अफवाहें फैलाने वालों को सोशल मीडिया से ही खदेड़ दिया
यह था पुलिस का सोशल मीडिया में पैदा किया गया भय कि फैसले के दिन लोग सोशल मीडिया से यह जानने को तरस गए कि अयोध्या के फैसले में क्या हुआ और दुनिया भर में क्या हो रहा है? पुलिस ने बिना एक डंडा चलाए ही सारे अफ़वाहबाजों को इस तरह से दुबका कर रख दिया था कि वे आज तक अपने बिल से बाहर नहीं निकल पाए हैं।
स्नेह मधुर
लखनऊ।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने ‘फेक न्यूज’ और अफवाहों पर लगाम लगाने में काफी हद तक सफलता हासिल कर ली है। असम्भव सा लगने वाला काम भी कड़ी मशक्कत के बाद हो ही गया और पुलिस ने राहत की सांस ली। यही वजह है कि फैसले के बाद कहीं भी कोई भड़काऊ बात न होने और किसी तरह की भी उत्तेजना न दिखने से शरारती तत्वों के भी हाथ पांव ठंडे पड़ गए और वे भी निराश होकर कहा जाए तो अपनी रजाई में घुस गए।
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के आने वाले फैसले पर कानून व्यवस्था को बचाए रखने की तैयारी के दौरान पुलिस ने जो रणनीति बनाई और जिस तरह से सोशल मीडिया पर निगरानी बढ़ाई, वह बड़ा ही कारगर तरीका निकला और उसने अफवाहें फैलाने वालों को सोशल मीडिया से ही खदेड़ दिया।
असल में सोशल मीडिया पिछले कुछ समय से सबके लिए इतना बड़ा सिर दर्द बन गया था कि इस पर किसी तरह से भी लगाम लगाए जा सकने की कोई संभावना नहीं दिख रही थी। जिसको देखो वही पत्रकार बनकर कोई भी बात सोशल मीडिया पर डाल दे रहा था और सनसनीखेज सूचना मिलने पर बिना उसके तथ्यों की जांच किए ही ‘फास्टेस्ट फिंगर फर्स्ट’ की तरह उसे फॉरवर्ड कर देता था।
यह ऐसी बीमारी बन गई थी जिससे समाज का हर तबका परेशान था। पुलिस की परेशानी खासकर अयोध्या पर फैसले के दौरान बढ़ने वाली थी कि कब कौन क्या अफवाह उड़ा दे और हर कोई उसे फॉरवर्ड कर पूरे प्रदेश और देश में अराजकता और अशांति का माहौल बना दे।
पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने इसकी तोड़ निकालने की हिम्मत की। पहले तो उन्होंने विभिन्न तरीकों से सबको जागरूक किया कि अफवाहें फैलाई ही न जा सकें। लोगों से बाकायदा अपील की गई। लेकिन इस देश में अपील का असर होता नहीं है। इसलिए उन्होंने सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल बनाया और उसमें पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी को तैनात किया जो सोशल मीडिया पर नजर रखे।
यही नहीं, ओपी सिंह ने करीब तीन लाख डिजिटल स्वयंसेवकों से भी मदद लेकर उन्हें इस काम पर लगाया कि वे सोशल मीडिया पर कड़ी निगरानी रखें और लोगों के पोस्ट पढ़ कर उनमें आपत्तिजनक चीजें मिलने पर पुलिस को उसकी सूचना दें। यह काफी बड़ा काम था लेकिन ओपी सिंह ने इसे संभव करने का बीड़ा उठाया। इसके लिए एक नया नंबर 8874327341 भी प्रसारित किया गया जिस पर लोग सूचना दे सकें।
यही नहीं, पुलिस ने यह भी प्रचारित करना शुरू किया कि आपत्तिजनक पोस्ट करने वाले कितने लोगों के खिलाफ कार्रवाई हुई। इसका जबरदस्त असर दिखा। कुल 77 लोग अफवाहें फैलाने के जुर्म में गिरफ्तार हुए और 277 ग्रुप की पहचान कर उनपर निगरानी बढ़ा दी गई। यही नहीं, करीब 13 हजार आपत्तिजनक पोस्ट हटवाए भी गए।
किसी ने सोचा भी नहीं था कि पुलिस उनके फोन के अंदर भी झांक सकती है। पुलिस की इस कार्रवाई का असर यह पड़ा कि लोगों में गंभीरता आ गई और लोग अनर्गल बात करने और खासकर उसे वाइरल करने से पहले सोचने भी लगे हैं। पुलिस की यह जबरदस्त कामयाबी रही है जिसने बिना तूफान लाए ही लोगों को अभिव्यक्ति के मामले में अनुशासित कर दिया। इसका प्रभाव आने वाले समय में अपराध नियंत्रण में भी जरूर पड़ेगा।
पुलिस कार्रवाई का पता चलते ही लोगों के हाथ पांव फूलने लगे और लोग आत्मरक्षा की मुद्रा में आ गए। हर ग्रुप में जोर शोर से यह सूचना प्रसारित की जाने लगी कि लोग किसी भी तरह की गलत सूचना पोस्ट न करें। इस पर भी लोगों का मन नहीं माना और ग्रुप एडमिनों ने अपने ग्रुप पर किसी भी सदस्य के पोस्ट पर ही रोक लगा दी । ग्रुप एडमिनों जो अपने सदस्यों पर विश्वास ही न रहा। उन्हें लगा कि कोई भी शरारती व्यक्ति नंबर वन बनने कि कोशिश में कोई गलत बात ग्रुप में डालकर उन्हें फंसा देगा। इसलिए तमाम एडमिनों ने अपने साथियों से माफी मांगकर पोस्ट करने का उनका अधिकार ही छीन लिया, कहा कि बस दी तीन दिन की बात है। इनमें से कई ने तो अभी तक अपना ग्रुप सबके लिए नहीं खोला है ।
यह था पुलिस का सोशल मीडिया में पैदा किया गया भय कि फैसले के दिन लोग सोशल मीडिया से यह जानने को तरस गए कि अयोध्या के फैसले में क्या हुआ और दुनिया भर में क्या हो रहा है? पुलिस ने बिना एक डंडा चलाए ही सारे अफ़वाहबाजों को इस तरह से दुबका कर रख दिया था कि वे आज तक अपने बिल से बाहर नहीं निकल पाए हैं।
पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह का कहना है कि डिजिटल सतर्कता बनी रहेगी और ऐसे लोगों पर डिजिटल निगरानी लगातार रखी जा रही है जो कभी भी लोगों को उकसाने के लिए कोई fake news पोस्ट कर सकते हैं