हरियाणा प्रदेश महिला कांग्रेस की महासचिव दीपा शर्मा की जुबानी
एक महिला का दर्द **!!!
वह औरत रोती रही, चीख़ती रही, अपनी इज़्ज़त को बचाने के लिए इंसानी रूपी भेड़ियों के सामने गिड़गिड़ाती रही, डंडो एवं लाठियों से पिटती रही, चीख़ती रही, चिल्लाती रही, ऊपर वाले एवं लोगों को मदद के लिए पुकारती रही, शायद उसकी आवाज़ में इतनी ताक़त नहीं थी कि ऊपर वाले तक उसकी आवाज़ पहुंच जाए…! आवाज़ लगाती रही, लोग उसकी आवाज़ सुनकर भी अनसुना करते रहे। फिर लुट गई एक बहन, एक बेटी की अस्मत, दरिंदगी का आलम पहले उसके साथ हैवानियत की गई। फिर डंडो एवं लाठियों से पीटा गया, फिर भी दिल नहीं भरा तो निर्भया की तरह उस महिला के साथ ज़्यादती की गई, महिला तड़पती रही, शरीर से खून बहता रहा, कपड़ों को तार-तार कर दिया गया।
उस महिला को समझ में नहीं आ रहा था अपनी इज़्ज़त लुटने की वजह से रोए या शरीर पर जो जख्म दिए थे उनकी वजह से रोए? ज़ख्मों से उठती टीस, ज़ख्मों से बहता खून, ज़ख्मों की तकलीफ से ऊपर वाले से वह दुआ कर रही थी की ऊपर वाले मुझे अपने पास बुला ले, अब यह धरती शरीफ इंसानों के लिए नहीं बची, इस धरती पर रोज़ हजारों बच्चियों की अस्मत लुटती है, हज़ारों महिलाओं के साथ होता है अत्याचार।
ऊपर वाले ने उस अबला महिला की दुआ कुबूल कर ली और घटना के एक दिन बाद ऊपर वाले ने उसको अपने पास बुला लिया । पीड़ित महिला ने इंसान रूपी राक्षसों से उनकी माँ का वास्ता दिया,तो कभी उनकी बहन का वास्ता दिया पर इंसान रूपी हैवानों का दिल नहीं पिघला, दिल पिघलता भी तो कैसे? क्योंकि इन भेड़ियों के दिल स्याह हो चुका है। इनकी शर्म मर गई है। इनको भेड़िया या राक्षस कहने पर भेड़ियों एवं राक्षसों का अपमान होगा।
दीपा शर्मा ने कहा कि ये घटना इंसानियत को कालिख पोतने वाली मुंबई के साकीनाका इलाके की घटना है। बलात्कार की शिकार हुई पीड़िता जिंदगी की जंग हार गई और उसके शरीर से आत्मा जुदा हो गई।
शु्क्रवार को एक टेंपो के अंदर एक महिला के साथ बलात्कार किया और उसके निजी अंगों में लोहे की छड़ से हमला किया गया था। मुंबई के एक सिविल अस्पताल में बेहोशी की हालत में दाखिल किया गया था। इस घटना से पूरे राज्य में आक्रोश फैल गया है। पुलिस के अनुसार महिला के साथ दुष्कर्म किया गया और फिर डंडे से पीटा गया और आरोपी ने क्रूरता की सारी हदें पार कर दीं। प्रारंभिक जांच के अनुसार, उसके साथ बलात्कार किया गया और उसके निजी अंगों में लोहे की छड़ से हमला किया गया। आरोपी ने वहां से जाने से पहले उसे मरा हुआ समझकर सुनसान सड़क पर फेंक दिया था। घटना के कुछ ही घंटों के भीतर आरोपी मोहन चव्हाण को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस का मानना है कि इस घटना में और भी लोग शामिल हो सकते हैं।
फिर चलेगा अदालत में केस अदालत का फैसला आते आते सालों गुज़र जाएंगे। निचली अदालत से सज़ा मिलेगी। फिर आरोपी उससे बड़ी अदालत पहुंच जाएंगे। उस अदालत से भी फैसला आते-आते सालों लग जाएंगे। जब वहां से भी आरोपी को सज़ा मिलेगी तो फिर आरोपी सबसे बड़ी अदालत पहुंच जाएंगे, ऐसे करते करते दस पन्द्रह साल कैसे निकल जाएंगे और पता ही नहीं चलेगा।
सबसे बड़ी अदालत से सज़ा मिलेगी। फिर एक कड़ी और बचती है, राष्ट्रपति के पास क्षमा याचना के लिए मर्सी अपील। जब तक परिवार वाले अदालतों में भटकते रहेंगे बेटी के ग़म में तड़पते रहेंगे, आंखों के आंसू सूख जाएंगे, पर दिल रोता रहेगा । जैसे निर्भया के माता पिता को इंसाफ मिलने में सालों लग गए थे।
दीपा शर्मा ने कहा कि यह कैसा कानून हैं? दरिंदों को कारागार में भी पूरी सुविधाएं, सोने को बिस्तर, खाने को रोटी पहनने को कपड़ा, अगर बीमार पड़ जाए तो इलाज की सुविधा!
अब कुछ ऐसा कानून बनना चाहिए, जहां न कोई अपील हो, न कोई दलील हो और न कोई वकील हो! एक ही जगह सज़ा का फैसला होना चाहिए, हफ्ते भर के अंदर दरिंदों को फांसी के झूले पर आम जनता के सामने लटकाना चाहिए और सज़ा का सीधा प्रसारण टीवी चैनलों पर दिखाना चाहिए। हो सकता है, इन सब चीज़ों को देखने के बाद हमारी बेटी और बहनों की इज़्ज़त बच जाए।
नारी गौरव है, अभिमान है
नारी ने ही रचा ये विधान है।।