सिर्फ बात से नहीं, अमल करने से मिल सकती है आपदा से निजात
वायरस का कहर बरकरार, फिर भी सरकार का फरमान ताक पर
ए अहमद सौदागर
लखनऊ।
जहां लापरवाही वहां वायरस का कहर। चाइना से कोरोनावायरस महामारी की हुई आमद ने मानों भारत सहित कई देशों की नींद हराम कर दी। इस महा कहर की चर्चा बूढ़ों, जवानों में नहीं, बल्कि देश व प्रदेश के बच्चों की जुबान पर है।
मगर कुछ बच्चों के ज़िम्मेदार माता-पिताओं की सोच नहीं बदलती नजर आ रही है। नतीजतन आज कोरोनावायरस के प्रकोप में गिरावट आने के बजाए फिलहाल इजाफा होता चला आ रहा है। गहनता से नजर डालें तो जैसे ही केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार थोड़ी सी छूट दी कि लोग-बाग ने अपने अनमोल जीवन से खिलवाड़ करना शुरू कर दिया।
देश व प्रदेश में फैली कोरोनावायरस महामारी पर काबू पाने और हराने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से अपील करते हुए जनता कर्फ्यू तथा लॉकडाउन लागू किया, ताकि हर कोई महामारी की चपेट में न आ सके।
27 मई 2020 को लॉकडाउन को 64 दिन पूरे हो गए, लेकिन देश व प्रदेश में कोरोनावायरस का कहर थमने के बजाए फिलहाल बढ़ता नजर आ रहा है।
कोरोनावायरस मुक्त अभियान यूपी में
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं सरकारी नुमाइंदों से लेकर पूरा प्रशासनिक अमला इस महा प्रकोप से बचने के लिए लोगों से अपील कर रहा है कि ज़िन्दगी अनमोल है, लिहाजा भीड़ से बचें। प्रधानमंत्री ने कई बार मन की बात के जरिए अवाम से अनुरोध किया कि इस दौरान बड़ी परेशानियों से लोगों को गुजरना पड़ रहा, इस बीमारी से बचने के लिए और कोई रास्ता नहीं है। फिर भी लोगों के के जेहन में यह खौफ नहीं है कि वे अकेले नहीं बल्कि उनके साथ उनका परिवार भी है। लिहाजा लोगों की लापरवाही के चलते लॉक डाउन अभियान दम तोड़ता प्रतीत हो रहा है।
लापरवाही पर एक नजर
राजधानी लखनऊ सहित यूपी के अलग-अलग जिलों में फैली कोरोनावायरस बीमारी के आंकड़े कहते हैं कि लापरवाही का ही नतीजा है कि गिरावट आने के बजाए वायरस लगातार बढ़त कर रहा है।
गौर करें तो सरकार ने ज़रा सी ढील क्या दे दी कि लोग-बाग ने बाजारों एवं गलियारों में जमकर भीड़ लगाना शुरू कर दिया। वहीं भीड़ को तितर-बितर करने के लिए जगह जगह तैनात पुलिसकर्मी समझाने का प्रयास करती है तो कुछ लोग उनकी बात पर अमल करने के बजाए खाकी वर्दी वालों से लड़ने झगड़ने पर अमादा हो जातें हैं।
इन बातों से जाहिर है कि चाहे कुछ भी शासन-प्रशासन कर ले, लेकिन कुछ लोग इस महामारी को हल्के में लेते हुए खुलेआम कानून-व्यवस्था की धज्जियां उड़ाने से बाज़ नहीं आ रहे हैं ॽ
फिलहाल इन लापरवाह लोगों के चलते पुलिस-प्रशासन को डांट-फटकार तथा लाठियां भांजने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। बात सिर्फ युवाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि बाजारों एवं गलियारों में नजर डालेंगे तो उम्रदराज लोग भी भीड़ लगाने से बाज़ नहीं आ रहे हैं।
किसी भी आपदाओं की बात करें तो वह जात-पात या फिर किसी भी मजहब का नाम लेकर कहर नहीं बरपाती वह जिसे चाहती है उसे अपनी चपेट ले लेती है। उदाहरण के तौर पर जैसे आग, बाढ़, तेज़ तुफान, स्वाइन फ्लू या फिर वर्तमान समय में चल रहा कोरोनावायरस जैसी महामारी का कहर।
