धीरज कुमार
गर्मी के साथ ही चढ़ा सियासी पारा
उत्तर प्रदेश में चौथे चरण में मत प्रतिशत पिछली बार की तुलना में हुआ बराबर
उत्तर प्रदेश में चौथे चरण के लिए मतदान सोमवार 13 मई को संपन्न हुआI पिछले तीन चरणों में मत प्रतिशत में जो गिरावट आ रही थी, वह इस बार खत्म हो गईI चौथे चरण में उत्तर प्रदेश की 13 लोकसभा सीटों पर हुए मतदान में मत प्रतिशत, 2019 की तुलना में लगभग बराबर हो गयाI हर लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या बढ़ने के कारण पिछली बार पड़े कुल मतों की तुलना में इस बार हर लोकसभा क्षेत्र में औसतन लगभग 50000 मत अधिक पड़े हैंI पहले तीन चरणों में मतदाताओं में उत्साह में जो कमी देखी गई थी वह इस चरण में दूर हो गईI इस चरण में मतदाता उत्साह से लबरेज दिखेI यहां तक की शहरी मतदाताओं की बहुलता वाले कानपुर लोकसभा क्षेत्र में भी पिछले चुनाव की तुलना में इस बार मतदान में 1.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि गर्मी चरण दर चरण लगातार बढ़ती ही जा रही हैI हालांकि इस चरण में गर्मी में कुछ राहत महसूस की गई है।
जिन 13 लोकसभा क्षेत्र में चौथे चरण में मतदान हुआ उनके नाम हैं शाहजहांपुर (सुरक्षित), खीरी, धौरहरा, सीतापुर, हरदोई (सुरक्षित), मिश्रिख (सुरक्षित), उन्नाव, फर्रुखाबाद, इटावा (सुरक्षित), कन्नौज, कानपुर, अकबरपुर एवं बहराइच (सुरक्षित)I
यदि कन्नौज लोकसभा क्षेत्र (समाजवादी पार्टी का प्रभाव क्षेत्र) को छोड़ दिया जाए तो बाकी सभी लोकसभा क्षेत्रों में मतदाताओं का रुझान हमेशा क्षेत्रीय पार्टियों की अपेक्षा राष्ट्रीय पार्टियों की तरफ रहा हैI
2009 के लोकसभा चुनाव में इन 13 लोकसभा सीटों में से 7 लोकसभा सीटें कांग्रेस के खाते में गई थींI यदि 2014 के लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो इन 13 लोकसभा सीटों में से 12 पर भारतीय जनता पार्टी को विजय प्राप्त हुई थीI 2019 के लोकसभा चुनाव में सभी 13 सीटें भारतीय जनता पार्टी ने जीती थींI यहां तक कि 2019 में कन्नौज लोकसभा क्षेत्र, जो समाजवादी पार्टी का प्रभाव क्षेत्र कहा जाता है, वहां से भारतीय जनता पार्टी के सुब्रत पाठक ने पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को लगभग 13000 मतों से हरा दिया थाI
इस प्रकार यदि पिछले दो चुनावों का विश्लेषण करें तो मध्य उत्तर प्रदेश की ये सभी 13 सीटें भारतीय जनता पार्टी के गढ़ के रूप में देखी जा सकती हैंI इनमें से ज्यादातर सीटों पर गैर यादव ओबीसी व अनुसुचित जातियों का बाहुल्य हैI इन 13 लोक सभा सीटों में से पांच लोकसभा सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैंI आरक्षित सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का प्रदर्शन बाकी सीटों की अपेक्षा हमेशा अच्छा रहता हैI इसका एक बड़ा कारण है भारतीय जनता पार्टी की मजबूत सोशल इंजीनियरिंगI जैसा कि विदित है भारतीय जनता पार्टी कथित रूप से उच्च जातियों के अधिक समर्थन वाली पार्टी मानी जाती रही हैI ऐसी स्थिति में आरक्षित सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का अनुसूचित जाति का उम्मीदवार अपने सामाजिक वर्ग से तो वोट का एक बड़ा हिस्सा लेकर आता ही है साथ ही तथाकथित उच्च जाति वर्गों के मतों को भी बहुतायत में आसानी से प्राप्त कर लेता हैI
यदि इन 13 लोकसभा क्षेत्रों के विषय में एक साथ चर्चा की जाए तो इस बार भारतीय जनता पार्टी ने इनमें से 11 लोकसभा क्षेत्र में अपने पुराने उम्मीदवारों पर पुनः भरोसा जताया हैI कानपुर लोकसभा क्षेत्र में इस बार भारतीय जनता पार्टी ने पिछले बार के सांसद सत्यदेव पचौरी का टिकट काट कर रमेश अवस्थी को मैदान में उतारा हैI जबकि बहराइच (सुरक्षित) सीट के पिछली बार के सांसद अक्षयबर लाल का टिकट काटकर आनंद कुमार को अवसर दिया हैI यदि इन सभी सीटों पर सम्यक रूप से चर्चा जी की जाए तो कन्नौज लोकसभा क्षेत्र को छोड़कर बाकी सभी 12 सीटों पर पिछली बार भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों ने विपक्षी दलों के महागठबंधन (सपा+बसपा+आरएलडी) के संयुक्त प्रत्याशियों को काफी बड़े अंतर से हराया थाI इसलिए इस चुनाव में भी किसी बड़े उलटफेर की संभावना दिखाई नहीं पड़ती हैI क्योंकि पिछली बार समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी एक साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रहे थे, इसके बावजूद वह इस चरण की एक भी सीट पर भारतीय जनता पार्टी को नहीं हरा सकेI तो इस बार अलग-अलग लड़कर विपक्षी मतों के बिखराव की स्थिति में ऐसा काफी मुश्किल प्रतीत होता हैI
यदि कन्नौज लोकसभा क्षेत्र की बात की जाए तो यहां पर इस बार पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव स्वयं मैदान में हैंI वह पिछली बार के चुनाव में अपनी पत्नी डिंपल यादव की हार का बदला लेने के लिए तत्पर हैंI कन्नौज लोकसभा क्षेत्र का मुकाबला काफी रोचक हैI क्योंकि पिछले चुनाव की तुलना में इस बार इस लोकसभा क्षेत्र में मत प्रतिशत भी बढ़ा है और साथ ही मतदाताओं की संख्या बढ़ने के कारण इस बार पिछली बार की तुलना में लगभग 75000 मत अधिक पड़े हैंI भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी सुब्रत पाठक आत्मविश्वास से लबरेज हैंI अखिलेश यादव की सबसे बड़ी चिंता है बहुजन समाज पार्टी का मुस्लिम उम्मीदवारI कुल 1214835 मत पड़े हैं, जिससे इस बात का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि इस सीट पर जो प्रत्याशी 6 लाख से अधिक मत प्राप्त करेगा, जीत उसी का वरण करेगीI अब देखना है कि ऊंट किस करवट बैठता हैI