प्रयागराज।
राष्ट्रीय महिला रचनाकार मंच के तत्वावधान में हिन्दी पखवाड़े के अंतर्गत 2 सितम्बर से हिन्दी भाषा के सम्मान में एक विशेष आयोजन का शुभारंभ किया गया जो 14 सितंबर तक लगातार किसी न किसी हिन्दी साहित्य के पुरोधा कवि लेखकों पर आधारित रहेगा।
आज 4 सितम्बर को यह आयोजन हिन्दी साहित्य जगत के सुप्रसिद्ध छायावाद के स्तम्भ सूर्यकान्त निराला पर आधारित रहा जिसका संयोजन कवयित्री रचना सक्सेना ने किया और अध्यक्षता वरिष्ठ अधिवक्ता एवं रंगकर्मी ऋतन्धरा मिश्रा जी ने की।
बहराइच से रुचि मटरेजा एवं प्रयागराज की चेतना सिंह ने इस आयोजन मे संयुक्त संचालन द्वारा कार्यक्रम में चार चांद लगा दिये। । इस अवसर पर देश विदेश की अनेक कवयित्री बहनों ने अपनी सुंदर सुंदर रचनाओं की प्रस्तुतियां दी। इस अवसर पर अर्विना गहलोत कहती हैं निराला का व्यक्तित्व था अनोखा.., प्रयागराज से संतोष मिश्रा ‘ ‘दामिनी ‘जी कहती हैं मेदनीपुर गांव में अवतरित हुआ सितारा…, भोपाल से मीना जैन दुष्यंत कहती हैं – हुआ बसंत पंचमी के दिन अवतरण हुई हिंदी जगत की पुण्य धरा धन्य..,प्रयागराज से मीरा सिन्हा जी लिखती हैं_प्रयागराज की धरती पर, वह तोड़ती पत्थर
उसकी व्यथा समझने वाला
रहता था गंगा के तट पर…, नागपुर से नंदिता सोनी कहती हैं- सूर्य बनकर चमक उठे थे निराला अपनी निराली शान से, बिहार से अनामिका अमिताभ गौरव लिखती हैं -संघर्ष भरा जीवन रहा
पर अडिग रहे वह संकल्प पर…, लखीमपुर खीरी से सुरेंद्र संदीपिका चड्ढा कहती हैं मुक्त छंद का तो…निराला जी ने विस्तार किया…. बिलासपुर से रश्मि लता मिश्रा लिखती हैं निराला जी एक स्वाभिमानी और सिद्धांत के कवि थे…, प्रयागराज से इंदू सिन्हा कहती हैं- हिंदी जगत के अनमोल रत्न हैं…, दिल्ली से डॉ सरला ‘स्निग्धा ‘ लिखती हैं पीड़ा को दर्शाते…, इंदौर से अंकिता यादव लिखती हैं- कहीं रही सहानुभूति तो कहीं आध्यात्मिकता…., प्रयागराज से रचना सक्सेना जी कहती हैं संवेदना से भरा हुआ
न रोक सका जो भावों को
कलम हाथ में लिए हुए
मरहम देता वो घाव को…, जौनपुर से मधु पाठक जी कहती हैं-हे दिव्यरूप! हे महाप्राण लेकर के सुंदर भाव प्रमन
कोटि -कोटि शत कोटि नमन… दमोह से कुसुम खरे ‘ श्रुति ‘ कहती हैं-ऐसी पुण्य प्रयाग धरा, सूर्य उदय से साक्ष्य मिले…., प्रयागराज से पूर्णिमा मालवीय जी कहती हैं यथा नाम गुण भी वैसा ही…. महाराष्ट्र से गीता सिंह लिखती हैं -निराला जी संघर्ष की चुनौतियों से आंख नहीं चुराते…, ओमान से राशि जी लिखती हैं- छायावाद के एक स्तंभ जो यथा द्वार के निकट … ,प्रयागराज से चेतना चितेरी कहती हैं दलित सर्वहारा वर्ग के प्रति, अपनी कारूणिक संवेदना को संप्रेषित करनेवाले कवि ‘ निराला ‘ का व्यक्तित्व अप्रतिम है… प्रयाग- राज से उर्वशी उपाध्याय प्रेरणा कहती हैं -करके शब्दों का उजाला शारदे से वर लिया…. प्रयागराज से अर्चना पांडे जी कहती हैं सूर्य समान कांति थी जिसकी… सब की पीड़ा मन में पाला… रीना राय कहती हैं-हिंदी के युग का काल निराला…
2 सितम्बर को यह आयोजन हिन्दी साहित्य के पुरोधा कवि हरिवंश राय बच्चन पर आधारित रहा जिसका संयोजन कवयित्री रचना सक्सेना ने किया और अध्यक्षता वरिष्ठ अधिवक्ता एवं रंगकर्मी ऋतन्धरा मिश्रा जी ने की। बहराइच से रुचि मटरेजा एवं प्रयागराज की चेतना सिंह ने इस आयोजन मे संयुक्त संचालन द्वारा कार्यक्रम में चार चांद लगा दिये। इस आयोजन का शुभारंभ भोपाल से मीना जैन दुष्यंत ने अपनी वाणी वंदना से किया। इस अवसर पर देश विदेश की अनेक कवयित्री बहनों ने अपनी सुंदर सुंदर रचनाओं की प्रस्तुतियां दी। इस अवसर पर अनामिका अमिताभ गौरव, आरा (बिहार) ने..
