राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) को अपडेट करने के लिए किसी तरह के दस्तावेज को दिखाने की जरूरत नहीं है और जो कुछ जानकारी मांगी जा रही है वो वैकल्पिक हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार (12 मार्च) को राज्यसभा में यह जानकारी दी। नफरत फैलाने वाले भाषणों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सीएए कानून बनने के बाद से ही अल्पसंख्यकों विशेषकर मुसलमानों के मन में एक भय बैठाने का प्रयास किया गया। शाह ने कहा कि उन्होंने विपक्षी नेताओं से पूछा कि सीएए की एक भी ऐसी धारा बता दें, जिसमें नागरिकता लेने की बात कही गई है। उन्होंने कांग्रेस नेता सिब्बल से पूछा कि वह ”संशोधित नागरिकता कानून में ऐसी कोई धारा बता दें जिससे मुसलमानों की नागरिकता चली जाएगी।
सिब्बल द्वारा इसके जवाब में एनपीआर का उल्लेख करने पर शाह ने कहा कि उन्होंने विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि एनपीआर में कोई दस्तावेज नहीं मांगा गया है। उन्होंने कहा, ”देश में किसी को एनपीआर की प्रक्रिया से डरने की जरूरत नहीं है।” गृह मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि ”डी एवं एनपीआर को लेकर यदि कोई संदेह है तो नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, गृह संबंधी संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष आनंद शर्मा एवं जो भी सांसद चाहें, आकर उनसे चर्चा कर सकते हैं। वह उनके संदेह दूर करेंगे।”
उन्होंने कहा कि एनपीआर और सीएए को लेकर सारे भ्रम को दूर करने का समय आ गया है। आजाद ने गृह मंत्री से पूछा कि क्या उनकी बात का आशय यह है कि एनपीआर में ”डी (संदिग्ध प्रविष्टि) नहीं होगा? इस पर शाह ने सिर हिलाते हुए कहा कि उनका यही आशय है। किंतु इसी बीच विपक्षी सदस्यों ने कुछ और सवाल पूछने शुरू कर दिए, जिसके कारण शाह अपना वाक्य पूरा नहीं कर पाए।” शाह ने यह भी स्पष्ट किया कि एनपीआर में किसी से कोई अतिरिक्त जानकारी नहीं मांगी जाएगी।
No document will be sought for updating National Population Register; giving some information is optional: Amit Shah in RS
— Press Trust of India (@PTI_News) March 12, 2020
वहीं दूसरी ओर, दिल्ली हिंसा पर बोलते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार (12 मार्च) को राज्यसभा में कहा कि दिल्ली हिंसा के सिलसिले में किसी भी व्यक्ति के साथ कोई पक्षपात नहीं किया जाएगा और दंगा करने वाला व्यक्ति किसी भी धर्म या पार्टी का होगा, उसको नहीं छोड़ा जाएगा। शाह ने उच्च सदन में दिल्ली के कुछ भागों में हाल की कानून और व्यवस्था की स्थिति पर हुयी चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार दंगों से जुड़े मामलों की वैज्ञानिक, प्रामाणिक तरीके से जांच कर रही है। मामलों की तेजी से जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि दंगा करने वाला व्यक्ति किसी भी पक्ष, किसी धर्म, किसी पार्टी या किसी जाति का हो, उसको छोड़ा नहीं जाएगा एवं किसी के साथ कोई पक्षपात नहीं किया जाएगा।
शाह ने दिल्ली हिंसा को लेकर संसद में सरकार के चर्चा से भागने के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते करते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस अपना काम ठीक से कर सके, लोगों को उनके स्थानों पर फिर से बसाने के लिए, घायलों के उपचार के लिए और दंगाइयों को पकड़ा जा सके, इसलिए चर्चा का समय मांगा गया। उन्होंने कहा कि दंगों के बाद 700 से अधिक प्राथमिकी दर्ज की गयी हैं। उन्होंने कहा कि जिसने भी प्राथमिकी के लिए कहा, उसकी शिकायत दर्ज की गई। पुलिस ने किसी को भी मना नहीं किया। उन्होंने कहा कि 12 थानों के लिए विशेष अभियोजक नियुक्त किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि 1922 चेहरों एवं व्यक्तियों की पहचान कर ली गई है। उन्होंने कहा कि 24 फरवरी को ही उत्तर प्रदेश की सीमा को सील कर दिया गया था। लोकतांत्रिक देश में दो देशों की सीमा की तरह दो राज्यों की सीमा को सील नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि 50 गंभीर मामलों की जांच तीन एसआईटी करेगी। इनको डीआईजी एवं आइजी स्तर के अधिकारियों के नेतृत्व में किया जाएगा। शाह ने कहा कि दंगों में इस्तेमाल किए गए 125 हथियार जब्त किए गए हैं। दोनों संप्रदायों के लोगों की अमन समितियों की 321 बैठक कर दंगे रोकने का प्रयास किया गया। 40 से अधिक टीमों का गठन कर संलिप्त लोगों की पहचान कर उन्हें पकड़ने की जिम्मेदारी दी गई है।