पांच पीढिय़ों को ध्यान में रखते हुए अपना काम करने की आदत बनाए : मोदी
सरकार उलझाने की बजाय सुलझाने का माध्यम बने: मोदी
25 फीट ऊंची और 5 टन वजनी अटलजी की प्रतिमा का अनावरण
लखनऊ।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बुधवार को लखनऊ में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के 96वें जन्म दिन पर उनकी प्रतिमा का अनावरण किया। 25 दिसंबर को ही अटल जी का जन्मदिन मनाया जाता है
इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यहां आने से पहले मैं दिल्ली में अटल भूजल योजना की शुरुआत कर रहा था। इस योजना के तहत यूपी सहित देश के सात राज्यों में भूजल के स्तर को सुधारने के लिए काम किया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारी सरकार का विजन यूपी सहित देशभर के हेल्थ सेक्टर के विकास के लिए साफ है। हमारा प्रयास है कि सरकार उलझाने की बजाय सुलझाने का माध्यम बने।
प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी ने कहा कि अटल जी कहते थे कि जीवन को टुकड़ों में नहीं देखा जा सकता, उसको समग्रता में देखना होगा। यही बात सरकार के लिए भी सत्य है, सुशासन के लिए भी सत्य है। सुशासन भी तब तक संभव नहीं है, जब तक हम समस्याओं को संपूर्णता में, समग्रता में नहीं सोचेंगे।
पीएम मोदी ने कहा कि देश अब दस्तावेजों के सत्यापन के दौर से बाहर निकल रहा है। आज अधिकतर सरकारी सेवाओं को ऑनलाइन या डिजिटल कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार का दायित्व है कि वह पांच साल के लिए नहीं बल्कि पांच पीढिय़ों को ध्यान में रखते हुए अपना काम करने की आदत बनाए।
अटल बिहारी वाजपेयी की ये प्रतिमा कांस्य से बनी है, जो 25 फीट ऊंची व पांच टन वजनी है। अटल जी की प्रतिमा को जयपुर की एक कंपनी ने बनाया है और इसकी लागत 89 लाख रुपये है।यह प्रतिमा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर संस्कृति विभाग ने निर्मित करवाई है। प्रतिमा अनावरण करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकभवन के प्रेक्षागृह में अटल बिहारी चिकित्सा विश्वविद्यालय का बटन दबाकर शिलान्यास किया।
इस अवसर पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अटल से जुड़ी स्मृतियां आज भी हमारे दिलों में अटल हैं। अटल अजातशत्रु थे। वह कहते थे कि सरकारें बनती और गिरती हैं, राजनीतिक दल बनते हैं टूटते हैं, लेकिन यह देश रहना चाहिए।
अटल जी से प्रेरणा
डॉ दिलीप अग्निहोत्री
राजनीति और राजनीति शास्त्र दोनों अलग क्षेत्र है। राजनीति में सक्रियता या आचरण का बोध होता है, राजनीति शास्त्र में ज्ञान की जिज्ञासा होती है। अटल बिहारी वाजपेयी ने इन दोनों क्षेत्रों में समान रूप से आदर्श का पालन किया। राजनीति में आने से पहले वह राजनीति शास्त्र के विद्यार्थी थे। कानपुर के डीएवी कॉलेज में नई पीढ़ी भी उनकी यादों का अनुभव करती है। अटल जी उन नेताओं में शुमार थे, जिनके कारण किसी पद की गरिमा बढ़ती है। डीएवी में जाने पर अनुभूति होती है कि यहीं कभी अटल जी विद्यार्थी के रूप में उपस्थित रहते थे।