प्रतापगढ़ की पट्टी में जन्मा एक सितारा;
हरिवंश राय बच्चन सबकी आंखों का तारा,भोपाल से
मीना जैन दुष्यंत ने… छायावाद के प्रमुख स्तंभ हरिवंश राय बच्चन।
हम करते युग दृष्टा साहित्यकार का आज वंदन मीरा सिन्हा ने…
लेखन की मदिरा से जिसने बना दिया एक मधुशाला
जिसमें जाने वाला पीकर निकला बनकर मतवाला, दिल्ली से डॉ सरला सिंह ‘स्निग्धा ‘ नें हरिवंश राय बच्चन
मधुशाला की हाला पीकर
धन्य हुआ हिंदी साहित्य,
प्रतिमा शर्मा ज्ञानपुर ‘भदोही’ से
जिस विषधर से दूर रहे सब बना दिया उसी की माला
शिव ने जग की रक्षा करने गटक लिया खुद ही हाला.. मेरठ से सीमा गर्ग मंजरी ने…
छायावादी महान कवि ने मधुशाला का सृजन किया
देकर हाला का प्याला जग में..-मीना विवेक जैन ने…
क्या लिखूं मैं
हरिवंश राय बच्चन जी के व्यक्तित्व के बारे में, इंदु सिन्हा प्रयागराज से…. हरिवंशराय बच्चन जी की अमर कहानी,
नंदिता मनीष ‘सोनी’ नागपुर से…. आशा का दीप जलाकर
नवजीवन का किया संचार, राशि ओमान कहती है…. तेरा मेरा त्याग कर पी जीवन रूपी हाला।
मधु पाठक जौनपुर से…..
रहे प्रेम से धरती पर जो है सच्चा पीनेवाला, आर्विना गहलोत कहती हैं…. खुद न चाखा कभी मय का प्याला भारत भूमि का लाल हिंदी का रखवाला, चेतना चितेरी, प्रयागराज से
क्या भूलूं क्या याद करूं जीवन के संघर्ष में भी
आनंद और मस्ती से जीवन व्यतीत करो! दिया जनसंदेश, सरोज सिंह राजपूत ठाकुर कहती हैं ऐसे महान हस्ती को कभी नहीं भूल पाएंगे, संदीपिका चड्ढा लखीमपुर खीरी से कहती हैं हरि का नाम लेकर हरिवंश गया
ये प्रयागराज का लाल कमाल कर गया, अंकिता यादव इंदौर से हिंदी साहित्य का खजाना जिन्होंने लिखी मधुशाला, कुसुम खरे श्रुति कहती है हिंदी का गुंठन करके हलाहल का किया मान, रचना सक्सेना प्रयागराज से लिखती हैं कलम थाम कर हाथ में जिसने हिंदी का मान बढ़ाया और अध्यक्षता कर रही ऋतन्धरा मिश्रा ने…हरिवंश राय बच्चन की यादें
याद दिलाता मधुशाला
जीवन के कुछ गूढ़ रहस्य में
जब से छाया मधुशाला ने लिखकर हिन्दी भाषा को गौरवान्वित किया।
3 सितम्बर को यह आयोजन हिन्दी साहित्य की सुप्रसिद्ध कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान पर आधारित रहा जिसका संयोजन कवयित्री रचना सक्सेना ने किया और अध्यक्षता वरिष्ठ अधिवक्ता एवं रंगकर्मी ऋतन्धरा मिश्रा जी ने की। बहराइच से रुचि मटरेजा एवं प्रयागराज की चेतना सिंह ने इस आयोजन मे संयुक्त संचालन द्वारा कार्यक्रम में चार चांद लगा