लोकतंत्र में मतदान का महत्व
डॉ दिलीप अग्निहोत्री
लखनऊ।
भारत निर्वाचन आयोग का गठन पच्चीस जनवरी उन्नीस सौ पचास को हुआ था। इसके अगले दिन संविधान लागू हुआ। इसी के साथ भारत लोकतांत्रिक गणराज्य बना। भारत सरकार ने दो हजार ग्यारह निर्वाचन आयोग की स्थापना दिवस पच्चीस जनवरी को ही राष्ट्रीय मतदाता दिवस घोषित किया था। इस दिन देश में सरकारी व गैरसरकारी स्तर पर मतदान जागरूकता अभियान व कार्यक्रम आयोजित किये जाते है।
भारतीय संविधान ने प्रजातांत्रिक प्रणाली का प्रावधान किया है। संविधान की प्रस्तावन हम भारत के लोग वाक्य से ही प्रारम्भ होती है। यही हम भारत के लोग ही संविधान को अधिनियमित अंगीकृत और आत्मार्पित करने वाले है। वस्तुतः यह व्यवस्था मतदान को ही रेखांकित करती है। मतदान के माध्यम से ही सरकार का गठन होता है। अठारह वर्ष की उम्र से अधिक के सभी नागरिक मतदाता होते है। संविधान ने नागरिकों को अधिकार व कर्तव्य दोनों दिए है। मतदान करना प्रत्येक नागरिक का अधिकार व कर्तव्य दोनों है। जो इस कर्तव्य का निर्वाह नहीं करते उन्हें अधिकार के उपयोग का नैतिक अधिकार नहीं है। इतना ही नहीं उन्हें किसी सरकार की आलोचना का भी नैतिक अधिकार नहीं होता। क्योकि वह तो सरकार के गठन की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल ही नहीं हुए थे। जबकि सरकार उन्हें मतदाता बनाने का अभियान चलाती है। मतदान वाले दिन सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाता है। पच्चीस जनवरी को जागरूकता के लिए मतदाता दिवस आयोजित किया जाता है।
लखनऊ में आयोजित मतदाता जागरूकता अभियान में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल शामिल हुई। यहां उन्होंने मतदान के महत्व पर विचार व्यक्त किये। वह स्वयं भी कई बार विधायक निर्वाचित हो चुकी है। गुजरात में मंत्री व मुख्यमंत्री रही। इस रूप में उनका व्यापक अनुभव रहा है।
उन्होंने कहा कि मतदान हमारा कर्तव्य है। इसका उपयोग अवश्य और सोच समझ कर करना चाहिए। पहले धनबल और बाहुबल मतदान को प्रभावित करते थे। चुनाव के दौरान मतपेटी ही गायब कर दी जाती थी। लेकिन अब पर्याप्त सुधार हो चुका है। निष्पक्ष चुनाव होते है। लेकिन चुनावमें महिलाओं का मतदान प्रतिशत बहुत कम होता है। इसके लिए महिलाओं को जागरूक करना होगा। इससे लोकतंत्र में उनकी पर्याप्त भागीदारी सुनिश्चित हो सकेगी। लोकतांत्रिक व्यवस्था का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा मतदाता जागरूकता है। मतदान के माध्यम से स्वस्थ लोकतंत्र कायम होता है। मतदाता को जागरूक और जिम्मेदार होना चाहिए।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उपस्थित लोगों को मतदाता शपथ दिलाई। मतदान प्रतिशत बढ़ाने का आह्वान किया।
राष्ट्रीय मतदाता दिवस हर साल पच्चीस जनवरी को मनाया जाता है। यह लोकतंत्र में भागीदरी कई प्रेरणा देने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। मतदान के प्रति प्रत्येक नागरिक की रुचि होनी चाहिए। उन्हें जगरुक्त होना चाहिए।