Home / Slider / कहानी संग्रह “बेटियों का घर”: नारी के वैविध्यपूर्ण संदेशों का जोड़: प्रेमा राय

कहानी संग्रह “बेटियों का घर”: नारी के वैविध्यपूर्ण संदेशों का जोड़: प्रेमा राय

प्रयागराज।

महिला काव्य मंच प्रयागराज ईकाई के तत्वावधान में अध्यक्ष रचना सक्सेना और महासचिव ऋतन्धरा मिश्रा के संयोजन में 19 जुलाई से प्रारम्भ की गई पुस्तक परिचर्चा के अंतर्गत 9 अगस्त दिन रविवार से उपन्यासकार एवं कहानीकार मीरा सिन्हा के कहानी संग्रह “बेटियों का घर” पर केन्द्रित परिचर्चा प्रारम्भ की गयी जिसमें अनेक महिला साहित्यकारों ने उनके कहानी संग्रह पर अपने समीक्षात्मक विचार प्रस्तुत किए।

इनमें वरिष्ठ साहित्यकार प्रेमा राय ने कहा कि ‘बेटियो का घर “कहानियों का वह संग्रह है जिसमे नारी के वैविध्यपूर्ण को उन सन्देशों के साथ जोड़ा गया है जो आधुनिक समाज के लिए अपेक्षित है। “आगे वह कहती है कि वस्तुतः मीरा सिन्हा की समस्त कहानियों का निचोड़ उनकी कहानी, स्वर्ण प्रतिमा मेें है -नारी जीवन उस स्वर्णनिर्मित प्रतिमा की भांति है जो ऊपर से सुन्दर, चमकीली,ठोस और मूक है पर अन्दर वेदना,आघात, करुणा और दर्द को समेटे सहिष्णुता की ही प्रतिमूर्ति है जिसका रुदन, चीत्कार अदृश्य है।

वरिष्ठ साहित्यकार सुश्री देवयानी के अनुसार मीरा सिन्हा की कहानियाँ नारी मन को उजागर करती है,न केवल उन्होंने नारी मन को बड़े सूक्ष्म भाव से टटोला उन्होंने पुरुष मन का भी ख्यात रखा ।कहानियों मे एक सुन्दर सामंजस्य है ठीक तराजू की तरह कोई गिरे नहीं।

पूर्व सहायक सचिव माध्यमिक शिक्षा प्रयागराज एवंं वरिष्ठ साहित्यकार जयमोहन के अनुसार ‘यह कहानी संग्रह पौराणिक से आधुनिक तक जोड़ कर मनोरंजन के साथ ज्ञान तक से अवगत कराती हैं बेटियो का घर कहानी आज बच्चों की स्वार्थ परकता उजागर करती है।

बहुमुखी प्रतिभा की धनी सुश्री ऋतंधरा मिश्रा लिखती हैं ‘मीरा सिन्हा की सहित्य रचना अद्भुत है। स्त्री के विविध रूपों को चरितार्थ करती हर रुप में स्त्री का संघर्ष और रिश्तों के मध्य सामन्जस्य को बखुबी पिरोया है वही नारी के आत्म सम्मान को भी झुकने नहीं दिया।

श्रेष्ठ गजलकारा सुश्री सुमन दुग्गल के अनुसार ‘मीरा सिन्हा ने अपनी कहानियों के भीतर त्वरित वेग से घटती अन्तर्घटनाओ को परस्पर अच्छे तरीके से बुना है।

प्रयाग महिला विद्यापीठ की एसोसियेट प्रो. डा. ऊषा मिश्रा कहती है ‘कहानियाँ प्रेरणा पद एवं स्वप्नो की गाँठ खोलती है घटनाओं को स्थूल रुप मे कोई भी देख सकता है,उनको वही समझ सकता है जिसकी कल्पना सजीव हो लेखन में ताजगी और बेधाड़कता जितनी मीरा सिन्हा में है, उतनी पेशेवर साहित्यकार में नही होती।