कालेज के प्रथम तल पर कमरा नम्बर इक्कीस में वह बेंच पर बैठते थे। डीएवी कानपुर में अटल जी के गुरु रहे प्रो. मदन मोहन पांडेय के निर्देशन में मुझे पीएचडी करने का सौभग्य मिला। अक्सर बातचीत में वह अटल जी की चर्चा करते थे। इससे यह पता चला कि अटल जी बहुत होनहार विद्यार्थी थे, उनमें ज्ञान के प्रति जिज्ञासा थी। प्रो. पांडेय के निर्देशन में पीएचडी करने के बाद शिक्षक के रूप में मेरी नियुक्ति इसी विभाग में हुई। यहां प्रवेश करते ही अटल जी की फोटो दिखाई देती है। नीचे पूर्व प्रधानमंत्री नहीं,बल्कि पूर्व छात्र लिखा है। यहां बैठने पर ऊपर एक सूची पट्ट दिखाई देता है। उन्नीस सौ सैंतालीस पर नजर टिक जाती है। इसमें विद्यार्थी का नाम लिखा है-अटल बिहारी वाजपेयी..डिवीजन प्रथम, पोजिशन द्वितीय। यह वह समय था जब कानपुर विश्वविद्यालय अस्तित्व में नहीं था। डीएवी आगरा विश्वविद्यालय से संबंद्ध था। इतने बड़े विश्वविद्यालय में अटल जी ने उल्लेखनीय सफलता हासिल की थी।
अटल जी ने राजनीति शास्त्र में एमए करने के बाद यहीं अगले वर्ष एलएलबी में दाखिला लिया था। सरकारी नौकरी से अवकाश ग्रहण करने के बाद उनके पिता पंडित कृष्ण बिहारी लाल वाजपेयी ने भी विधि स्नातक करने का निर्णय किया था। डीएवी छात्रावास में पिता-पुत्र एक ही कमरे में रहते थे। कभी पिताजी को देर होती तो अटल से पूछा जाता कि आपके पिताजी कहां हैं। जब अटल जी को देर हो जाती तो पिताजी से पूछा जाता आपके साहबजादे कहां हैं। लेकिन हंसी मजाक का यह दौर ज्यादा नहीं चला।
एक वर्ष बाद ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से मिले दायित्व को संभालने के लिए अटल जी लखनऊ आ गए। विधि स्नातक की पढ़ाई पूरी नहीं हो सकी। अटल जी राजनीति शास्त्र में डिग्री हासिल करना चाहते थे। लेकिन उनके पिता आर्थिक रूप से खर्च वहन करने में असमर्थ थे। तत्कालीन राजा जीवाजी राव सिंधिया को जानकारी हुई तो उन्होंने वाजपेयी जी को छात्रवृत्ति देने की व्यवस्था की। छात्रवृत्ति लेकर कानपुर आए और डीएवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र में परास्नातक किया। इस दौरान अटल जी को हर माह पचहत्तर रुपए मिलते रहे। डीएवी में प्रो मदन मोहन पांडेय नियमित क्लास लेते थे। अटल भी छुट्टी नहीं लेते थे। लेकिन इतने मात्र से उनकी जिज्ञासा शांत नहीं होती थी। अटल जी कर्मयोगी थे। विद्यार्थी थे, तब ज्ञान प्राप्त करने में पूरी ऊर्जा लगा दी।
पत्रकारिता में गए तो उसे भी पूरी क्षमता से अंजाम दिया। राजनीति में गए तो उच्च मर्यादाओं की स्थापना कर दी। वह भारतीय राजनीति के अजातशत्रु थे। उन्होंने उस दौर में राजनीति शुरू की थी, जब जनसंघ सत्ता की लड़ाई से बहुत दूर थी। माना जाता था कि यह पार्टी विपक्ष में रहने के लिए बनी है। इसके बाबजूद अटल जी जब बोलते थे, तब प्रधानमंत्री सहित जनसंघ के विरोधी भी ध्यान से सुनते थे। संख्या बल कमजोर था, लेकिन विचार मजबूत थे। शायद यही कारण था कि जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें भविष्य का प्रधानमंत्री बताया था। सात दशक के राजनीतिक जीवन में उनका दामन बेदाग रहा। सत्ता मिली तब भी सहज रहे। सत्ता उद्देश्य नहीं बल्कि दायित्व था। विपक्ष में ही सत्तर वर्ष रहे, राष्ट्र के लिए वैसा ही समर्पण रहा। तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहराव ने उन्हें भारत का पक्ष रखने के लिए जेनेवा भेजा था। अटल जी ने अपने इस दायित्व को बखूबी निभाया। वह अपने लिए नहीं देश और समाज के लिए जिये। उनका जीवन प्रेरणादायक है।
