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वर्दी पर हो रहे हमलों से अफसरों की मुश्किलें बढ़ी


ए अहमद सौदागर

लखनऊ।

सूबे में पुलिसकर्मियों पर लगातार हो रहे हमले से अधिकारियों की मुसीबत बढ़ी है। अधिक चिंता पुलिस के घट रहे इकबाल की है। यह बदमाशों के बेखौफ होने का ही नतीजा है कि जब भी पुलिस उन पर हाथ डालने की कोशिश करती है, वह हमला बोल देते हैं।

कानपुर देहात के बिकरू गांव में गुरुवार रात यही हुआ।कुख्यात अपराधी विकास दुबे को पकड़ने के लिए पुलिस टीम पर विकास दुबे अपने साथियों के साथ मिलकर ताबड़तोड़ फायरिंग कर डीएसपी सहित आठ पुलिसकर्मियों को मौत की नींद सुला दिया, जबकि कई घायल हो गए।

बेकाबू अपराध, आतंक का पर्याय बना रहा खूंखार हिस्ट्रीशीटर

फ़िर भी चुप्पी साधे रहे जिम्मेदार अधिकारी। साठ से अधिक संगीन मुक़दमे वाला कुख्यात बदमाश विकास दुबे के बारे में शायद किसी भी जिम्मेदार पुलिस अधिकारी छिपा नहीं था। विकास दुबे 1992 में अपने गांव के निवासी किसान छुन्ना की जान लेकर जरायम की दुनिया में कदम रखता गया और आज के दौर में खूंखार अपराधी बन गया।

सूत्र बताते हैं कि हिस्ट्रीशीटर विकास अपराधी और मनबढ़ तो पहले ही था अब और बेखौफ होकर घूमता रहा। जानकार सूत्र यह भी बताते हैं कि विभाग दगा देने वाले कुछ पुलिस वाले इस महा अपराधी के घर की दहलीज पर पहुंच कर उसे सलामी ठोकते थे।
इससे साफ है कि दबिश से पहले थाने का ही कोई दागी पुलिसवाले ने जानकारी दी। हालांकि इसकी भनक पुलिस अफसरो को लग चुकी है और जांच पड़ताल भी शुरू करवा दिया है।

खतरनाक अपराधी विकास दुबे करीब दो घंटे के भीतर ताबड़तोड़ पुलिसकर्मियों के सीने में गोलियों की बौछार कर आठ लाशें बिछा दी। छत के ऊपर से सिलसिलेवार गोलियां बरसाकर डीएसपी देवेन्द्र मिश्र सहित एक दर्जन पुलिसकर्मियों को अपने घेरे में लेकर आठ बहादुर पुलिस जवानों को मौत के घाट उतार दिया।

इस दौरान पचास से अधिक राउंड फायरिंग कर ऐसी दहशत फैलाई कि पूरे इलाके में सनसनी फ़ैल गई।
पुलिसकर्मियों की जान लेने के बाद आराम से साथियों के साथ मौके से भाग निकला।

कानपुर देहात के अलावा यूपी के अलग-अलग जिलों में खादी लिबास पहन कर रंगदारी वसूलने व ठेके पर हत्या कराने का जिम्मा कुख्यात बदमाश विकास दुबे के पास है। बताया जा रहा है कि गांव में कोई भी शख्स इसके सामने ऊंची आवाज नहीं बोल सकता है। सवाल है कि इतना आतंक होने के बाद भी पुलिस अधिकारी आखिर क्यों चुप्पी साधे रहे ॽ क्या किसी राजनीतिक दल का उसे संरक्षण मिल रहा थाॽ नतीजतन आज कुख्यात बदमाश विकास अपने नापाक मंसूबों में कामयाब होकर पुलिसकर्मियों पर हमला किया, जिससे आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए।

वारदात को अंजाम देकर फरार विकास दुबे की तलाश में राज्य की एसटीएफ सहित पुलिस की 100 टीमें उसके अलग-अलग संभावित ठिकानों पर छापे मार रही है, लेकिन खूंखार हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे अभी तक हाथ नहीं लग सका है।

क्या कहते हैं पूर्व आईपीएस अधिकारी

पूर्व आईपीएस अधिकारी अपराध बढ़ने और अपराधियों को बढ़ावा मिलने का मुख्य कारण दंड व्यवस्था कमजोर।
पुलिस की ढीली पैरवी अपराधियों के लिए संजीवनी साबित हो रही है। लचर तफ्तीश, साक्ष्यों के अभाव कई बार शातिर अपराधी जेल से रिहा हो जाते हैं।

उन्होंने बताया कि खूंखार अपराधी अदालत से जल्द छुटने के लिए गवाहों को भी खरीदने की कोशिश कर या फिर किसी राजनीतिक दल के नेता की मदद से रिहा हो जाते हैं। नतीजतन वही अपराधी मनबढ़ होकर दोबारा पुलिस के लिए मुसीबत बन वारदात करते हैं। उन्होंने ने उम्र का हवाला देते हुए कहा कि 50 साल से अधिक पार करने के बाद जब कोई उपकरण काम करने में असफल साबित हो सकता है तो 150 उपकरण कैसे कामयाब होंगे। लिहाजा लचर विधान दंड के चलते आज अपराधियों के हौंसले बुलंद हैं। वहीं व्यवस्थागत कमियां भी सुरक्षा में सेंध की बड़ी वजह होती है। इसमें राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमजोरी भी एक बड़ा कारण है। अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का संदेश बिल्कुल साफ व कार्रवाई कठोर होनी चाहिए।

पूर्व आईपीएस अधिकारी सूर्य प्रकाश शुक्ला

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