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आरोग्य भारती, विश्व आयुर्वेद मिशन एवं केंद्रीय संस्कृत विवि द्वारा प्रायोजित वैज्ञानिक संगोष्ठी

“आहार-अध्यात्म-आसन भारतीय स्वास्थ्य चिंतन के आधारभूत तत्व”

डॉ अशोक कुमार वार्ष्णेय

#सात्विक आहार से निर्मित यह शरीर जब आध्यात्मिक अनुशासन से परिपुष्ट होकर आसनों के अभ्यास से दृढ़ता को प्राप्त करता है । तभी सर्वांगीण स्वास्थ्य रूपी फल को प्राप्त कर वह आनंदपूर्वक निरामय जीवन व्यतीत करता है । “

ये उद्गार आरोग्य भारती, विश्व आयुर्वेद मिशन एवं केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा प्रायोजित वैज्ञानिक संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ अशोक कुमार वार्ष्णेय ने प्रकट किए ।

संगोष्ठी में आहार एवं आसन के द्वारा स्वस्थ जीवन शैली प्राप्त करने एवं स्वास्थ्य को बनाये रखने में अत्यधिक सारगर्भित एवं यथार्थ चर्चा हुई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. अशोक कुमार वार्ष्णेय, राष्ट्रीय संगठन सचिव, आरोग्य भारती ने स्वस्थ जीवन जीने के लिए योग आधारित जीवन शैली पर विशेष बल दिया।

अपने उद्बोधन में उन्होंने अपने सम्बोधन में उन्होंने स्वास्थ्य के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक पहलुओं के महत्व पर विस्तृत प्रकाश डाला । डॉ वार्ष्णेय ने बताया कि आरोग्य भारती का मूल उद्देश्य स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना है । इसके लिए अन्य प्रकल्पों के साथ-साथ स्वस्थ जीवनशैली का प्रचार प्रसार ही आरोग्य भारती की प्राथमिकता है ।

उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि आज देश के कोने कोने में आरोग्य भारती के कार्यकर्ता स्वस्थ एवं समर्थ भारत के महान उद्देश्य की पूर्ति हेतु कृत संकल्प हैं । उन्होंने केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय को इस प्रकार की वैज्ञानिक संगोष्ठियों द्वारा भारतीय ज्ञान परम्परा के स्वास्थ्य चिंतन को जन जन तक पहुँचाने के लिये बधाइयाँ दीं । संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि डॉ विवेक चतुर्वेदी ने महाकुंभ जैसे आस्था के महापर्व को भारतीय संस्कृति की वैश्विक स्वीकारोक्ति बताया ।

उन्होंने 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के जनसमूह को सुव्यवस्थित एवं नियंत्रित करना प्रदेश के मुख्यमंत्री के प्रत्यक्ष निर्देशन से ही संभव बताया । अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बताया कि महाकुंभ के प्रशासनिक दायित्व के निर्वहन के दौरान आस्था, विश्वास एवं अध्यात्म की जो झलक देखी वह अकल्पनीय एवं अविस्मरणीय है । आहार संयम, योग प्राणायाम एवं जप तप जैसे आध्यात्मिक आयामों का प्रत्यक्ष दर्शन महाकुंभ से अधिक और कहाँ मिल सकता है।

संगोष्ठी में विषय प्रवर्तन करते हुए विश्व आयुर्वेद मिशन के संस्थापक अध्यक्ष डॉ जी एस तोमर ने आहार को स्वास्थ्य एवं रोग दोनों के लिए आवश्यक बताया । ऋषि प्रणीत भारतीय ज्ञान दर्शन में आहार, अध्यात्म एवं आसन ऐसे उपादान हैं जिनके अनुपालन से व्यक्ति परम लक्ष्य की प्राप्ति कर सकता है । पाश्चात्य चिकित्सा विज्ञान केवल हमारे शरीर गत भौतिक कष्ट का निवारण कर सकता है वहीं आयुर्वेद समग्र स्वास्थ्य को देने वाला है । यह इहलोक ही नहीं पारलौकिक कष्ट का भी निवारण करने में सक्षम है । आयुर्वेद का एक पक्ष जहाँ शारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक स्वास्थ्य को देने वाला है वहीं आयुर्वेद का योग पक्ष मोक्ष का प्रवर्तक भी माना गया है । अत: हमें भारतीय ज्ञान परम्परा में समाहित आयुर्वेद रूपी अमृत का पान कर जीवन के परम लक्ष्य की ओर प्रवृत्त होना चाहिए ।

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में निदेशक डॉ ललित कुमार त्रिपाठी ने आध्यात्मिक पक्ष के बिना स्वास्थ्य को अधूरा बताया । आध्यात्मिकता हमारी परम्परा के कण कण में विद्यमान है । यह हमारी संस्कृति की विशेषता ही है कि हम सभी के सुख शांति एवं निरामय होने की प्रार्थना करते हैं । उन्होंने वर्तमान समय के सन्दर्भ में समन्वित चिकित्सा पद्धति को अपनाए जाने की आवश्यकता पर विशेष बल दिया। 

कार्यक्रम में अन्य विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज , प्रयागराज की पूर्व शोध अधिकारी डॉ शांति चौधरी ने पोषक तत्वों से भरपूर पारंपरिक आहार श्रृंखला को अपनाने का आह्वान किया । अपने उद्बोधन में उन्होंने “जैसा खाएँगे अन्न वैसा बनेगा मन” का उदाहरण देते हुए खान पान की शुद्धता को सुखी एवं स्वस्थ जीवन की रीढ़ बताया ।इस अवसर पर महाकुंभ में सेवा के उत्कृष्ट सम्पादन के लिए अपर मेला अधिकारी एडीएम डॉ विवेक चतुर्वेदी सहित डॉ अवनीश पाण्डेय, डॉ हेमन्त सिंह, डॉ कामता प्रसाद, डॉ सुनील वर्मा, डॉ माताशंकर दुबे एवं डॉ आशीष मौर्य को श्रद्धालुओं की अहर्निश चिकित्सा सेवा के लिए सम्मानित किया गया । इसके अलावा सेवा में सहयोग के लिये अंकुर सिंह, अरुण जायसवाल एवं आशीष शुक्ला को भी प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया । महाकुंभ में विश्व आयुर्वेद मिशन के शिविर की उत्कृष्ट व्यवस्था हेतु अनुराग अस्थाना को भी सम्मानित किया गया । संगोष्ठी के प्रारम्भ में डॉ. अपराजिता मिश्रा ने अतिथियों का स्वागत किया । धन्यवाद ज्ञापन डॉ अवनीश पाण्डेय ने किया ।

कार्यक्रम का संचालन श्री अंकित मिश्र ने किया । कार्यक्रम के आयोजन में प्रवेक कल्प के योगदान की सराहना की गई जिनके सौजन्य से यह दुर्लभ संगोष्ठी आयोजित की जा सकी। संगोष्ठी में प्रो. मनोज कुमार मिश्र, प्रो. देवदत्त सरोदे, प्रो. रामकृष्ण पाण्डेय, डॉ. सुरेश पाण्डेय, डॉ. मनीष जुगरान, डॉ. अंजनी कुमार पुण्डरीक, श्री राजेश कान्त तिवारी, श्री संजय कुमार मिश्र समेत परिसरीय समस्त कर्मचारी, अधिकारी एवं छात्र-छात्राएँ समुपस्थित रहे।

   राजेशकान्त तिवारी

          परिसर मीडिया प्रभारी

         गंगानाथ झा परिसर, प्रयागराज

         केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय।

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