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“श्री राम के जीवन मूल्यों का अनुकरण आवश्यक”: मलय मिश्रा

प्रयागराज।

माध्यम रंगमंडल की ओर से ” श्री राम की सार्वभौमिकता व रामराज्य “ विषयक बौद्धिक परिसंवाद का आयोजन किया गया, जिसमें बुद्धिजीवियों ने अपने विचार रखे।

श्रीराम सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स रंगमंडल के पूर्व कलाकार व वरिष्ठ अभिनेता मलय मिश्रा ने कहा श्रीराम की विशेषताएं एवं कार्यप्रणाली सदा की भांति आज भी प्रासंगिक हैं। श्रीराम की न्याय, समता, बंधुत्व आदि की भावना, मनुष्य जीवन को श्रेष्ठता की ओर प्रेरित करती है जबकि उनकी नैतिकता मानव-मन को । इसीलिए राम तथा रामराज्य का पूर्णतः औचित्य तथा प्रासंगिकता आज भी है। आज आवश्यकता है कि हम श्री राम के जीवन मूल्यों का अनुकरण करते हुए आदर्श व्यक्तित्व और आदर्श समाज की स्थापना करें ।

आरंभ में विषय प्रवर्तन करते हुए संस्था के सचिव व वरिष्ठ निर्देशक विनय श्रीवास्तव ने कहा कि श्री राम भारतीय जनमानस के अवचेतन में समाए हैं इसीसे श्री राम की सार्वभौमिकता सिद्ध होती है। रही बात रामराज्य की तो रामराज्य की परिकल्पना आदर्श शासन की संकल्पना है जहां सभी सुखी हों, सदाचारी हों तथा वहां का शासन सभी के लिए मंगलकारी हो।

वरिष्ठ रंगनिर्देशक व अभिनेता डॉ अशोक कुमार शुक्ला ने कहा मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का चरित्र समस्त मानव जाति के लिए प्रेरणा का श्रोत है । उन्होंने अपने जीवन में प्रत्येक चरित्र को बखूबी जिया है । इसीलिए आज भारत के जन जन में और कण कण में वे दृष्टगोचित हैं । जीवन मूल्यों का अनुसरण करते हुए श्री राम ने एक आदर्श समाज की स्थापना में अपना योगदान दिया । आज समाज द्वारा उनके दिखाए हुए रास्ते को आत्मसात करने की प्रबल आवश्यकता है तभी रामराज्य की परिकल्पना पल्लवित और पुष्पित हो सकेगी ।

आकाशवाणी कॉम्पीयर व अभिनेत्री प्रतिभा नागपाल ने कहा “सगुण ब्रह्म स्वरूप सुंदर सुजल रंजन रूप सुख कर” मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जिनका त्याग सर्वश्रेष्ठ है । श्रीराम अपार हैं , जिनका विस्तार अनंत है। श्री राम मर्यादा की वो परिधि हैं जिसका विस्तार असीमित है। आज के परिवेश में उनके गुणों को समाहित कर हम परिपूर्ण समाज, देश, विश्व की कल्पना कर सकते हैं । राम इस समाज की आत्मा हैं, जिनके गुण चिरंतन है और उनके गुणों का बखान वांछनीय हैं । राम आदर्श का वो धरातल हैं । जिसमें समग्रता के पुष्प पल्लवित होते हैं । उनकी सार्वभौमिकता अमिट है ।

वरिष्ठ लेखक व अभिनेता सुधीर सिन्हा ने कहा श्री राम के जीवन पर गौर किया जाय तो बात चाहे राजपाठ को छोड़ने की हो या परम्पराओ के निर्वहन की हो सभी का सामना उन्होंने बड़ी ही सहजता से किया और मर्यादापुरुषोत्तम कहलाये। श्री राम का अनुसरण करके ही आदर्श जीवन को सहजता के साथ जिया जा सकता है। श्री राम की सार्वभौमिकता को कोई मिटा नही सकता क्योंकि राम नाम अमिट और अमर हैं। जब तक धरती रहेगी रघुनन्दन का अभिनन्दन होता रहेगा।

सुप्रसिद्ध कवियित्री जया मोहन ने कहा मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का नाम इस देश की सनातनता सार्वभौमिकता है। स्वयं ही ईश होते हुए भी नर रूप में आए श्री राम ने मानवीय मूल्यों का संवहन किया। उन्होंने बताया कि राजा के लिए प्रजा पालन लोक रंजन हेतु अपने सुखों की बलि देनी होती है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की सार्वभौमिकता स्पष्ट परिलक्षित होती है । श्री राम के बताएं मार्ग सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि समस्त भूमंडल के लिए संदेश हैं।

परिसंवाद में अखिलेश प्रजापति, अंशु श्रीवास्तव, अनुज कुमार, राहुल बरन, ओम श्रीवास्तव और प्रशांत आनंद शामिल रहे । संयोजन संस्कृति परिषद ने किया ।

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