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युवा जिन्दगी का नया आगाज और बेनामी रिश्तों की दास्ताँ

अनुरोज

फिल्म समीक्षा – जवानी जानेमन
पात्र- सैफ अली खान, अलाया फर्नीचरवाला, तब्बू, फरीदा जलाल।
निर्देशक – नीतिन कक्कड़

‘जवानी-जानेमन’ एक ताजी सी लगने वाली फिल्म है। यह फिल्म आज की जनरेशन को पारम्परिक मूल्यों से अलग नये विचार और उनकी स्वतन्त्रता को सामने लाती है। नीतिन कक्कड़ फिल्मिस्तान और मित्रों जैसी फिल्मों से पहले ही बता चुके हैं कि पुरानी लकीर पीटने वाले निर्देशक नहीं हैं बल्कि समय और समाज को लेकर उनकी अपनी एक निजी सोच समझ है । यह यूनिक है या नहीं यह अलग बात हो सकती है पर यह समझ उनकी निजी है किसी तरह की नकल नहीं। यही वजह है कि अपनी पिछली दोनों फिल्मों की तरह इस बार भी वह नये और हिन्दी सिनेमा में लगभग अनछुए से किस्से के साथ सामने आये हैं । यह नयापन किसी खास तरह के चम्तकार के बिना भी अच्छा लगता है।
जवानी जानेमन आज के युवा पर केंद्रित फिल्म है। फिल्म का नायक जसविंदर उर्फ जैज एक दिलफेंक और आजाद ख्याल 40 साल का आदमी है। वह जिन्दगी को रूमानियत के लिहाफ में लपेटकर जी लेना चाहता है। शराब और लड़कियों के साथ मीठी सी रातें गुजारना और जिन्दगी में बस मस्त रहना ही कमोवेश उसकी जिन्दगी का मकसद है।

जिन्दगी के सीधे रास्ते भी उतने सीधे नहीं होते जितने सीधे लगते हैं यही जैज के साथ भी होता है। एक दिन उसकी जिन्दगी में 21 साल की लड़की टिया आती है। जैज टिया के साथ भी बाकी लड़कियों की तरह फलर्ट करना शुरू कर देता है, पर अचानक उसे पता चलता है कि यह उसकी अपनी ही बेटी है और बिना शादी के वह प्रेग्नेंट भी है। यह जैज के लिये किसी मानसिक तूफान की तरह होता है। वह फिर से उसी तरह भागना चाहता है जैसे कभी पिता होने की जिम्मेदारी से भागा था। जैज जिन्दगी और रिश्ते के एक भयावह से दोराहे पर खुद को खड़ा पाता है। इस मुश्किल से जैज कैसे निकलता है यह जानने के लिये आपको थियेटर जाना होगा।
सैफ अली खान अपने मिजाज के रोल में हैं, जैज के किरदार को सैफ ने संजीदगी और गम्भीरता से निभाया है। अलाया फर्नीचर वाला की यह पहली फिल्म है पर उन्होनें पूरी ईमानदारी से अपना रोल निभाया है। तब्बू को स्क्रीन स्पेश बेहद कम मिला है जिससे वह क्षमता का बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाती फिर भी जब वह स्क्रीन पर होती हैं तब फिल्म का ग्राफ ऊपर उठ जाता है। फिल्म का संगीत सामान्य दर्जे का है। कैमरे का काम अच्छा है। नई सी इस कहानी को फिलहाल देखा जा सकता है। इस फिल्म को देखते हुये आप सामजिक बदलाव की नई जमीन महसूस करेंगे।

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