प्रयागराज।
हमारा जीवन हमारी सोच का ही परिणाम है। आज के समय में हर कोई कहता है मेरे पास समय नहीं है, आई एम बिजी! वास्तव में बिजी की जगह हमें बी-इजी शब्द को अपने जीवन में धारण कर लेना चाहिए। जीवन में यात्रा का महत्व है न कि गंतव्य का। इसलिए जीवन का हर कार्य खुशी के लिए न करके खुशी से करें तो हमारा जीवन खुशहाल हो जाएगा।
“आज नई-नई उम्र के बच्चों को हार्ट अटैक आते हैं उनके रक्त धमनियां ब्लॉक हो जाती हैं। इन सब का कारण कहीं ना कहीं नकारात्मक सोच, तनाव और अवसाद है। यदि हम प्रतिदिन थोड़ा समय निकालकर अपने आप को समय दें अपने आप से बात करें और मेडिटेशन का अभ्यास करें तो हम इस जीवन की भाग दौड़ को इंजॉय कर सकते हैं और इसको बोझ समझने से भी बच सकते हैं।”
उपरोक्त बातें डॉ मोहित गुप्ता, सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट जीबी पंत अस्पताल नई दिल्ली ने ब्रह्माकुमारीज द्वारा मोतीलाल नेहरू नेहरू मेडिकल कॉलेज के ऑडिटोरियम में आयोजित _डिजाइन योर डेस्टिनी_ प्रोग्राम के दौरान कहीं।
ज्ञात हो प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में _डिजाइन योर डेस्टिनी प्रोग्राम_ का आयोजन किया गया जिसमें डॉ मोहित दयाल गुप्ता सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट जीबी पंत अस्पताल, नई दिल्ली मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे डॉ मोहित ने अपने निजी अनुभव के द्वारा नव प्रशिक्षित डॉक्टरों तथा शहर के अन्य गणमान्य डॉक्टरों को अपने व्यस्त जीवन में मेडिटेशन को अपनाने तथा बिजी लाइफ को ईजी लाइफ बनाने के कई नुस्खे बताएं ।
इस दौरान उन्होंने अपने बारे में बताया कि उनके दिमाग का आधा हिस्सा ऑपरेशन के द्वारा निकाल दिया गया तथा उनके स्पाइन में 6 जगह हुक लगे हुए हैं! फिर भी वह अपना कार्य अनवरत कर रहे हैं। यह मनोबल का जीता जागता उदाहरण है!
कार्यक्रम में मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर एसपी सिंह विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे तथा मंच संचालन का कार्य डॉ श्रीमती शान्ति चौधरी ने किया।
कार्यक्रम में डॉ सपन श्रीवास्तव, डॉ शुभा पांडे, डॉ शुभ्रा घोष, डॉ सरला टंडन, डॉ लक्ष्यवीर सिकरवार, डॉ मनीष टंडन, डॉ विकास त्रिवेदी, डॉ अंबुज तिवारी डॉ विनीता सहाय, डॉ भारत, डॉ पूनम गुप्ता, डॉ पन्ना मिश्रा सहित शहर के तमाम डॉक्टर उपस्थित रहे।