आगे बढ़ेगी चरैवेति चरैवेति की यात्रा
डॉ दिलीप अग्निहोत्री
उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नाईक की पुस्तक चरैवेति चरैवेति ने अपने नाम को चरितार्थ किया है। लोकप्रियता और संस्करण की दृष्टि से इस पुस्तक ने कम समय में लंबी यात्रा तय की है। ये बात अलग है कि राम नाईक अपने को एक्सिडेंटल राइटर ही मानते है। वैसे उन्होंने अपने लेखन कार्य को आगे बढाने का निर्णय लिया है। इस पर उन्होंने काम भी शुरू कर दिया है। पन्द्रह फरवरी को वह लखनऊ यात्रा पर थे। यहां राम नाईक को ‘भारती तिलक’ सम्मान से सम्मानित कर नागरिक अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम के मख्य अतिथि राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र थे।
कलराज मिश्र ने कहा कि श्री नाईक से पुराना संबंध है। उनके साथ राजनीति में कार्य किया है।राज्यपाल के रूप में श्री नाईक का कार्यकाल अभूतपूर्व रहा है। उन्होंने अपने कार्यकाल में राजभवन में आराम नहीं किया बल्कि जनता से संवाद बनाया। अनेक गैर जरूरी धारणाओं को समाप्त किया तथा सदैव पद की गरिमा को बनाये रखा। संविधान के अनुरूप कार्य करते हुए सभी से बराबरी का व्यवहार किया। कोई व्यक्ति अपने पद पर कार्य करते हुए कैसे जन कल्याणकारी स्वरूप में सक्रिय भूमिका निभा सकता है। श्री नाईक ने ऐसा कार्य किया है। पद के साथ दायित्व का निर्वहन ही देश की सच्ची सेवा होती है। राम नाईक ने संस्था रंगभारती एवं उत्तर प्रदेश नागरिक परिषद को नागरिक अभिनंदन के लिये धन्यवाद दिया। कहा कि मुझे प्रसन्नता है कि मेरे सुझाव पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस पर सरकारी आयोजन की शुरूआत की।
उन्होंने कहा कि मेरे कार्यकाल में उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस मनाने का कार्य हुआ, जो समाधान देने वाली बात है। उनके प्रयास से आजादी के बयालीस साल बाद देश की सबसे बड़ी पंचायत में जन-मन-गण एवं ‘वंदे मात्रम गायन की शुरूआत हुई। इसी तरह स्थापना के अड़सठ वर्ष बाद उत्तर प्रदेश में स्थापना दिवस आयोजन की शुरूआत हुई। योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश दिवस के अवसर पर ‘एक जिला-एक उत्पाद’ जैसी महत्वाकांक्षी योजना का शुभारम्भ किया। इस योजना से उत्तर प्रदेश को नई पहचान मिलेगी। सम्पूर्ण प्रदेश में उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस के कार्यक्रम होने चाहिए।
राम नाईक जनता के समक्ष जवाबदेही के लिये प्रतिवर्ष अपना कार्यवृत्त प्रकाशित करते रहे हैं। कहते है कि मराठी दैनिक ‘सकाल’ के लिये लिखे संस्मरणों के संकलन मराठी पुस्तक ‘चरैवेति-चरैवेति’ के कारण वे एक्सीडेंटल राइटर बन गये। उनकी पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ का हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, संस्कृत, गुजराती, सिंधी, अरबी, फारसी, जर्मन, असमिया भाषा सहित ब्रेल लिपि हिन्दी, अंग्रेजी एवं मराठी संस्करण का प्रकाशन हुआ। पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ 11 भाषाओं तथा ब्रेल लिपि में तीन भाषाओं में उपलब्ध है और शीघ्र ही नेपाली, कश्मीरी और तमिल में प्रकाशित हो रही है। चरैवेति-चरैवेति से उन्हें पहचान मिली है। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल पर आधारित पुस्तक ‘चरैवेति-चरैवेति-दो’ लिख रहे हैं। श्री नाईक ने कहा कि उनके कार्यकाल से संबंधित कोई संस्मरण हो तो उन्हें भेंजे, उसे पुस्तक ‘चरैवेति-चरैवेति-दो’ में सम्मिलित किया जायेगा।