स्नेह मधुर/
लखनऊ।
उत्तर प्रदेश के तेज-तर्रार पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने एक नया फरमान जारी कर वर्षों पुरानी परम्परा को हमेशा-हमेशा के लिए ख़त्म करने की दिशा में कदम आगे बढाया है. यह एक ऐसा फैसला है जिसको लागू करने के बारे में सोचते ही पिछली सरकारों के पुलिस मुखिया के पसीने छूट जाते. लेकिन क़ानून और व्यवस्था को हर कीमत पर दुरुस्त करने के इरादे को लेकर चल रहे दृढ प्रतिज्ञ पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने इस फैसले को लागू करने की हिम्मत दिखाने का दुस्साहस तो कर ही डाला है. अगर यह फैसला सही मायने में उत्तर प्रदेश में लागू हो गया तो ओपी सिंह का नाम भी दिलेर पुलिस अफसरों की सूची में नंबर-१ के रूप में दर्ज हो जायेगा.
असल में बारातों और त्योहारों के मौसम में जहाँ देखो वहां पर लोग नाचते-गाते हुए सड़कों पर उतर आते थे जिससे हर दिन सड़कों पर जाम लगा रहता था. लोग इतने असंवेदनशील होते हैं कि सड़कों पर अपनी पारिवारिक या धार्मिक ख़ुशी व्यक्त करते समय भूल जाते थे कि उनके इस आचरण से हजारों लोगों को कितनी परेशानी उठानी पद रही है.
यही हाल जुमे की नमाज़ का होता था. लोग सड़कों पर दरी-चटाई बिछाकर नमाज़ अदा करने लगते थे. एक तरह से सभो को यह सन्देश था कि किसी को कितनी भी परेशानी हो, अपनी बला से, यह तो हमारा अधिकार है.
पुलिस भी सड़कों पर आँखों के सामने हो रहे जाम को रोकने में असफल रहती थी, क्योंकि जिसको भो रोकने जाये, सब यही कहते थे कि जब सभी यही कर रहे हैं तो उन्हें ही क्यां रोका जा रहा है?
लेकिन अब सड़कों पर न तो आरती होगी और न ही नमाज पढ़ी जायेगी। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ओपी सिंह ने यह आदेश दिया है कि सार्वजनिक जगहों पर ऐसा कुछ करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है जिससे यातायात और सामान्य जीवन बाधित हो. उन्होंने स्पष्ट किया है कि धार्मिक स्थानों पर जब भी नमाज या आरती की व्यवस्था हो तो उसमें कोई भी व्यक्ति सड़क पर नहीं आना चाहिये ताकि यातायात बाधित न हो. उन्होंने कहा कि यह निर्देश प्रदेश के सभी जनपदों में लागू होगा.
ओपी सिंह ने कहा, ‘इस बात के मौखिक निर्देश में हमने कहा है कि पीस कमेटी की मीटिंग बुलाकर आपसी सौहार्द का वातावरण बनाकर इस प्रकार की कार्रवाई शुरू की जाये. मैं समझता हूं कि हमारा यह प्रयोग सफल होगा।’
गौरतलब है कि पिछले दिनों राज्य के अलीगढ़ और मेरठ जिले में पुलिस प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए सड़कों पर धार्मिक आयोजनों पर रोक लगा दी थी। मेरठ और अलीगढ़ में सड़क पर नमाज को रोकने में मिली सफलता के बाद अब ये मॉडल पूरे उत्तर प्रदेश में लागू किया जा रहा है.
डीजीपी ओम प्रकाश सिंह ने बताया है कि अब ऐसे किसी धार्मिक आयोजन की अनुमति नहीं होगी, जिससे लोगों को असुविधा हो.वैसे कुछ स्थानों पर जब सड़कों पर नमाज अदा करने से लोगों को रोका गया तो कुछ जगहों पर लोगों ने इसका विरोध किया, लेकिन प्रशासन ने सख्ती इसे लागू कराया. कई जगहों पर तो मुस्लिम समाज में व्यापक तौर इस पहल का स्वागत किया गया. ऐसा ही प्रयोग नोएडा में भी किया जा चुका है. सेक्टर ५८ के एक पार्क में तो नमाज़ अदा करने से रोकने के लिए पानी भर दिया गया था. वहाँ पर नमाज़ अदा नहीं की जा सकी तो लोग दूसरे पार्क में चले गये जबकि प्रशासन ने पार्क में भी नमाज़ या कोई धार्मिक कार्यक्रम करने पर रोक लगा राखी थी. स्पष्ट है कि इस रोक को सफल बनाने के लिए व्यापक स्टार पर जागरूकता और कडाई की जरूरत पड़ेगी.
मेरठ और अलीगढ़ में सड़क पर नमाज को रोकने में मिली सफलता के बाद अब ये मॉडल पूरे प्रदेश में लागू किया जा रहा है. राज्य पुलिस के मुखिया ओम प्रकाश सिंह ने बताया है कि अबसे किसी धार्मिक आयोजन की अनुमति नहीं होगी जिससे लोगों को असुविधा हो, बता दें कि जब सड़कों पर नमाज को रोका गया तो कुछ जगहों पर लोगों ने इसका विरोध किया लेकिन प्रशासन ने सख्ती इसे लागू कराया.
ईद के दौरान मेरठ और अलीगढ़ में सड़कों पर नमाज पर रोक रही जिसके बाद मुस्लिम समाज ने मस्जिदों और ईदगाहों में ही ईद की नमाज अदा की, साथ ही ऊंट जैसे बड़े जानवर की कुर्बानी पर भी रोक लगाई गई. मुस्लिम समाज में व्यापक तौर इस पहल का स्वागत किया. सरकार ने कहा यह किसी समुदाय विशेष पर लागू नहीं होगा बल्कि सड़क पर होने वाले सभी धार्मिक आयोजन पर रोक रहेगी और खास मौकों पर प्रशासनिक स्वीकृति के बाद ही इजाजत दी जाएगी.
जब से भाजपा की सरकार बनी है तब से इस परम्परा को ख़त्म करने के बारे में एक सोच शुरू हुई. लेकिन सरकार द्वारा कोई कदम न उठाने से नाराज लोगों ने शक्ति प्रदर्शन करने का मन बनाया और सड़कों पर होने वाले नमाज के खिलाफ सड़क पर हनुमान चालीसा और आरती जैसे कार्यक्रम भी शुरू हुए. इससे समाज में काफी तनाव बढ़ रहा था, लोगों को कई असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा था. इसे देखते हुए मेरठ में सड़क पर नमाज रोकने की एक पहल शुरू की गयी जो सफल रही. मेरठ के बाद अलीगढ़ में भी इसे अपनाया गया है और दोनों जगहों पर यह प्रशासनिक प्रयास सफल होने के बाद यूपी पुलिस ने इस पूरे राज्य में लागू करने का फैसला किया है.
पश्चिम बंगाल में ‘जय श्री राम’ नारे लगने के बाद जमकर सियासत भी हुई. लोगों ने हावड़ा के सड़कों पर हनुमान चलीसा पढ़ी तो वहीं ऐसा ही एक नजारा अलीगढ़ में देखने को मिला. यहां पर भी लोगों ने सड़कों पर हनुमान चालीसा का पाठ किया जिसकी वजह से सड़क पर लंबा जाम लग गया.
Sneh Madhur,Lucknow