जागरूकता हेतु हेल्थ सेमिनार
डॉ दिलीप अग्निहोत्री
लखनऊ।
विश्व स्वास्थ संगठन ने तीस जनवरी को प्रथम विश्व नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज डे घोषित किया था। लखनऊ के केजीएमयू व अन्य संस्थानों के चिकित्सकों ने इस पर गम्भीरता दिखाई। उन्होंने इस पहले दिवस को ही समाज में जागरूकता हेतु सेमिनार का आयोजन किया गया।
मुख्य चर्चा के साथ ही डेंगू,सर्पदंश,लेप्रोसी आदि पर भी विचार शोध व्याख्यान हुए। सेमिनार में प्रदेश के अनेक चिकित्सा संस्थानों के लोग सम्मलित हुए। इसमें चिकित्सा विशेषज्ञों ने दो बातों पर बल दिया। एक यह कि इस बीमारी के इलाज हेतु कारगर तकनीक विकसित करनी होगी, दूसरा यह कि इसके लिए समाज को भी जागरुक करना होगा,जिससे वह बचाव के प्रति सजग रहें।
इस संदर्भ में केजीएमयू मेडिसिन विभाग यहां कलाम सेंटर में एक सेमिनार का आयोजन किया। इसका उद्धघाटन प्रो एम एल बी भट्ट और प्रो ऐ के त्रिपाठी ने किया।
प्रो भट्ट ने कहा कि ट्रॉपिकल डिजीज से निबटने के लिए नई रणनीतियों पर काम करना पड़ेगा। उपचार की पद्धतियों को अपडेट करने की आवश्यकता है। राम मनोहर लोहिया संस्थान के निदेशक प्रो ऐ के त्रिपाठी ने कहा कि नेगलेक्टेड ट्रोपिकल डिजीज के बारे में समाज को जागरूक करने की आवश्यकता है। जानकारी के अभाव में नुकसान ज्यादा होता है। जागरूकता के द्वारा हम बीमारी को नियंत्रित कर सकते है।
आयोजन अध्यक्ष प्रो वीरेंद्र आतम ने स्वच्छता को अपरिहार्य बताया। कहा कि यह हमारी दिनचर्या में शामिल होना चाहिए।
आयोजन सचिव डॉ डी हिमांशु ने कहा कि नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिसीज़ संक्रमण बीमारी है। कतिपय प्रयासों के माध्यम से बचाव हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के कोऑर्डिनेटर डॉ तनुज शर्मा ने लेप्रोसी रोकने के प्रयासों का उल्लेख किया। इसके तहत ग्राम प्रधानों एवं स्कूलों को भी जोड़ा जा रहा है। इसी प्रकार
फाईलेरिया की रोकथाम के लिए सत्रह से उनतीस फ़रवरी तक इकतीस जिलों में अभियान चलाया जा रहा है। माइक्रो बायोलॉजी विभाग की प्रो पारुल जैन ने स्क्रब टायफस एवं संबंधित रिकटेशिया डिजीज के बारे में जानकारी दी। कहा कि नमी वाले स्थानों पर इनका संक्रमण होता है। मेडिकल यूनिवर्सिटी में इसके डायग्नोसिस की सुविधा उपलब्ध है। इससे बचने के लिए शरीर को ढककर मैदानों व खेतो में जाना चाहिए। डॉ के के सावलानी ने बताया डेंगू की बीमारी से डरने की जरूरत नही है। सावधानी बरतने की जरूरत है। प्लेटलेट्स कम होने पर घबड़ाना नही चाहिए। क्योंकि ये कुछ समय
बाद बढ़ जाती है। प्रो सत्येंद्र सोनकर सर्पदंश समस्या पर जानकारी दी। उन्होंने कहा सांप काटने पर मरीज को अस्पताल लाना चाहिए जिससे उसकी स्थिति के अनुसार उपचार किया जा सके। धन्यवाद ज्ञापन डॉ सौरभ ने किया।