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यूपीपीसीएस परीक्षा में लागू आरक्षण पर आयोग से जवाब तलब
प्रयागराज।
यूपी पीसीएस की प्री और मेन्स दोनों परीक्षाओं में हर स्तर पर दिए जा रहे वर्गवार आरक्षण का संज्ञान लेते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आयोग और राज्य सरकार से पूछा है कि किस नियम के अंतर्गत प्रत्येक चरण में आरक्षण दिया जा रहा है?
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की पीसीएस-प्री परीक्षा में आरक्षण दिए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर हाई कोर्ट ने आयोग और राज्य सरकार से जवाब मांगा है। प्रतियोगी छात्र अवनीश कुमार पांडेय की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस जे.जे. मुनीर की अदालत ने त्रिस्तरीय आरक्षण की तरह पीसीएस 2019 (प्रारम्भिक परीक्षा एवं मुख्य परीक्षा) प्रत्येक स्तर पर दिए जा रहे वर्गवार आरक्षण का संज्ञान लेते हुए आयोग से पूछा कि आप किस नियम के अंतर्गत प्रत्येक चरण में आरक्षण दे सकते हैं।
आयोग के अधिवक्ता का कहना था कि अगर हर चरण में आरक्षण नहीं देगें तो आरक्षित वर्ग को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाएगा। वहीं, याची के अधिवक्ता आलोक मिश्रा ने बैकलॉग विज्ञापन का हवाला दिया। साथ ही उचित प्रतिनिधित्व का निर्धारण अंतिम चयन सूची में प्रतिनिधित्व के आधार पर निर्धारण किए जाने की बात रखी।
उन्होंने बताया कि अगर आरक्षण श्रेणी का उचित प्रतिनिधित्व चयन प्रकिया में नहीं हो पा रहा है तो आरक्षण नियमावली 1994 के सेक्शन 3(2) और संविधान के अनुच्छेद 16 (4) (b) में बैकलॉग चयन का प्रावधान है। साथ ही रोस्टर पॉइंट पर प्रत्येक पद श्रेणी विशेष हेतु चिह्नित हैं। इसलिए आयोग का पक्ष अवैधानिक और असंवैधानिक है। इस पर कोर्ट ने आयोग को चार हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने को कहा। साथ ही याचिका को अंतिम सुनवाई के लिए 10 जनवरी 2020 को सूचीबद्ध करने का आदेश भी दिया गया है।