दिये। । इस अवसर पर देश विदेश की अनेक कवयित्री बहनों ने अपनी सुंदर सुंदर रचनाओं की प्रस्तुतियां दी। इस अवसर पर प्रयागराज से संतोष मिश्रा ‘दामिनी’ सुभद्रा कुमारी चौहान की स्मृतियों में लिखती हैं…. जिनकी पंक्तियां वो भरी हुई संवेदनाओं से कलम की जादूगर… वहीं आरा बिहार से अनामिका अमिताभ गौरव कहती हैं…. झांसी की रानी लिख जिस ने रच डाला इतिहास
वह थी हमारी सुभद्रा कुमारी चौहान, प्रयागराज से मीरा सिन्हा जी कहती हैं…. क्यों करता है ईश्वर उमर देने में आनाकानी
चाहे वह हो विवेकानंद, सुभद्रा या झांसी की रानी पंक्तियां दिल को छू ले गई वही प्रयागराज से इंदू ‘सिन्हा’ जी कहती हैं… हो प्रथम महिला सत्याग्रही बन युवाओं की प्रेरणा बनी, भोपाल से मीना जैन दुष्यंत कहती हैं… बिखरे मोती यह कदम का पेड़, आराधना
परिचय देती है आप की लगन और साधना बहुत ही सुंदर पंक्तियां से मंच को भावविभोर कर गई, तो इंदौर से अंकिता यादव कहती हैं… हार ना मानी आपने, देश के लिए लड़ाइयां लड़ी ,चाहे सलाखों के पीछे क्यों ना गई,लखीमपुर से सलोनी जी कहती हैं.. वो तारा एक आसमान में चमकता खूब शान से
देखा एक सपना सपने में आजादी का किस्सा, लखीमपुर से सुरेंद्र संदीपका चड्ढा कहती हैं…. कोयल से तुमने मीठा बोलने का एहसास करवाया, रामायण की कथा कह कर त्याग का भी बोध करवाया,दिल्ली से डॉ सरला सिंह स्निग्ध कहती हैं… अग्निशिखा सी चमक लिए नारी शक्ति की वाहक थी, हिंदी साहित्य संवाहक थी,जौनपुर से मधु पाठक जी कहती हैं… वीरों का कैसा बसंत हो जन मन में यह भाव भरें, प्रयागराज से ऋतंधरा मिश्रा लिखती हैं… एक एक शब्द सुभद्रा का, मन की भावों से फूटा था ,उधर लड़ी मर्दानी झांसी, इधर सुभद्रा लिख डाली झांसी, नागपुर से नंदिता मनीष सोनी कहती हैं… हौसलों की उड़ान भर औरों के लिए बनी मिसाल, ओमान से राशि जी लिखती हैं कभी बन ढाल, कभी बन तलवार, ये हाथ से हाथ मिलाकर चली, प्रयागराज से चेतना चितेरी लिखती हैं…. दिखलाया अदम्य, पावन प्रयाग नगरी की बेटी! सुभद्रा कुमारी चौहान, खूब ! लड़ी राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में,दमोह से कुसुम खरे ‘श्रुति’ कहती हैं… निज जीवन को वार दिया लेखन की वाणी दे के, नमन हे नारी रत्न दो ऊर्जा फिर से,प्रयागराज से रचना सक्सेना जी लिखती हैं… झांसी की रानी पर लिखकर दिया नारी को सम्मान,हिंदी हमारी प्यारी भाषा दिया हिंदी को भी मान। ने लिखकर हिन्दी भाषा को गौरवान्वित किया।
रचना सक्सेना