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भगवान रामलला का सूर्याभिषेक: भए प्रगट कृपाला, दीन दयाला, रामनवमी आज

सूर्यकुल भूषण श्री रामलला के ललाट पर सुशोभित भव्य ‘सूर्य तिलक’ आज अखिल राष्ट्र को अपने सनातन गौरव से आलोकित कर रहा है।

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“श्री राम का जन्म दिवस मनाने के पीछे मात्र उनका ईश्वरत्व ही नहीं है अपितु उनके वह मानवीय गुण हैं जिनको हम अपने व्यक्तित्व में आत्मसात करने का प्रयास चिरंतन काल से करते आए हैं। उनमें से कोई भी गुण हमारे जीवन में यदि प्रस्फुटित हो जाए तो जीवन धन्य हो जाएगा।”

आप सभी को राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ! भगवान श्रीराम की कृपा आपके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाए….

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सम्पूर्ण विश्व में राम नवमी का पर्व भगवान राम जी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन (आज 17 अप्रैल 2024 बुधवार) को जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु ने अपना 7वां अवतार श्रीराम के रूप में लिया था। श्री राम जी अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के पुत्र बनकर इस धरा पर अवतरित हुए थे। जगत का कल्याण करने के लिए और रावण का वध करने के लिए ही भगवान विष्णु जी ने श्रीराम का अवतार लिया था। श्रीराम ने हमेशा धर्म का साथ दिया। भगवान श्रीराम ने राजा दशरथ और रानी कौशल्या के ज्येष्ठ पुत्र के रूप में जन्म लिया था। लक्ष्मण, भारत और शत्रुघ्न उनके भाई थे।

आज अयोध्या में श्रीराम जी के मस्तक पर वैज्ञानिकों ने 11 बजकर 16 मिनट पर सूर्य की रश्मियों का तिलक लगवाकर आज के दिन को और महत्वपूर्ण बना दिया। यह वैज्ञानिक घटना पांच मिनट तक चलती रही जिसका सजीव प्रसारण सम्पूर्ण विश्व में किया गया और करोड़ों लोग इसके साक्षी बने।

“स्वर्ण मृग के पीछे क्यों भागे प्रभु श्री राम?”

आचार्य श्री अमिताभ जी महाराज

परम पूज्य संत आचार्य श्री अमिताभ जी महाराज कहते हैं कि श्री राम अनुकरणीय हैं यह जानते हुए भी कि स्वर्ण मृग का कोई अस्तित्व नहीं होता, किंतु वन में आने के उपरांत भगवती सीता के द्वारा प्रथम बार यह अपेक्षा की गई है। मैं इसको कैसे ठुकरा दूं ?

“हे लक्ष्मण जो भवितव्यता है उसका सामना करने के अतिरिक्त और कोई उपाय नहीं है।”

“श्री राम का जन्म दिवस मनाने के पीछे मात्र उनका ईश्वरत्व ही नहीं है अपितु उनके वह मानवीय गुण हैं जिनको हम अपने व्यक्तित्व में आत्मसात करने का प्रयास चिरंतन काल से करते आए हैं। उनमें से कोई भी गुण हमारे जीवन में यदि प्रस्फुटित हो जाए तो जीवन धन्य हो जाएगा।”

परमपूज्य आचार्य श्री अमिताभ जी महाराज

राम का एक अर्थ है रम जाना, यानी लीन-एकात्म हो जाना।

 जीवन की सारी लोकिताओं के बीच रहकर अपनी चेतनाओं को लक्ष्य पर केंद्रित कर देना।

राम हमे अपने उत्तरदायित्व से विमुख न होने का बल देता है। सच मे कष्ट उठाकर जिम्मेदारी को निभाना ही “पुरुषोत्तम”बनना है।

 मेरा विश्वास है और हृदय से प्रयास होगा कि राम की पूजा केवल उनके देवत्त्व की पूजा न होकर, उनके गुणों को आत्मसात करने की सतत प्रकृति पैदा करना है।

ईश्वर हम को आत्मबल और आशीर्वाद दे ।

 श्री रामनवमी की हार्दिक शुभकामनायें ।

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