सूबे की राजधानी लखनऊ सहित कई जनपदों में करीब दो माह से खतरनाक कोरोनावायरस का प्रकोप मंडराकर मानों हर मजहब वाले लोगों को इस कदर खौफ में डाल दिया कि लोगों की रातें फिलहाल दिन के बराबर गुज़र रही है।
सोचने की और गौर करने वाली बात है कि यह नहीं है कि ये महा बीमारी एक शख्स के लिए दुश्मन बनकर खड़ी है, बल्कि मानों हर एक के लिए मुसीबत का सबब बनकर खड़ी नजर आ रही है। इस आपदा से निपटने और उससे बचने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राज्य के मुख्यमंत्री लगातार लोगों से अपील करने में जुटे हुए हैं, लेकिन इसके बावजूद भी कुछ ऐसे लोग हैं जो एक दूसरे पर कमेंट करने से बाज आते नहीं नजर आ रहे हैं ॽ
सवाल है कि आखिर इस महा प्रकोप के दौर में सामाजिक जिम्मेदारी निभाने वाले लोग क्यों असमाजिक राह पर चलने की कोशिश में लगे हैं ॽ
दो माह के भीतर कुछ जनपदों से कई बार ऐसी खबरें सुनने आईं कि इस कोरोनावायरस जैसी फैली बीमारी से बचने के बजाए लोग एक दूसरे पर कमेंट कर मारपीट करने पर अमादा हों रहें हैं। इससे यही लग रहा है कि लोगों की इच्छाशक्ति शायद गुमराहियत में आकर पूर्वजों के मेल और मुहब्बत को भुला बैठे हैं। शायद यही वजह है कि कोरोनावायरस चित होने के बजाए बढ़ता जा रहा है।
केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों के अपील के बावजूद भी गंगा जमुनी तहज़ीब जैसे देश में रहने वाले लोग महामारी से निपटने और उससे बचने के लिए लोगो में सुधार के लिए कोई पहल नहीं हो पा रही है।
राजधानी लखनऊ सहित यूपी के करीब सभी जनपदों में चल रहे लाकडाउन के दौरान लापरवाह कुछ ऐसे लोग हैं, जो किसी न किसी काम का हवाला देकर व्यवस्था को सुधारने में संबंधित विभाग या फिर बैरिकेडिंग पर तैनात पुलिसकर्मियों को गुमराह करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
एक दूसरे से दूरियां बनाकर रहने और कोरोनावायरस को हराने के लिए केन्द्र सरकार और यूपी सरकार चौथी बार लॉक डाउन की व्यवस्था करनी पड़ी ताकि लोगों को इस महा आपदा से निजात मिल सके। लेकिन जैसे ही थोड़ी सी मोहलत दी गई कि लोग फिर कानून-व्यवस्था की धज्जियां उड़ाते हुए मधुशाला, बाजारों एवं गलियारों में भीड़ जमा कर शासन प्रशासन की पूरी मेहनत पर पानी फेर कर अपनी अपनी जिंदगियों से खिलवाड़ करना शुरू कर देते हैं ॽ
हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार मन की बात के जरिए लोगों को संबोधित कर समझाने में जुटे हुए हैं कि इस दौरान लोगों को कष्ट है, लेकिन इस बीमारी से बचने के लिए एक ही रास्ता है, Social Distancing का।
वहीं कुछ ऐसे लोग जो आरोप लगाते फिर रहे हैं कि सरकार जरूरतमंदों को पूरी तरह से मदद नहीं कर पा रही है। हालांकि हर राशनकार्ड धारकों को निशुल्क राशन वितरण किया जा रहा है। वहीं कुछ दिहाड़ी मजदूरों के बारे में उस दिन देखने को मिला था, जो शराब की दुकानों पर जमकर शराब की खरीदारी की।
जनहित की नजरों से देखेंगे तो लॉक डाउन के दौरान यहां बीमारी से बचने और कोरोनावायरस को हराने के लिए भेदभाव मिटाकर एकजुट होना होगा, तभी इस महामारी से जीत हासिल हो सकती है, लिहाजा भेदभाव छोड़ो कोरोना से लड़ो।
फिलहाल इन लापरवाहियों के चलते कोरोनावायरस का प्रकोप घटने के बजाए हर रोज़ तेजी से पांव पसारता नजर आ रहा है।