नयी दिल्ली। इसरो प्रमुख के सिवन ने कहा कि चंद्रयान-2 से संपर्क नहीं हो पाया लेकिन ऑर्बिटर काफी अच्छे से काम कर रहा है। सभी पेलोड संचालन शुरू हो गए हैं, यह बहुत अच्छा कर रहा रहा है yu। हार्ड लैंडिंग के बाद लैंडर विक्रम से संपर्क नहीं हो पाया लेकिन ऑर्बिटर बहुत अच्छा काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि एक राष्ट्रीय स्तर की समिति इस बात का विश्लेषण कर रही है कि वास्तव में विक्रम लैंडर के साथ क्या गलत हुआ।
गौरतलब है कि इससे पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख के. सिवन ने कहा था कि चंद्रयान-2 मिशन अपने लक्ष्य में 98 फीसद सफल रहा है। उन्होंने कहा कि इसरो अब 2020 तक दूसरे चंद्रयान मिशन पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। सिवन ने यह भी कहा कि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर बहुत सही तरीके से काम कर रहा है और उम्मीद है कि यह एक साल के बजाय साढ़े सात साल तक तय वैज्ञानिक प्रयोग ठीक से करता रहेगा।
भुवनेश्वर में सिवन ने संवाददाताओं से कहा था कि हम अभी तक लैंडर से संपर्क स्थापित करने में सफल नहीं हो सके हैं। जैसे ही कोई डाटा हमें मिलता है आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। बता दें कि चंद्रमा पर रात हो गई है। लैंडर विक्रम की बैटरी को चार्ज करने के लिए अब सूरज की रोशनी नहीं मिलेगी। लैंडर को एक चंद्र दिवस (पृथ्वी के 14 दिन के बराबर) काम करना था।
इसरो ने कहा है कि विक्रम से संपर्क टूटने के सही कारणों का पता लगाने के लिए डाटा का अध्ययन किया जा रहा है। सिवन ने कहा कि हम दो कारणों से कह रहे हैं कि चंद्रयान-2 मिशन 98 फीसद लक्ष्य हासिल कर लिया है। पहला कारण विज्ञान और दूसरा प्रौद्योगिकी प्रमाण (टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेशन)। जहां तक प्रौद्योगिकी प्रमाण के मोर्चे की बात है तो इसमें लगभग पूरी तरह सफलता हासिल की गई है।
साढ़े सात वर्ष तक चलेगा ऑर्बिटर
इसरो चीफ सिवन ने बताया कि ऑर्बिटर के लिए शुरू में एक वर्ष की योजना बनाई गई थी। लेकिन अब संभावना है कि यह साढ़े सात वर्ष तक काम करेगा। उन्होंने कहा कि ऑर्बिटर तय विज्ञान प्रयोग पूरी संतुष्टि के साथ कर रहा है। ऑर्बिटर में आठ वैज्ञानिक उपकरण हैं और सभी उपकरण अपना काम ठीक तरीके से कर रहे हैं।