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मुस्लिम धर्म गुरुओं को रास नहीं आ रहा सुप्रीम कोर्ट का फैसला 

अमन चैन की दुहाई देने वाले फिर लड़ने को तैयार

मंदिर निर्माण में सक्रिय भूमिका निमाने वाला निर्मोही अखाड़ा कश्मकश में!

Yogesh Srivastava

लखनऊ

अयोध्या की राम जन्मभूमि के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पूर्व अमन चैन की दुहाई देेने वाले धर्मगुरू एक बार फिर इस जंग को लंबी खीचने की तैयारी कर रहे है। इस मामले में कुछ  मुस्लिम पक्षकारों को यह फैसला रास नही आया जिससे वह पुर्नविचार याचिका दायर कर नये सिरे से कानूनी जग लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।

वहीं निर्मोही अखाड़ा राम मंदिर निर्माण में अपनी भूमिका बढ़ाने के लिए अदालत में जाने की कोशिश कर रहा है। जबकि अयोध्या वासी इस मामले को अब आगे बढ़ाने के बजाए यहीं विराम देना चाहते हैं। 

मालूम हो कि करीब एक दशक तक चली लंबी सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्म क्षेत्र की पूरी विवादित लगभग पौने तीन एकड़ भूमि एक पक्षकार राम लला को सौंप दी। साथ ही  मुस्लिम पक्षकार  को अयोध्या में ही पांच एकड़ भूमि मस्जिद निर्माण के लिए देने का आदेश केन्द्र सरकार को दिया है।
वहीं तीसरे पक्ष निर्मौही अखाड़े को इस पूरे मामले में कुछ नहीं मिला। इस फैसले के आने से पूर्व सभी पक्ष एवं क्या हिंदू और क्या मुस्लिम धर्म गुरू दोनों ही अमन चैन की दुहाई देेने के साथ ही लोगों से भाई चारा बनाये रखने की अपील करते घूम रहे थे। साथ ही इन लोगों का यह भी कहना था कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आयेगा वह सर्व मान्य होगा। अब फैसला आने के बाद राम लला पक्ष के पैरोकारों को छोड़ दे तो बाकी दोनो ही पक्ष के ज्यादातर पक्ष पक्षकार इस विवाद पर और कानून जंग लडऩा चाहते हैं। मुस्लिम धर्म गुरूओं ने तो बाकायदा इसका ऐलान भी कर दिया है।
लखनऊ में हाल में आल  इण्डिया पर्सनल ला बोर्ड की बैठक हुई जिसमें सुन्नी वक्फ बोर्ड के तीन पक्षकार जफरयाब जिलानी एवं उरमैन महफूज रहमानी  ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर नाराजगी जतायी और इसके खिलाफ पुर्नविचार याचिका दायर करने का निर्णय लिया। साथ ही कोर्ट के आदेश पर अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए मिलने वाली भूमि को लेने से इनकार कर दिया। जबकि मुख्य पक्षकार इकबाल अंसारी ने पुर्नविचार याचिका के खिलाफ है।
कुछ दिनों पूर्व मस्जिद की जमीन को लेकर कुछ धर्मगुरू अपनी इच्छा मुख्यमंत्री यागी आदित्यनाथ से जता चुके हैं। वहीं निर्माही अखाड़े को इस फैसले में कुछ नहीं मिला तो वह राम मंदिर निर्माण के लिए बनने वाले ट्रस्ट में अहम भूमिका चाहता है। इसके लिए यह भी अदालत की शरण में जाने की तैयारी कर रहा है।
ये वहीं धर्म गुरू है जो फैसला आने से पूर्व अमन चैन की दुहाई देकर लोगो से शांति बनाये रखने की पूरजोर अपील कर रहे थे। अब स्वयं इस मामले को लेकर चल रही कानून लड़ाई को विराम देने के बजाए इसे तूल देकर फिर लड़ाई को आगे बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं।  जबकि अयोध्या वासियों के साथ पूरा देश अब इस मामले को यहीं खत्म करना चाह रहा है। वह इसे समाज एवं विकास की तरक्की में बाधक मान रहा है।

 हालात देख यही लगता है कि करीब 150 साल से चल रही लंबी कानूनी लड़ाई के बाद भी राम जन्म भूमि विवाद का अंत अभी  नही हो पाया है।  यह मामला अभी आगे भी कानूनी शिंकजे में कसा जायेगा।

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