन पर गाडी रुकते ही पुलिस वाले धावा बोल देते हैं और अपराधी को चंगुल में ले लेते हैं.
सिर्फ छेड़खानी की ही बात नहीं है, चाहे चलती ट्रेन में चोरी हो गयी हो, कोई शराबी परेशान कर रहा हो या फिर र्कोई आपकी सीट पर कब्जा कर लिया हो या फिर सीट पर अपना सामान इस तरह से रखे हुए हो कि कोई सीट पर बैठ न पा रहा हो, ऐसी हर स्थिति में पुलिस मदद करने के लिए तैयार होने लगी है.
डीआईजी रेलवे प्रयागराज वीरेन्द्र श्रीवास्तव बताते हैं कि यह नयी टेक्नॉलोजी का ही कमाल है कि अपराधी अब पुलिस के चंगुल में लगातार फंसता जा रहा है, उसके बचने के सारे रास्ते बंद होते जा रहे हैं. जिलों के पुलिस कंट्रोल रूम के 100 नंबर का बहुउद्देशीय इस्तेमाल किया जाने लगा है. इस नंबर के माध्यम से चलती ट्रेन में भी मदद ली जा सकती है. परेशान व्यक्ति 100 नंबर डायल करेगा तो वह काल लखनऊ के डायल 100 नंबर के आधुनिकतम कंट्रोल रूम पहुँच जायेगी जहाँ से काल रिसीवर उसे सम्बंधित डेस्क पर भेज देता है. उस डेस्क का प्रभारी शिकायत की जानकारी अपने अधिकारियों को देने के साथ ही सम्बंधित जिलों और डायल-100 वाली गाड़ियों को प्रेषित कर देता है.
डीआईजी रेलवे वीरेन्द्र श्रीवास्तव बताते हैं कि चूंकि मोबाइल से आजकल बिना बताये भी उसकी लोकेशन मिल ही जाती है, इसलिए पुलिस को कार्रवाई करने में आसानी हो जाती है और कुछ ही मिनटों में पुलिस मौके पर पहुँच भी जाती है. शिकायतकर्ता को तत्काल राहत भी मिल जाती है. आवश्कता पड़ी तो मौके पर ही लिखित शिकायत लेली जाती है.