इलाहाबाद हाई कोर्ट का सख्त आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सरकारी आवासों के आवंटन व कब्जे की अवधि तय करने के संबंध में 25 फरवरी 2020 को जारी शासनादेश का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने कहा है कि, कोई भी अधिकारी या कर्मचारी निर्धारित अवधि के बाद, चाहे वह सेवानिवृत्त या स्थानांतरित हुआ हो या बर्खास्त किया गया हो या अन्य किसी कारण से अवधि बीत जाने के बाद आवंटित आवास में रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
कोर्ट ने कहा कि, जिला स्तर के अधिकारी व सभी विभाग दो माह के भीतर अनधिकृत तौर पर सरकारी आवास पर कब्जा जमाए लोगों की जानकारी दें और इस सूची के प्राप्त होने के बाद एक माह के भीतर सभी अवैध कब्जों को खाली कराया जाए। जो भी अधिकारी इसमें लापरवाही बरते उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाए। कोर्ट ने कहा कि, शैक्षिक संस्थानों में शैक्षिक वातावरण के साथ-साथ शिक्षा की गुणवत्ता और कालेजों के गौरव को पुनर्स्थापित करने के पूरे प्रयास किए जाएं। कोर्ट ने आदेश की प्रति चीफ सेक्रेटरी और अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा को अनुपालनार्थ भेजने का भी आदेश दिया है।
यह आदेश जस्टिस एसपी केशरवानी ने शिक्षक रमेश चंद्र वर्मा की याचिका पर दिया है। याची का कहना था कि, वह राजकीय इंटर कॉलेज प्रयागराज में अध्यापक है। उसे सरकारी आवास आवंटित किया गया लेकिन दूसरे द्वारा अवैध रूप से कब्जा करने के कारण उन्हें आवास में कब्जा नहीं मिल रहा है। जिस पर कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा।
राज्य सरकार की तरफ से हलफनामा दाखिल कर बताया गया कि, आवास का कब्जा हटा लिया गया है और याची को आवंटित कर दिया गया है। जिस पर कोर्ट ने याचिका निस्तारित कर दी।
इसी दौरान राज्य सरकार को कोर्ट ने एक आवास नीति बनाने का आदेश दिया था। जिसके तहत राज्य सरकार ने 25 फरवरी 2020 को शासनादेश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों, न्यायिक सेवा के अधिकारियों तथा राज्य सेवा के अधिकारियों , कर्मचारियों व पत्रकारों, वरिष्ठ पत्रकारों को भवन में आवंटन, उनके मुख्यालय में तैनात रहने की अवधि के लिए किया जाएगा। स्थानांतरण, सेवानिवृत्ति की दशा में उनके द्वारा आवास खाली करना होगा।
सरकार के आदेश में यह शर्तें
सरकार ने अपने आदेश में स्पष्ट कर दिया है कि त्याग पत्र या सेवा से बर्खास्तगी, सेवा समाप्ति आदि में सरकारी आवास खाली करना पड़ेगा। मृत्यु हो जाती है तो परिवार को 90 दिन में आवास खाली करने होंगे । अस्थाई स्थानांतरण हुआ है तो 120 दिन के समय में आवास खाली करना होगा। अध्ययन अवकाश, भारत में अध्ययन तक के लिए, चिकित्सा अवकाश, जब तक उनका इलाज चलता है। प्रशिक्षण के लिए जब तक प्रशिक्षण चले। प्रसूति अवकाश के लिए 180 दिन सरकारी आवास में रहने की छूट देने का नियम बनाया गया है। कोर्ट ने इसे लागू न करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।