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महराजगंज में सद्भावना सम्मान समारोह: के एम अग्रवाल

के.एम. अग्रवाल

सालों से मन में यह बात आती थी कि कभी आत्मकथा लिखूँ। फिर सोचा कि आत्मकथा तो बड़े-बड़े लेखक, साहित्यकार, राजनेता, फिल्मकार, अन्तर्राष्ट्रीय खिलाड़ी, वैज्ञानिक, बड़े-बड़े युद्ध जीतने वाले सेनापति आदि लिखते हैं और वह अपने आप में अच्छी-खासी मोटी किताब होती है। मैं तो एक साधारण, लेकिन समाज और देश के प्रति एक सजग नागरिक हूँ। मैंने ऐसा कुछ देश को नहीं दिया, जिसे लोग याद करें। पत्रकारिता का भी मेरा जीवन महज 24 वर्षों का रहा। हाँ, इस 24 वर्ष में जीवन के कुछ अनुभव तथा मान-सम्मान के साथ जीने तथा सच को सच और झूठ को झूठ कहने का साहस विकसित हुआ। लेकिन कभी लिखना शुरू नहीं हो सका।

एक बार पत्रकारिता के जीवन के इलाहाबाद के अनुज साथी स्नेह मधुर से बात हो रही थी। बात-बात में जीवन में उतार-चढ़ाव की बहुत सी बातें हो गयीं। मधुर जी कहने लगे कि पुस्तक के रूप में नहीं, बल्कि टुकड़ों-टुकड़ों में पत्रकारिता के अनुभव को जैसा बता रहे हैं, लिख डालिये। उसका भी महत्व होगा। बात कुछ ठीक लगी और फिर आज लिखने बैठ ही गया।

गतांक से आगे…

‘मेरा जीवन’: के.एम. अग्रवाल: 77: 

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सद्भावना सम्मान समारोह

1997 में मेरे मन में एक बात यह आयी कि महराजगंज जनपद क्षेत्र के जो भी लोग जिले से बाहर देश में या विदेश में अच्छे पदों पर हैं, क्यों न उनकी एक सूची बनाकर उन्हें यहां आमंत्रित कर सम्मानित किया जाय। फिर तो मैं इस काम में लग गया। जो भी मिलता उससे उसके गांव या कस्बे के ऐसे व्यक्तियों की जानकारी इकट्ठा करने लगा। लगभग छह महीने लगे और विज्ञान, शिक्षा, रक्षा, इंजीनियरिंग, चिकित्सा, प्रशासन आदि क्षेत्रों में बाहर काम करने वाले 125 व्यक्तियों की सूची मैले पास तैयार हो गयी। कोशिश करके धीरे धीरे सभी के डाक के पते और टेलीफोन नंबर भी मिल गये।
फिर तो मैंने जन चेतना मंच की बैठक बुलाकर अपनी इस योजना को रखा, जिसे स्वीकार कर लिया गया।
मैंने तत्कालीन जिलाधिकारी डा.राकेश कुमार से संपर्क किया और ‘ सद्भावना सम्मान समारोह ‘ आयोजित करने की योजना बताई, तो उन्हें भी बहुत अच्छा लगा। डा.राकेश स्वयं इस योजना में रुचि लेने लगे। उन्होंने कुछ खास लोगों की एक बैठक बुलायी, जिसमें इस योजना को कार्यरूप देना था। बैठक में मेरे अलावा घुघली के प्रमुख व्यापारी सुरेश रूंगटा, पी.जी.कालेज के प्रबंधक डा.बलराम भट्ट, चारु चन्द्र श्रीवास्तव एडवोकेट तथा दो तीन और लोग उपस्थित थे। तय पाया गया कि पी जी कालेज के परिसर में कार्यक्रम होगा। सुरेश रूंगटा शामियाने का खर्च, डा.भट्ट प्रतीक चिन्ह का खर्च उठायेंगे और जिलाधिकारी स्वयं अतिथियों के भोजन की व्यवस्था करेंगे।

 

