22 मार्च के जनता कर्फ्यू से बंद हुए सरकारी दफ्तर 29 दिन बाद सोमवार को खुल जाएंगे। लॉकडाउन के चलते पाबंदियां तो लगी रहेंगी लेकिन एक महीने से वीरान पड़े दफ्तरों में कुछ रौनक आएगी। सबसे अच्छी बात यह है कि इस बीच सरकारी योजनाओं को गति मिलेगी। जिससे जनहित के काम गति पकड़ेंगे। खुलने से एक दिन पहले सरकारी दफ्तरों को अच्छे से सेनिटाइज किया गया। दफ्तरों में कुर्सियां छह-छह फीट की दूरी पर लगाई गई हैं, जिससे कर्मचारियों में संक्रमण का खतरा न रहे।
शासन ने सोमवार से सरकारी दफ्तरों को खोलने की अनुमति दी है। 33 फीसदी की उपस्थिति के नियम के अनुसार दफ्तरों को खोला जाएगा। इस दौरान न तो जनता दर्शन होगा और न ही आम नागरिकों को प्रवेश अनुमति होगी। सिर्फ सरकारी कामकाज किए जाएंगे। विकास भवन के सभी कार्यालयों में कर्मचारियों के रोस्टर तैयार किए गए हैं। 33 फीसदी के नियम का पालन करते हुए ड्यूटी लगाई गई है।
विकास भवन के वाररूम, सीडीओ, डीडीओ और डीपीआरओ के दफ्तर को सेनिटाइज भी किया गया। विकास भवन खुलने से वृद्धा पेंशन, दिव्यांगजन पेंशन, छात्रवृत्ति, पोषाहार योजना, वन विभाग की योजनाओं को पूरा किया जा सकेगा। ऑनलाइन आवेदन आएंगे और इन कामों को किया जाएगा। आबकारी विभाग खुलने से दूसरे चरण की लॉटरी की प्रक्रिया के सरकारी काम पूरे किए जाएंगे।
सोशल डिस्टेंसिंग की हुई व्यवस्था
दफ्तर में सोशल डिस्टेंसिंग की व्यवस्था हुई है। विकास भवन, कलक्ट्रेट्र मनोरंजन कर विभाग, कोषागार, सदर तहसील, एजी ऑफिस, लोक फंड ऑडिट विभाग, खनन विभाग आदि सभी दफ्तरों में कर्मचारियों की कुर्सियां दूर-दूर लगाई गई हैं। जिससे शासन के निर्देश का पूरा पालन हो सके।
रेलवे अपनी जरूरत देख रहा है
रेलवे अपनी जरूरत के अनुसार लोगों को बुलाने के लिए देख रहा है। वर्तमान में भी कुछ कर्मचारी रेलवे के दफ्तरों में आ रहे हैं। अगर इनसे काम चल जाएगा तो दूसरे लोगों को नहीं बुलाया जाएगा। अगर काम नहीं चला तो फिर सभी को बुलाना होगा। रोडवेज में रोस्टर तैयार किया जा रहा है। आयकर और वाणिज्य कर में 33 फीसदी कर्मचारियों को काम पर बुलाया गया है।
इन निमयों का करना होगा पालन
- ए व बी ग्रेड के सभी अधिकारी आवश्यक रूप से दफ्तर आएंगे।
- सी व डी ग्रेड के कर्मचारियों का रोस्टर तैयार कर उन्हें बुलाया गया है।
- हर घंटे पर कर्मचारियों को हाथ साफ करने का निर्देश।
- दफ्तरों में सोशल डिस्टेंसिंग का हर हाल में पालन करना होगा।
- 33 फीसदी कर्मचारी ही दफ्तर बुलाए जाएंगे जिनका काम होगा बेहद जरूरी।