हेमवती नंदन बहुगुणा स्नातकोत्तर महाविद्यालय की एसोसिएट प्रोफेसर डा. सविता श्रीवास्तव के अनुसार ‘मीरा सिन्हा ने साहित्य के अनेक विधाओं मे लेखन कार्य किया है ।आत्म-कथा,संसमरण, ललित निबंध, कविता, कहानी, उपन्यास आदि मे उनकी रचनाये प्रकाशित हो चुकी हैं। मुख्यत:मीरा सिन्हा एक कथाकार हैं।

मीरा सिन्हा के चार कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। बेटियो का घर चौथा कहानी संग्रह है जिसमे 20 कहानियाँ है और सभी उच्चकोटि की है।

खेलगांव की शिक्षिका रेनू मिश्रा के अनुसार बड़े ही सुगमता के साथ मनोवैज्ञानिक ढंग से ” डर का साया”, “बेटियों का घर” पाठको के समक्ष रखा है। व्यंग्यात्मक शैली का बहुत सुंदर प्रयोग आपकी कहानियों में दिखाई देता है। कुछ प्रशंसकों ने भीं मंच पर इस संग्रह की समीक्षायें भेजी है।

लखनऊ की सेंट मदर टेरेसा डे स्कूल की अवकाश प्राप्त हिन्दी की सीनियर प्रवक्ता शुभा श्रीवास्तव ने लिखा है ‘कुशल लेखिका ने अपनी लेखनी से कठपुतली की ही भान्ति कभी हँसाया है, कभी रुलाया है तो कहीं हतप्रभ किया है। नोटबंदी और मैने मतदान किया में राजनीतिक व्यंग्य है कैसे लेखिका जैसी बुद्धिजीवी भी कुछ समझ ना पाने के कारण मक्खी पर मोहर लगा देती है।

हिमाचल प्रदेश से ज0न0वी0की स्नातकोत्तर शिक्षिका निधि श्रीवास्तव के अनुसार ‘घनिष्टता ही अवज्ञा को जन्म देती हैं। “बेटियों का घर” इसका प्रमाण हैं। बेटी हो या बेटा कौन ज्यादा प्रेम करता है इसकी जनक परिस्थितिया ही होती है। संकर्षण, तूफान, भूकंप आदि कथाये चलचित्र की भान्ति आँखो के सामने विचरण करने लगते है।

अंग्रेजी थ्रिलर उपन्यास ‘अश्वमेघ “की सुप्रसिद्ध लेखिका अपर्णा सिन्हा के अनुसार’वैसे तो मै मीरा सिन्हा की रचना धर्मीता की ही कायल हूँ और उनका लिखा सब कुछ पसंद आता है पर इस संग्रह की लैपटॉप और रिलेशनशिप की कहानियाँ युवा पीढी की मानसिकता को दर्शाती है।

जवाहर नवोदय विद्यालय रिकोंग्पीयोके प्रिन्सिपल अरुण कुमार श्रीवास्तव के अनुसार ‘लेखिका द्वारा रचित कहानी संग्रह अत्यंत ह्रदयस्पर्शी है एवम दिल को छूती हैं ऐसा प्रतीत होता है मानो घर पर घर की कहानी हो सटीक चित्रण बहुत बारीकी से किया गया है ये संग्रह पाठको को आकर्षित करने मे सफल हुआ है। वरिष्ठ लेखिका उमा सहाय कहती है कि प्रस्तुत कहानी संग्रह “बेटियों का घर”में प्रत्येक कहानी की आधारशिला एकदम प्रथक है। समाज और संसार का निरीक्षण करने की उनकी क्षमता अत्यंत पैनी है ; तभी पात्रों का चरित्र चित्रण तथा उनके द्वारा किए हुए संवाद इतने सटीक बैठते हैं कि पाठक के हृदय में सीधे उतर जाते हैं जो कहानी लेखिका के सफल लेखन को दर्शाते हैं।