डा. राकेश कुमार IAS

1998 के शुरू में यह आयोजन हुआ, जिसमें लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं प्रख्यात समाजशास्त्री प्रो.एस.पी.नागेन्द्र मुख्य अतिथि के रूप में आये। जिलाधिकारी डा.राकेश कुमार ने जिले की तरफ से प्रो.नागेन्द्र का स्वागत किया। उन्होंने कहा, ‘ यह सम्मान समारोह प्रो.नागेन्द्र जैसे प्रख्यात समाजशास्त्री तथा जनपद का नाम रोशन करने वाले इन विद्वानों की उपस्थिति से न सिर्फ विशिष्ट हो गया है, बल्कि अविस्मरणीय रहेगा।’
प्रो.नागेन्द्र ने लगभग आधे घण्टे के अपने संबोधन में बहुत सारी बातों के साथ कहा, ‘ यह आयोजन श्रेष्ठ मेधा का आयोजन है, जो पहले कभी नहीं हुआ।’
दूर दूर से आये लोगों ने मुस्कुराते हुए एक दूसरे का परिचय जाना। सभी के चेहरों पर बहुत ही खुशी थी।
इस समारोह को याद कर आज भी बहुत खुशी होती है। महराजगंज के इतिहास में इसके पहले कभी कोई ऐसा कार्यक्रम नहीं हुआ था। बाहर से आने वाले अतिथियों को इस बात की खुशी हुई कि पहली बार उन्हें अपने क्षेत्र में जहां के वे निवासी हैं, इस प्रकार एक बड़े समारोह में सम्मानित किया जा रहा है।

सम्मान समारोह : जिलाधिकारी डा.राकेश मुख्य अतिथि प्रो.नागेन्द्र का स्वागत करते हुए

बाहर से 25 विशेष व्यक्ति इस सम्मेलन में सम्मिलित हुए, जिन्हें दिल से सम्मानित किया गया। इनके कुछ नाम जो याद आ रहे हैं, इस प्रकार हैं—
वैज्ञानिक — डा.शैलेन्द्र कुमार द्विवेदी, डा.रवीन्द्र नाथ द्विवेदी, डा.टी. के.श्रीवास्तव, पुलिस सेवा — त्रिपुरेश त्रिपाठी, मुरलीधर चौधरी, न्यायिक सेवा — घनश्याम पाण्डेय, कलीमुल्ला, प्रशासनिक सेवा — राकेश त्रिपाठी, के.एम.पांडेय, रवि प्रकाश चौधरी, शिक्षक — डा.राजेन्द्र सिंह, डा.वशिष्ठ मुनि, डा.करुणेश शुक्ल, डा.असहाब अली, डा.सी.एम.प्रसाद, डा.जनार्दन, डा.अमरनाथ शर्मा, डा.रमेश चन्द्र श्रीवास्तव, इंजीनियरिंग — अनिल कुमार अग्रवाल, अजय कुमार श्रीवास्तव, कुबेर नाथ पाण्डेय, भूपति यादव, गोपाल श्रीवास्तव, चिकित्सा — डा.चक्रपाणि पाण्डेय, डा.विनय कुमार श्रीवास्तव, डा.मनोज गुप्ता, सेना — रामसेवक, आलोक मिश्रा, अन्य अधिकारी — मदन मोहन अग्रवाल, फतेह मोहम्मद, डा.मोहन सिंह बिशेन, सुनीति सिंह, सुरेश चंद पाण्डेय, शिव कुमार पटेल, डा.रमेश श्रीवास्तव आदि। इनके अतिरिक्त गणेश शंकर विद्यार्थी स्मारक इंटर कालेज के पूर्व प्रधानाचार्य महेंद्र नाथ द्विवेदी और पूर्व खेल शिक्षक खदेरू प्रसाद को अश्रुपूरित नेत्रों से सम्मानित किया गया।

प्रधानाचार्य महेंद्र नाथ द्विवेदी

एक प्रधानाचार्य के रूप में द्विवेदी जी महराजगंज के लिए अविस्मरणीय हैं। चश्मा लगाये, धोती कुर्ता में वह देवतुल्य लगते थे। बाजार में उनकी बहुत ही इज्जत थी।
एक घटना याद आ रही है। मैं 1958 में कक्षा सात में पढ़ रहा था। उन्हीं दिनों एक सिंघल चिकित्सक यहां सरकारी अस्पताल में ट्रांसफर होकर आते। उनकी दो लड़कियां थीं, जिनका नाम कक्षा 9 और 11 में लिखा जाना था। लेकिन संबंधित अध्यापक ने यह कहकर उन दोनों का नाम लिखने से मना कर दिया कि यहां को-एजूकेशन नहीं है।
दोनों लड़कियां प्रधानाचार्य महेंद्र नाथ द्विवेदी के पास गयीं और अपनी समस्या बतायीं। द्विवेदी जी ने संबंधित अध्यापकों को बुलाया और कहा,’ इन दोनों लड़कियों का नाम लिखिए। आज से इस कालेज में को-एजुकेशन होगा। ‘ और फिर एक साल में ही कई लड़कियों के नाम इस कालेज में लिख गये।
इसी प्रकार खदेरू प्रसाद एक बहुत ही अनुशासित खेल/पीटी टीचर हुआ करते थे। चार बजे कालेज में छुट्टी होती और कुछ ही मिनट में खदेरू प्रसाद जी सीटी बजाते हुए खेल मैदान में आ जाते।

के एम अग्रवाल:

 +919453098922

क्रमशः 78

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