‘यहां तो हमारे लिए परदेस है साहब। मेरठ से आए थे सरकारी टेक्नोलॉजी सेंटर बन रहा था। काम बंद करके ठेकेदार समेत सारा स्टाफ चला गया। हम 35 मजदूर ही बचे हैं। मेरठ जाना है, मदद कर दीजिए’। जेके जूट मिल के पास मौजूद लोग यह कहते हुए फफक पड़े। इन मजदूरों ने डीएम से मिलकर मेरठ पहुंचाने की गुहार लगाई तो उन्होंने सीओ कोतवाली के पास भेजा। सीओ ने कहा कि गाड़ी और चालक का इंतजाम करके कागज समेत लाओ। हम परमिट बनवा देंगे जाने का। चालक को भी लौटने का परमिट यहीं से मिल जाएगा।
परमिट के लिए गाड़ी कहां से लाएं
स्मार्ट सिटी के सेंट्रल कंट्रोल पर टोल फ्री नंबर 18001805159 पर कॉल की तो बताया गया कि दोपहिया हो तो एक सवारी को परमिट मिलेगा, चार पहिया हो तो चालक समेत 2 लोग ही बैठ सकेंगे। यह सुनकर सभी निराश हो गए। क्योंकि नियमों के मुताबिक 35 लोगों को जाने के लिए कम से कम 18 गाड़ियों का इंतजाम करना इनके लिए बड़ी चुनौती है। देर शाम तक सभी आपस में चंदा करने में जुटे थे।
व्यवस्था हो भी गई तो जाएंगे खाली हाथ
समस्या यह भी थी कि अगर यह किसी तरह व्यवस्था करने में सफल भी हो गए तो मेरठ में परिवार को देने के लिए शायद ही कुछ बचे। इनमें प्रदीप, किशन, सतीश, गुलजार, सादिक, सुनील, नईम, इमरान और छोटू समेत सभी 35 लोग मेरठ के अलग- अलग इलाकों के रहने वाले हैं। बताते चलें कि जेके जूट मिल के पास एमएसएमई द्वारा एक टेक्नोलॉजी सेंटर बनाया जा रहा था। उसी में ये काम कर रहे थे।