Home / Slider / मेरठ के विक्टोरिया पार्क का नाम शहीद राव कदम सिंह के नाम पर हो: PIL

मेरठ के विक्टोरिया पार्क का नाम शहीद राव कदम सिंह के नाम पर हो: PIL

“मेरठ के विक्टोरिया पार्क, विवि का नाम बदलने की मांग वाली जनहित याचिका” हाईकोर्ट कोर्ट ने की खारिज

एडवोकेट दिनेश कुमार मिश्रा 

प्रयागराज।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ के विक्टोरिया पार्क, अस्पताल, बस अड्डे और विश्वविद्यालय का नामकरण मेरठ के ही स्वतंत्रता सेनानी अमर शहीद राव कदम सिंह के नाम पर करने की मांग को पोषणीयता के आधार पर खारिज कर दिया है और उन्हें सक्षम अधिकारियों के पास जाकर गुहार लगाने की सलाह दी है।

इस संबंध में दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र की खंडपीठ ने की। याची प्रताप सिंह ने जनहित याचिका के जरिए राज्य सरकार को परमादेश जारी करने की मांग की थी। दलील दी कि राव कदम सिंह 1857 के स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख क्रांतिकारी थे। उनका ताल्लुक मेरठ से था। ऐसे में मेरठ के विक्टोरिया पार्क, विश्वविद्यालय और अस्पतालों का मौजूदा नाम बदल कर राव कदम सिंह के नाम से घोषित किया जाए। यह उनकी शहादत को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। 

मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र की खंडपीठ ने अपने फैसले में याचिकाकर्ता को इस बात की स्वतंत्रता भी दी है कि वह अपनी इस मांग को लेकर सक्षम अधिकारियों के सम्मुख अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत कर सकता है।

Chief Justice’s Court

Case :- PUBLIC INTEREST LITIGATION (PIL) No.411 of 2025

Petitioner :- Pratap Singh

Respondent:- State of U.P. and 3 Others

Counsel for Petitioner:- Dinesh Kumar Misra, Sneh Madhur

Counsel for Respondent:- Jagdish Pathak (S.C.), Pankaj Srivastava, Archana Srivastava

Hon’ble Arun Bhansali, Chief Justice

Hon’ble Kshitij Shailendra, J.

1. The petition has been filed seeking direction to the respondents for installation of statue of freedom fighter Amar Shaheed Rao Kadam Singh in the Meerut City as well as renaming public institutions like Victoria Park, Hospitals, University, Bus stands etc. in the name of the said freedom fighter.

2. The petition, which has been filed in public interest and seeks mandamus, as noticed herein before, falls beyond the scope of a public interest litigation and no mandamus of this nature can be issued by the Courts.

3. In view thereof, we do not find any reason to entertain the present petition. The same is, therefore, dismissed, leaving it open for the petitioner to pursue the cause with the respondents.

Order Date :- 27.2.2025

(Kshitij Shailendra, J) (Arun Bhansali, CJ)

याचिकाकर्ता कुंवर प्रताप सिंह नागर मेरठ के निवासी हैं और नैन सिंह स्मारक समिति के सचिव हैं जो मेरठ के क्रांतिकारियों के सम्मान की रक्षा के लिए और लोगों को उनके गौरवशाली अतीत के बारे में जागरूक करने का अभियान चला रहे हैं। उनका मानना है कि स्वतंत्र आंदोलन के प्रथम क्रांतिकारी अमर शहीद मंगल पांडेय बलिया के रहने वाले थे और अंग्रेजों की फौज में कलकत्ता में तैनात थे। उनका मेरठ से कोई संबंध नहीं था सिवाय इसके कि जब कलकत्ता में उन्होंने गाय और सुअर की चर्बी वाले कारतूस को दांत से खोलने से मना कर दिया था और उन्हें फांसी दे दी गई थी तो इस क्रांति की आग सबसे पहले मेरठ में धधकी थी और यहां पर भी सिपाहियों ने बगावत कर दी थी जिन्हें गिरफ्तार करके जेल में बंद कर दिया था।

उस समय के मेरठ के कोतवाल धान सिंह ने क्रांतिकारियों का साथ देते हुए सभी गिरफ्तार सिपाहियों को जेल से रिहा कर दिया था जिसपर कोतवाल धान सिंह को गिरफ्तार कर फांसी पर लटका दिया गया था। अमर शहीद राव कदम सिंह अपने हजारों क्रांतिकारियों के साथ सिर पर कफ़न के रूप में प्रतीक स्वरूप सफेद पगड़ी बांधकर निकलते थे और अंग्रेजों के खिलाफ छापामार जंग लड़कर काफी क्षति पहुंचाते थे। वर्ष 1858 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था और उनके दस हजार सिपाहियों को मेरठ की विक्टोरिया जेल में फांसी पर चढ़ा दिया गया था।

