पंकज श्रीवास्तव
प्रयागराज।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश एडवोकेट्स वेलफेयर फंड एक्ट, 1974 के तहत गठित ट्रस्टीज कमेटी को निर्देश दिया है कि अगर लाॅकडाउन की अवधि के दौरान उनके पास वित्तीय रूप से कमजोर वकीलों की सहायता के लिए पर्याप्त धन नहीं है तो इस काम के लिए लोन ले लें।
मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की पीठ ने आदेश दिया है कि- ” यूपी एडवोकेट्स वेलफेयर फंड एक्ट की धारा 5 के तहत ट्रस्टीज कमेटी वर्तमान समय में अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर फंड उधार ले सकती है। इसलिए, किसी भी परिस्थिति में यू.पी. एडवोकेट्स वेलफेयर फंड ट्रस्टीज कमेटी यह नहीं कह सकती है कि उनके पास धन की कमी है।
इतना ही नहीं कमेटी वकीलों की सहायता करने का अपना बोझ राज्य बार काउंसिल पर भी नहीं डाल सकती है क्योंकि अधिनियम की धारा 4 के तहत वास्तव में स्टेट बार काउंसिल के सभी फंड को उनके पास स्थानांतरित कर दिए गए है।”
20 अप्रैल, 2020 को अदालत ने आदेश दिया था कि जरूरतमंद अधिवक्ताओं की सहायता करने के लिए एक योजना बनाई जाए। परंतु इस आदेश के बावजूद भी कमेटी के ढीले दृष्टिकोण को देखते हुए यह दिशा-निर्देश पारित किया गया है। कमेटी ने अदालत को सूचित किया था कि वकीलों की सहायता करने की एक व्यवस्थित योजना इसलिए तैयार नहीं हो पाई क्योंकि उनके पास ”फंड” नहीं हैं।
इस दलीलों को खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि यूपी एडवोकेट्स वेलफेयर फंड एक्ट की धारा 4 के तहत प्राप्त धन वर्तमान समय में वकीलों की मदद करने के लिए पर्याप्त है। इस धारा के तहत अधिवक्ता नामांकन के प्रमाण पत्रों पर लगने वाले स्टांप शुल्क का भुगतान करते हैं। पीठ ने आगे यह भी कहा कि अधिनियम की धारा 5 में प्रावधान है कि ट्रस्ट जरूरतमंद अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए धन भी उधार ले सकती है। इन तमाम तथ्यों को देखते हुए अदालत ने निर्देश दिया है कि कमेटी धन उधार लेने पर विचार कर सकती है। आदेश में कहा गया है कि ” हम यह भी कह रहे हैं कि अगर कमेटी ऋण के लिए आवेदन करती हैं तो उसे यह मिल सकता है। इसके लिए गारंटी सरकार द्वारा प्रदान की जा सकती है।” पीठ ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया रूल्स के नियम 44बी पर भी जोर दिया, जिसमें प्राकृतिक आपदा आदि के दौरान वकीलों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए एक योजना तैयार करने का प्रावधान है।
पीठ ने कहा कि- ”जब बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियम एक प्राकृतिक आपदा के समय में वकीलों की मदद के लिए कहते हैं तो अधिनियम 1974 की धारा 3 (1) (सी) के तहत अधिनियम के ट्रस्टियों द्वारा योजना तैयार की जानी चाहिए। ताकि र्तमान समय में जरूरतमंद अधिवक्ताओं को सहायता दी जा सकें। क्योंकि इस समय Covind-19 वायरस फैलने के कारण अदालतों में कामकाज बंद पड़ा है।” अब इस मामले में अगली सुनवाई 26 मई को होगी।
पंकज श्रीवास्तव, अधिवक्ता, उच्च न्यायालय प्रयागराज