कई बदमाश पुलिस के रडार पर
कई संदिग्ध हिरासत में, पोस्टर जारी
ए अहमद सौदागर
चारों तरफ नजर, फिर भी हाथ खाली
लखनऊ।
चौक क्षेत्र के नादान महल नेहरू क्रॉस स्थित किराना व कमला पसंद कारोबारी रामनिवास अग्रवाल की दुकान में नौकर सुभाष गुप्ता की हत्या व लूट के मामले में पुलिस जेल जा चुके दर्जनों आरोपितों से अब तक पूछताछ कर चुकी है।
इसके अलावा सीमावर्ती जिलों के हर उस गिरोह के बारे में पुलिस छानबीन कर रही है, जो रडार पर आ रहा है। खूनी लुटेरों की तलाश में क्राइम ब्रांच सहित पुलिस की नौ टीमें हर दिशा में गहन छानबीन कर रही है, लेकिन पांच दिन गुजरने के बाद भी पुलिस को कोई ठोस सुराग नहीं मिल सके हैं।
20 फरवरी 2020 को चौक के नादान महल नेहरू क्रास स्थित किराना व कमला पसंद कारोबारी रामनिवास अग्रवाल की दुकान में उनके नौकर सुभाष गुप्ता की हत्या कर नगदी लूटने के बाद बाइक सवार बदमाश रिवर बैंक कॉलोनी होते हुए ही भागे हैं।
पुलिस अफसरों की अब तक की छानबीन में यही सामने आ रहा है। पुलिस अफसरों का मानना है कि जिन बदमाशों ने वारदात की है, उनका कनेक्शन पुराने शहर के अपराधिक प्रवृत्ति के लड़कों से है।
जानकार सूत्रों की माने तो पुलिस ने पुराने लखनऊ से कुछ संदिग्ध लोगों को हिरासत में लेकर लंबी पूछताछ की, लेकिन उनसे भी कोई अहम जानकारी हासिल नहीं हो पाई।
वही खासकर उन लड़कों पर नजर रखी जा रही है, जो लूट या हत्या के मामलों में जेल जा चुके हैं या जुआ खेलते हुए भी पकड़े जा चुके हैं।
पुलिस का मानना है कि जिस तरह से भारी बाजार मैं वारदात को अंजाम देकर बदमाश आराम से भाग निकले, इससे यही लग रहा है कि किसी न किसी सूचीबद्ध इलाकाई बदमाश का हाथ जरूर है ॽ
जांच में जुटे एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि पड़ताल के दौरान यह भी सामने आया है कि पुराने लखनऊ में कुछ ऐसे स्थान हैं, जहां पर अक्सर जुआरियों का जमावड़ा लगा रहता है।
वहां अक्सर पुराने शहर के लड़के जुआ खेलते हैं।
पुलिस अफसरों का कहना है कि खूनी लुटेरों की तलाश में पुलिस की टीमें लखनऊ के अलावा सीमावर्ती जिलों में लगातार होमवर्क कर रही है और कई सूचीबद्ध बदमाशों की गतिविधियों पर भी नजरें गड़ाए हुए है।
वही पुलिस का एक दल जेल में बंद खूंखार एवं पेशेवर अपराधियों की कुंडली भी खंगालने में जुड़ा हुआ है।
फिलहाल पांच दिनों की तमाम कब आए तो के बाद भी पुलिस इस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है कि आखिर भरी बाजार में किस गिरोह के सदस्यों ने वारदात को अंजाम दिया है। हालाकी इसके पहले भी राजधानी लखनऊ में हुई कई वारदातों के मामलों में पुलिस की लापरवाही उजागर हो चुकी है, नतीजतन करीब आधा दर्जन घटनाएं आज भी पुलिस की फाइलों में गोते लगा रही है।