अमर शहीद राव कदम सिंह को भी अंग्रेजों ने फांसी दे दी थी लेकिन उनकी फांसी के समय और स्थान को गुप्त ही रखा गया था। उनकी अस्थियां भी नहीं सौंपी गई थीं। मेरठ की जनता ने सनातनी परम्परा के तहत अंतिम संस्कार के लिए अंग्रेजों से उनकी अस्थियां मांगी थीं लेकिन अस्थियां न मिलने पर विरोध स्वरूप मेरठ के गुर्जरों ने रक्षा बंधन पर्व नहीं मनाया था और प्रतिज्ञा की थी कि जब तक अस्थियां नहीं मिल जाती हैं, तब तक बहनें अपने भाइयों को राखी नहीं बांधेगी। वह परम्परा आज तक चली आ रही है और आश्चर्य की बात यह है कि पूरा मेरठ इस घटनाक्रम को जानता है लेकिन इसके बावजूद किसी भी सरकार ने अमर शहीद राव कदम सिंह की अस्थियां वापस पाने और उनके नाम पर स्मारक बनाने, उनकी प्रतिमा स्थापित करने या मेरठ शहर का नाम कदम सिंह के नाम पर करने या विक्टोरिया पार्क, रेलवे स्टेशन या बस अड्डे का नाम बदलने या शिक्षण संस्थाओं के नाम राव कदम सिंह के नाम करने का नहीं सोचा।

अमर शहीद राव कदम सिंह की शहादत के साथ यह घोर अन्याय देखकर यह बीड़ा कुंवर प्रताप सिंह नागर ने उठा लिया कि वह उन्हें यह सम्मान दिलाकर रहेंगे। इन्हीं मांगों को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई थी क्योंकि किसी भी स्तर पर सरकार में कोई सुनवाई नहीं हो रही थी।

कुंवर प्रताप सिंह नागर पिछले कई वर्षों से इस मांग को लेकर महापौर, जिलाधिकारी, मंडलायुक्त, परिवहन मंत्री, परिवहन सचिव, मुख्य सचिव, मुख्य मंत्री को अपना प्रतिवेदन दे चुके हैं, जनसुनवाई में भी अपनी बात रख चुके हैं लेकिन हर तरफ से निराश होने के बाद उन्होंने हाइकोर्ट की राह पकड़ी। हालांकि शहीद कोतवाल धान सिंह का नाम मेरठ के पुलिस प्रशिक्षण केंद्र के नाम में जोड़ दिया गया है लेकिन राव कदम सिंह के परिवार का कोई भी सदस्य जीवित न होने के कारण कुंवर प्रताप सिंह नागर ने स्वयं ही यह अलख जलाने की जिम्मेदारी ले ली ताकि लोग एकबार सोचें तो सही कि मेरठ के पहले महान क्रांतिकारी राव कदम सिंह को क्यों अनदेखा किया जा रहा है? मंगल पांडे बलिया के थे और कोतवाल धान सिंह ने सिर्फ कैदियों को रिहा किया था जबकि राव कदम सिंह ने तो बाकायदा हजारों क्रांतिकारियों की सेना बनाकर और सिर पर सफेद कफ़न बांधकर अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था, सैकड़ों अंग्रेजों को मार गिराया था जिसकी चर्चा तमाम पुस्तकों में दर्ज है लेकिन अफसोस की बात यह है कि जिस विक्टोरिया पार्क की जेल में हजारों क्रांतिकारियों को फांसी पर चढ़ा दिया गया था, वह पार्क आज भी विक्टोरिया पार्क के नाम से ही जाना जाता है।

याचिकाकर्ता की तरफ से विद्वान अधिवक्ताओं श्री दिनेश कुमार मिश्र और श्री स्नेह मधुर ने खंडपीठ के सामने उनका पक्ष प्रस्तुत किया।

Check Also

होली: “पेंट और अन्य रसायनों से दूर रहें”

*होली त्योहार क्यों मनाया जाता है? वैज्ञानिक महत्व प्रो. भरत राज सिंह महानिदेशक, स्कूल ऑफ ...