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ज्योतिरादित्य के जीवन का विलक्षण पड़ाव

सिंधिया ने किया जन आकांक्षाओं का सम्मान

डॉ दिलीप अग्निहोत्री

मध्य प्रदेश में कांग्रेस बेहिसाब वादों के साथ सत्ता में पहुंची थी। लेकिन पन्द्रह महीनों के बाद भी कमलनाथ सरकार इस दिशा में बढ़ती हुई दिखाई नहीं दी। इसको लेकर आमजन ही नहीं कांग्रेस के भीतर भी नाराजगी थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इसी भावना को अभिव्यक्त किया है। ग्वालियर की राजमाता विजय राजे सिंधिया जनसंघ और भाजपा के प्रति आजीवन समर्पित रहीं थी। वह पार्टी की शीर्ष नेतृत्व में शामिल थी,वैचारिक आधार को मजबूत बनाने में उनका योगदान उल्लेखनीय था। मध्यप्रदेश में वह भाजपा सरकार के गठन का प्रयास करती रहीं। आपात काल में उंन्होने यंत्रणा झेली। उसके बाद वहां जनता पार्टी की सरकार बनी थी।

अब उनके पौत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया राजनीतिक जीवन की नई पारी शुरू कर रहे है। कांग्रेस की उपेक्षा और जन आकांक्षा को पूरा न करने से आहत होकर उन्होंने इस्तीफा दे दिया। इसी के साथ उंन्होने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है। उनके लिए यह जीवन का विलक्षण पड़ाव है। यह बात उनके बयान से जाहिर है।

उंन्होने कहा कि मेरे जीवन में दो तारीख काफी अहम रही हैं। इनमें तीस सितंबर दो हजार एक, जिस दिन अपने पिता को खोया। वह जिंदगी बदलने वाला दिन था। दूसरी तारीख दस मार्च ट्वेंटी ट्वेंटी रही। इस दिन उंन्होने जीवन में एक बड़ा निर्णय लिया है। जिसके तहत वह भाजपा में शामिल हुए है। सिंधिया ने कांग्रेस पर जो आरोप लगाए,वह हकीकत बयान करने वाले है। कांग्रेस वास्तविकता को देखना व समझना नहीं चाहती,नई विचारधारा और नेतृत्व को मान्यता नहीं देना चाहती। मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने वादे पूरे नहीं किए हैं। कांग्रेस में रहकर जनसेवा नहीं की जा सकती। सिंधिया के आरोप वास्तविकता को उजागर करने वाले है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने सरकार तो बना ली, लेकिन यह समझने का प्रयास नहीं किया कि मध्यप्रदेश के लोग चाहते क्या है। ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया कांग्रेस में अठारह वर्ष रहे।

पिछले विधानसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया गया था। जबकि कमलनाथ असर छिदवाडा तक सीमित था। बताया जाता है कि कमलनाथ के पुत्र का हस्तक्षेप सरकार में था। इससे भी नाराजगी थी।

उधर दिग्विजय अपने पुत्र को प्रदेश अध्यक्ष या मुख्यमंत्री बनाने के लिए जोड़ तोड़ कर रहे थे। इस माहौल में कमलनाथ की सरकार एक दिन भी ठीक से नहीं चल सकी। इस सरकार के गिरने में कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

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