कवयित्री उर्वशी उपाध्याय के अनुसार कहानी में तारतम्यता, प्रवाह, शब्द संयोजन इतना प्रभावी है कि, स्वत खत्म होने तक रुकने की आवश्यकता ही महसूस नहीं होती। घर परिवार के या आज के माहौल के छोटी – छोटी सी घटनाएं छोटे – छोटे से मनोभावों को कहानियों में इतनी सहजता से उकेरा है कि, प्रत्येक कहानी में जीवन का एक बीता हुआ पल अवश्य महसूस होता है।वरिष्ठ कवयित्री कविता उपाध्याय के अनुसार कहानियों पर उनका एकाधिकार है बहुत ही खूबसूरती से वह कहानी के माध्यम से अपनी बात समाज में रखती हैं।

महिला काव्य मंच प्रयागराज ईकाई की अध्यक्ष रचना सक्सेना हती है कि आपके लेखन की महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि आपकी कहानियों में इतना अधिक प्रवाह है कि पाठक उसको पढ़ते पढ़ते उसी की धारा में बह कर उसी में खो सा जाता है और ऐसा अहसास करता है कि कहानी के पात्र किसी न किसी रुप में उसके इर्द-गिर्द घूम रहे है। भाषा बहुत सरल है और शिल्प सधा हुआ है। इस पुस्तक की सभी कहानियाँ संदेशपरक है कवयित्री ललिता नारायणी के अनुसार मीरा जी का दृष्टिकोण विस्तृत है । उनके नारी विमर्श का अर्थ सिर्फ नारी और पुरुष का टकराव नहीं है, प्रत्येक कहानी बहुत सुंदर बन पड़ी है और अपना सटीक संदेश छोड़ती है ।निश्चय ही हिंदी साहित्य में इस कृति का भव्य स्वागत होगा। डा. सरोज सिंह कहती है कि एक संवेदनशील रचनाकार की भाँति मीरा सिन्हा ने अपनी कहानियों में समसामयिक परिदृश्य भी रेखांकित किया है “मैनें मतदान किया”, “नोटबंदी”, “अच्छे दिन आएगें जैसी कहानियां बहुत प्रभावी है। वह आगे कहती है कि कथावस्तु, पात्र योजना, संवाद तथा परिवेश की दृष्टि से कहानियों में आकर्षण है पाठक को सहज ही आकृष्ट करती है।

शायरा डा. नीलिमा मिश्रा के अनुसार समाज की कड़वी सच्चाइयों का आईना है मीरा सिन्हा की कहानियों का संग्रह “बेटियों का घर”। इस कहानी संग्रह में मीरा सिन्हा ने बड़ी ही सहजता से नारी पर हो रहे ज़ुल्मो सितम, रिश्तों के खोखलेपन, नारियों पर दोहरा बोझ, लैंगिक भेदभाव, दहेज की समस्या के साथ- साथ लिविंग रिलेशनशिप और महानगरों की जीवन शैली पर बड़ी करारी चोट की है। डा. पूर्णिमा मालवीय कहती है कि प्रसिद्ध कहानी संग्रह “बेटियों का घर” उनका ऐसा कहानी संग्रह है, जिनकी परत दर परत जितना पढ़िए उतना ही नवीनतम बातें दृष्टिगत होती हैं। 20 कहानियों का संग्रह पृथक पृथक समस्याओं को अपने ढंग से सुलझाता हुआ प्रतीत होता है। ”

मीरा सिन्हा की पुस्तक पर चल रही यह परिचर्चा आज सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई।

रचना सक्सेना
अध्यक्ष, महिला काव्य मंच प्रयागराज ईकाई 

Check Also

No judicial work to Mr. Justice Yashwant Varma…: “हम कूड़ेदान नहीं हैं”: इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन

जस्टिस वर्मा नकदी मामले में SC ने जारी किया स्पष्टीकरण, कहा, “अभी ट्रांसफर नहीं हुआ” ...