अटल जी के राजनीतिक जीवन में लखनऊ का विशेष महत्व है। कानपुर डीएवी से शिक्षा पूर्ण करने के बाद वह लखनऊ आये थे। यहां उन्होंने राष्ट्रधर्म का सम्पादन किया। यह कार्य राष्ट्रभाव के मिशन का ही स्वरूप था। अटल जी ने इसके माध्यम से राष्ट्र व समाज की सेवा का व्रत लिया था। उनकी चुनावी राजनीति की दृष्टि से भी लखनऊ उल्लेखनीय पड़ाव था। यहाँ से वह चुनाव में पराजित भी हुए थे, लेकिन फिर एमपी से पीएम तक का सफर भी लखनऊ से ही तय किया था। उनसे प्रेरणा के लिए ही यहां उनकी कांस्य प्रतिमा लगाई गई,इसी के साथ उनके जन्मदिन को विकास योजनाओं से भी जोड़ा गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लखनऊ के लोकभवन में अटल बिहारी वाजपेयी की पच्चीस फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया। नरेंद्र मोदी ने लोकभवन प्रेक्षागृह में अटल बिहारी चिकित्सा विश्वविद्यालय का बटन दबाकर शिलान्यास भी किया।इसके अलावा अटल पेयजल मिशन योजना का भी शुभारंभ किया। अटल पेयजल मिशन योजना के तहत भूजल के प्रबन्धन पर जोर दिए जाएगा। प्रतिमा अनावरण समारोह में लखनऊ के सांसद व केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल,मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शामिल थे। हिमाचल से रोहतांग को जोड़ने वाले मार्ग का नामकरण अटल जी पर किया गया। लोकभवन में उनकी प्रतिमा सुशासन की प्रेरणा मिलेगी।
लखनऊ में अटल जी ने विकास की अनेक योजनाएं लागू की। लखनऊ को पहचान देने वाली सौकड़ों योजनाएं उनकी ही देन थी। वह कहते थे कि जीवन को टुकड़ों में नहीं देखा जा सकता। जीवन की यह बात सुशासन पर भी लागू होती है। समग्र विकास से ही सुशासन की स्थापना होती है। केंद्र और उत्तर प्रदेश की सरकार इसी दिशा में प्रयास कर रही है। इसीलिए उनके जन्मोत्सव पर विकास को तरजीह दी गई है। नई दिल्ली में में जल सम्बन्धी योजना जी आज ही नरेंद्र मोदी ने शुरुआत की। इससे सात राज्यों को लाभ मिलेगा। लखनऊ में अटल जी के नाम पर स्थापित होने वाला विश्वविद्यालय से लोगों को स्वस्थ सेवाएं उपलब्ध होगी। स्वच्छता, उज्ज्वला,फिट इंडिया जैसी योजनाएं बीमारी से दूर रखने में सहायक है। जीवन शैली भी स्वास्थ के अनुकूल होनी चाहिए। डेढ़ लाख स्वास्थ केंद्र बनाए गए,जो बीमारी के प्रारंभ में ही जांच कर रहे है। उत्तर प्रदेश में स्वास्थ के क्षेत्र में पिछले तीन वर्षों में अभूतपूर्व कार्य किये गए। मेडिकल कालेजों की स्थापना में तीनगुना बढोत्तरी हुई। आयुष्मान विश्व की सबसे बड़ी आरोग्य योजना है। जनऔषधि केंद्र से लोगों को सस्ती दवाएं मिल रही है। पिछले दो वर्षों में उत्तर प्रदेश को दो दर्जन मेडिकल कालेज बने। देश में पचहत्तर मेडिकल कॉलेज बने है। प्रत्येक तीन लोकसभा के बीच एक मेडिकल कॉलेज बनाया जाएगा। प्रत्येक नागरिक तक स्वास्थ सेवा उपलब्ध कराई जाएगी। जाहिर है कि अटल जी के जन्मोत्सव पर नई दिल्ली से लेकर लखनऊ तक विकास से जुड़ी अनेक योजनाओं को शुभारम्भ किया गया। उससे आमजन को लाभ होगा। अटल जी का यही सपना था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभजन के समय भारत आने वाले शरणार्थियों की समस्या का समाधान देश के एक सौ तीस करोड़ लोगों ने निकाला है। पांच वर्ष पहले आधी आबादी के पास शौचालय नहीं थे, बड़ी आबादी बैंक से दूर थे। जिन्हें यह सब सुविधा दी गई। डेड करोड़ लोगों को आवास दिए है। फाइव मिलियन डॉलर की इकोनॉमी से न्यू इंडिया का सपना साकार होगा। सभी नागरिक को सुअवसर व सुशासन का लाभ मिलेगा। सरकार सबका साथ सबका विकास की भावना से काम कर रही है। अधिकांश सरकारी सेवाएं आनलाइन की गई। पारदर्शिता लाई गई। मोदी ने इशारों में यह भी सन्देश दिया कि नागरिकों से प्रमाणपत्र नहीं मांगे जाएंगे। हिंसक विरोध की उन्होंने निंदा की। कहा कि अधिकार के साथ कर्तव्य का भी ध्यान रखना चाहिए। सुविधाएं प्राप्त करना अधिकार है तो सरकारी संपत्ति की रक्षा प्रत्येक नागरिक का दायित्व है। सरकार का दायित्व है कि केवल पांच वर्षों की नहीं पांच पीढ़ियों को ध्यान में रखकर काम करे। उत्तर प्रदेश सरकार भी इसी भावना से कार्य कर रही है।