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“भारतीय संस्कृति में मानवीय मूल्य, सनातन धर्म और वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इसकी प्रासंगिकता”

प्रयागराज।

भारतीय सांस्कृतिक प्रबुद्ध संस्थान प्रयागराज के तत्वावधान में “भारतीय संस्कृति में मानवीय मूल्य,सनातन धर्म और वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इसकी प्रासंगिकता” विषय पर एक ऑनलाइनसेमिनार/बेबीनार का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम का संचालन श्री ब्रह्मप्रकाश ने किया तथा स्वागत भाषण डॉ राम माया त्रिपाठी द्वारा किया गया।कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता के रूप में डॉ हरिशंकर उपाध्याय (प्रो दर्शन शास्त्र), डॉ ऋषि कांत पांडेय, (प्रो दर्शनशास्त्र विभाग)डॉ बी.बी. त्रिपाठी, डॉ श्री नारायण मिश्र,डॉ रामजी मिश्र उपस्थित रहे।

प्रबुद्धसंस्थान के सदस्य श्री भारतेंद्र त्रिपाठी, श्री दिनेश कुमार मिश्र, एवं डॉ प्रवीण शुक्ल ने भारतीय संस्कृति की महत्ता पर अपने सारगर्भित विचार रखे।डॉ नारायण मिश्र ने धर्म की व्याख्या करते हुए महाभारत का एक श्लोक उद्धृत किया तथा बताया कि जो अपने अनुकूल न हो उसे नही करना चाहिए।

प्रो.ऋषि कांत पांडेय जी ने प्रकृति और मनुष्य को इंटर कनेक्टेड बताया तथा यह सीख दी कि हमे प्रकृति का उतना ही दोहन करना चाहिए,जितना आवश्यक हो अन्यथा तमाम प्राकृतिक आपदाएं जन्म लेगी।डॉ हरिशंकर उपाध्याय ने मूल्य एवं सनातन शब्द की व्याख्या की,तथा सात महापापो की विशद व्याख्या की।डॉ बी.बी. त्रिपाठी जी ने भी धर्म और संस्कृति के मर्म को व्याख्यायित किया।

अंत मे डॉ रामजी मिश्र द्वारा तमाम श्लोकों के माध्यम से धर्म, सनातन धर्म की व्याख्या करते हुए उसे भारतीय संस्कृति से जोड़ा गया।

कार्यक्रम के अंत मे संस्थान के अध्यक्ष श्री विनोद कुमार पांडेय द्वारा सभी मनीषियों का आभार व्यक्त किया गया।कार्यक्रम बहुत ही ज्ञान वर्धक एवं सराहनीय रहा।

मैं विशेष रूप से श्री शत्रुंजय शर्माजी को बधाई देना चाहूंगा,जिन्होंने तकनीकी रूप से इस आयोजन को सफल बनाया।

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