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मोदी का काशी का 22 वां दौरा

हजारों करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास लोकार्पण

डॉ दिलीप अग्निहोत्री


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने निर्वाचन क्षेत्र काशी का बाइसवाँ दौरा पूरा किया। उन्होंने इसमें भी विकास के एजेंडे को आगे बढ़ाया। इसी के साथ वैचारिक धरातल को भी प्रतिष्ठित किया। उन्होंने हजारों करोड़ रुपये की अनेक योजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण किया। दीनदयाल उपाध्याय की विशाल प्रतिमा का अनावरण किया। वह अंत्योदय और एकात्म मानववाद के प्रणेता थे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वाराणसी में कहा कि भारत में राष्ट्र का ये मतलब कभी नहीं रहा कि किसने कहां जीत हासिल की, किसकी कहां हार हुई। हमारे यहां राष्ट्र सत्ता से नहीं, संस्कृति और संस्कारों से सृजित हुआ है, यहां रहने वालों के सामर्थ्य से बना है। उन्होंने कहा कि देश सिर्फ सरकार से नहीं बनता बल्कि एक-एक नागरिक के संस्कार से बनता है। नागरिक के संस्कार को उसकी कर्तव्य भावना श्रेष्ठ बनाती है। एक नागरिक के रूप में हमारा आचरण ही नए भारत की दिशा तय करेगा।

नरेंद्र मोदी की सरकार ने गरीबों के कल्याण हेतु सैकड़ो अभूतपूर्व योजनाओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित किया है। इनमें निर्धन आवास व शौचालय निर्माण,गैस कनेक्शन जनधन,मुद्रा योजना, कौशल विकास योजना,आयुष्मान योजना आदि शामिल है। इन सभी का मूल भाव अंत्योदय ही है। बड़ालालपुर स्थित पं. दीनदयाल उपाध्याय हस्तकला संकुल में काशी एक रूप अनेक नामक तीन दिवसीय कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इसमें शिल्पकारों, बुनकरों और बेरोजगार युवकों को नियुक्ति पत्र प्रदान किया।मोदी का काशी के अंदाज में स्वागत हुआ। हर हर महादेव के उद्घोष हुए।मोदी ने भी महादेव का जयकारा लगाया। उन्होंने लोगो को होली,एकादशी और महाशिवरात्रि की बधाई अवधी में दी। कहा महाकाल के आशीर्वाद से अविश्वसनीय लगने वाले निर्णय हो सके। सत्तर वर्षों से लंबित समस्यों का समाधान संभव हुआ।


अनुच्छेद तीन सौ सत्तर, सीएए पर दबावों के बाद भी सफलता मिली।मोदी ने कहा कि महाकाल के आशीर्वाद से लिए गए इन फैसलों पर आगे भी कायम रहा जाएगा। पंडित दीन दयाल की प्रतिमा से प्रेरणा मिलेगी।
यहां बनाया गया उपवन भी लोगों के लिए प्रेरणा स्थली के रूप में है। उनकी प्रेरणा से ही सरकार दलित,पीड़ित, शोषित वर्ग के लिए काम कर रही हैं। उन्होंने हमें अंत्योदय का मार्ग दिखाया था। समाज के आखिरी पंक्ति के व्यक्ति का उदय। जो आखिरी पायदान पर है, उसे पहले पायदान पर लाने के लिए काम हो रहा है। हर क्षेत्र में विकास के अभूतपूर्व काम हो रहे हैं। प्रधानमंत्री जंगमबाड़ी मठ में चल रहे आयोजन के समापन समारोह में शामिल हुए। जंगमबाड़ी मठ में विश्वाराध्य गुरूकुल के जन्मशती समारोह वीर शैव महाकुंभ चल रहा था। कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा भी इसमें मौजूद थे। जंगमवाड़ी मठ में नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु से आए लोगों और संतों को संबोधित करते हुए तमिल, मराठी, कन्नड़ और हिंदी मेंं अपनी बात रखी। उन्होंने लोगों से संकल्प लेने को कहा कि वे अपने आचरण और विचार से राष्ट्र निर्माण का काम करेंगे। उन्होंने शैव समुदाय और संतों के राष्ट्र व समाज के हित में किये गए कार्यों की सराहना की। मोदी ने शिक्षा स्वास्थ्य,पर्यटन,संस्कृति से जुड़े विकास कार्यों का उल्लेख किया। महादेव की कृपा से पिछले कुछ वर्षों में वाराणसी में लगभग पच्चीस हजार करोड़ की योजनाएं या तो पूरी हो चुकी हैं, या काम जारी।चौकाघाटा लहरतारा फ्लाइओवर बन जान से जाम की समस्या खत्म होगी। सोलह सड़कें बनाई गईं,उनका भी लोकार्पण हुआ है। इनसे यात्रियों को बहुत लाभ होगा। सुविधाओ का विस्तार हुआ है। कनेक्टिविटी के आवागमन को सुगम बनाया है। इससे रोजगार व पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। एक जिला एक उत्पाद योजना को उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लागू किया था। इसको इस बार के केंद्रीय बजट में राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने का प्रस्ताव किया गया है। काशी में मोदी ने एक जिला एक उत्पाद योजना पर आधारित प्रदर्शनी का शुभारंभ किया।

मोदी विश्वाराध्य गुरुकुल के शताब्दी समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने 19 भाषाओं में अनूदित ग्रंथ का लोकार्पण एवं मोबाइल एप की लॉन्चिंग करते हुए कहा कि तुलसीदास जी कहा करते थे ‘संत समागम हरि कथा तुलसी दुर्लभ दोउ’। इस भूमि की यही विशेषता है। ऐसे में वीरशैव जैसी संत परंपरा को युवा पीढ़ी तक पहुंचा रहे जगद्गुरु विश्वराध्य गुरुकुल का शताब्दी वर्ष एक गौरवशाली क्षण है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संस्कृत और संस्कृति की संगम स्थली में आप सभी के बीच आना मेरे लिए सौभाग्य का विषय है। बाबा विश्वनाथ के सानिध्य में, मां गंगा के आंचल में, संतवाणी का साक्षी बनने का अवसर कम ही मिल पाता है। उन्होंने कहा कि भक्ति से मुक्ति का मार्ग दिखाने वाले इस दर्शन को भावी पीढ़ी तक पहुंचना चाहिए। एक ऐप के माध्यम से इस पवित्र ज्ञानग्रंथ का डिजिटलीकरण युवा पीढ़ी के जुड़ाव को और बल देगा। उनके जीवन की प्रेरणा बनेगा।

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