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फिल्मसमीक्षा-‘मजबूत कप्तान की कमजोर नाव है – लाल कप्तान’

कुमार विजय

फिल्म- लाल कप्तान

निर्देशक – नवदीप सिंह

कलाकार- सैफ अली खान, सोनाक्षी सिन्हा, मानव विज, जोया हूसैन, दीपक डोबरियाल

सैफ अली खान के लुक को लेकर लाल कप्तान काफी समय से चर्चा में बनी हुई थी पर अब फिल्म जब सामने आ गई है तब सब कुछ ताश के पत्तों की तरह ढहता नजर आ रहा है। उम्मीदों का महल सिर्फ और सिर्फ सैफ अली खान के लुक का था बाकी फिल्म अपने पीरियाडिक ड्रामें में कहीं से भी कोई कमाल करती नहीं नजर आ रही है।

नवदीप सिंह पुराने निर्देशक हैं उन्हें सिनेमा की अच्छी समझ है अपनी पुरानी फिल्म मनोरमा अंडर 6 फीट और नएच10 में इसे बखूबी साबित भी किया है पर इस बार वह बुरी तरह से आउट आफ ट्रैक हो गये हैं।

पहली बार नागा साधू को सिनेमा की मुख्यधारा में शामिल कराते हुये उन्होने विषय में कुछ भी नया नहीं किया। रिवेंज यानी बदले की भावना से जलता हुया एक हिन्दू साधू अपने दुश्मन रहमत से बदला लेने के लिये निकल पड़ा है । समाज की मुख्यधारा से कटकर रहने वाले नागा साधू के विषय को उठाते हुये नवदीप उस साधुत्व के करीब नहीं जा पाते जहां एक नागा साधू को नागा जीवन में प्रवेश मिलता है।

कहानी 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध के आस पास की है । अंग्रेज भारत में अपना औपनिवेशिक बिस्तार करने में लगे हैं और हिन्दुस्तानी शासक आपसी लड़ाई में मशगूल हैं । इस हिंसात्मक माहौल में एक नागा साधू गोंसाई  की इन्ट्री होती है जो अपने आप में वन मैन आर्मी जैसा है । वह रहमत खान से बदला लेना चाहता है। फ्लैश बैक से पता चलता है कि क्रूर रहमत खान की वजह से एक बच्चे और उसके पिता को फांसी पर लटका दिया गया था। फांसी से ना मरने वाला वह बच्चा ही अब साधू गोसाई बन चुका है।

लम्बे समय बाद सैफ अली खान एक उम्दा परफार्मेंस देते हुये दिखते हैं पर फिल्म के सपाट कैनवास पर सैफ का जादू बहुत असरदार नही साबित हो पाता। तमाम हिंसक दृश्यों के बावजूद फिल्म की धीमी गति चुभती रहती है। ढाई घन्टे के इस  फिल्म से 20 मिंट की फिल्म कम की गई होती तो शायद फिल्म और भी बेहतर बन सकती है। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी फिल्म का शानदार पहलू है।

सैफ अली खान को अब तक के सबसे बेहतरीन रोल में देखने के लिये और सिनेमा में इतिहास की प्रतिध्वनि  सुनने के लिये इस पीरियड फिल्म को देख सकते हैं। यह अलग बात है कि इस फिल्म में दिखने वाले इतिहास का कोई एतिहासिक सरोकार नही है ।निर्देशक नवदीप की यह अब तक की सबसे कमजोर फिल्म के रूप में अपना नाम दर्ज कराने में जरूर सफल होगी।

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