देश में लगे लॉकडाउन के दौरान दूरदर्शन पर प्रचलित धार्मिक सीरियल ‘महाभारत’ का प्रसारण जारी है। दर्शक इस सीरियल को बहुत पसंद कर रहे हैं। अब तक आपने देखा कि पांडव भाई वनवास में रह रहे हैं। इस बीच दुर्योधन को गंधर्व बंदी बना लेते हैं, लेकिन भीम और अर्जुन उन्हें छुड़ा लेते हैं। भीष्म कहते हैं कि दुर्योधन की जान बचाने के लिए उन्हें पांडवों को शुक्रिया कहना चाहिए और उन्हें घर वापस लेकर आ जाना चाहिए। वहीं, इतने में कर्ण ऐसा करने से मना करते हैं। क्योंकि पांडवों के खिलाफ उनके दिल में भी आग जल रही है। अब देखिए आज के एसिपोड में क्या हुआ…
07.58 PM द्रौपदी, पांडव भाइयों को भोजन परोस रही हैं। वह कहती हैं कि तुम लोगों की ये दशा मुझसे देखी नहीं जाती हैं। इस पर युधिष्ठिर कहते हैं कि अगर ऐसा है तो वापस चली जाओ। द्रौपदी कहती हैं कि युधिष्ठिर का क्रोध नजर नहीं आता है। यह बात सुनकर युधिष्ठिर, द्रौपदी को समझाते हैं। वह कहते हैं कि अपनी क्रोध की अग्नि के क्रोध को धीमा करो। इस पर भीम का गुस्सा फूट पड़ता है और वह उठकर बाहर चले जाते हैं।
07.55 PM शकुनि ऋषियों को भोजन करा रहे हैं। तभी दुर्योधन शकुनि से मिलने के लिए पहुंचते हैं। वह मामा से कहते हैं कि इन ऋषियों को यहां से भगाओ। यह बात ऋषिवर सुन लेते हैं और गुस्सा हो जाते हैं तभी शकुनि उन्हें समझाते हैं कि दुर्योधन तो पांडव भाइयों को याद कर रहा है। यह सुनकर ऋषिवर खुश हो जाते हैं।
07.50 PM कर्ण, राजसभा में पहुंचते हैं। उन्हें देखकर हर कोई हैरान है। दुर्योधन राजसभा कर्ण की जयकार जयकार लगवाते हैं। इसी बीच कर्ण धृतराष्ट्र को नमस्कार करते हैं। भीष्म कहते हैं कि पांडवों के साथ संधि करने में ही सभी की भलाई है। इस पर दुर्योधन कहते हैं कि ऐसा नहीं हो सकता है। पांडव हमारा कुछ नहीं कर सकते हैं। मेरे लिए मेरा दिव्यास्त्र मेरा मित्र कर्ण हैं।
07.37 PM इस दौरान वहां पर एक धनुर्धारी पहुंचता है। वह कहता है कि यह पशु मेरा शिकार मेरा है। दोनों के बीच तीखी बहस होने लगती है। तभी धनुर्धारी अर्जुन को डराने के लिए हमला कर देता है। यह देखकर अर्जुन, धनुर्धारी को नमस्कार करते हैं। वह धनुर्धारी कोई और नहीं बल्कि महादेव निकलते हैं और वह अर्जुन को पाशु पास्त अस्त्र दे देते हैं।
07.35 PM अर्जुन, महादेव को खुश करने लिए तपस्या कर रहे हैं तभी वहां पर राक्षस पहुंचता है। वह जानवर के भेष में अर्जुन पर हमला करने की कोशिश करता है तभी अर्जुन उसे तीर से मार देते हैं।
07.30 PMअर्जुन, इंद्र से दिव्यास्त्र मांगते हैं। इंद्र कहते हैं कि इसके लिए महादेव को प्रसन्न करो। उसके बाद ही कुछ हो सकता है। दूसरी तरफ, दुर्योधन राक्षस को बुलाते हैं और उसे कुंती पुत्र अर्जुन की हत्या करने के लिए भेजते हैं।
07.27 PMअर्जुन, दिव्य अस्त्रों के लिए इंद्र की तपस्या कर रहे हैं। इंद्र प्रकट होते हैं और अर्जुन से पूछते हैं कि मुझसे कितनी प्रतीक्षा कराओगे। अर्जुन उनके चरणों को छूते हैं। इंद्र पूछते है कि मांगों क्या चाहिए। अर्जुन कहते हैं कि मुझे दिव्य अस्त्र चाहिए।
07.25 PM कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि युद्ध के लिए दिव्य अस्त्र की खोज करो। इंद्र तुम्हें ये अस्त्र देंगे। तुम्हारे पास ये अस्त्र होने चाहिए। ऐसा नहीं है सिर्फ तुम युद्ध की तैयारी कर रहे हो, दुर्योधन भी तैयारियां कर रहा है।
07.20 PM कृष्ण ने कहा जिन्होंने तुम्हारा अपमान किया है वो सब अपने पति की मृत्यु पर विलाप करेंगे। मै चाहता तो नहीं हूं लेकिन यह युद्ध होगा। इसलिए युद्ध की तैयारियां कीजिए।
07.15 PM मैं तुम्हारी सखी हूं और दुशासन ने तुम्हारी सखी को बालों से पकड़कर से खींचता हुआ भरी सभा में ले गया। दुर्योधन ने मुझे दासी कहा। ऐसे में उन महावीरों को क्या कहूं,जिन्होंने कुछ नहीं बोला। जिन्होंने चुपचाप अपनी पत्नी का अपमान सहन किया। धिक्कार है भीम की गदा पर। धिक्कार है अर्जुन के धनुष पर। मेरी सहायता करने के लिए कोई नहीं उठा।
07.10 PM कृष्ण अर्जुन से मिलने पहुंचते हैं। अर्जुन कहते हैं कि ज्येष्ठ भइया हस्तिनापुर पर आक्रमण करने की आज्ञा नहीं दे रहे हैं। कृष्ण, अर्जुन को समझाने कि कोशिश करते हैं। वह कहते हैं कि भविष्य की चिंता मत करों वर्तमान के बारे में सोचो।