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निःस्वार्थ समाज व राष्ट्र सेवा का संस्कार शाखाओं में मिलता है

संघ का सेवा प्रकल्प


डॉ दिलीप अग्निहोत्री

आरएसएस के स्वयंसेवक हमेशा की तरह जरूरतमंदों की सेवा में सक्रिय हो गए है। उनका अभियान पूरे देश में संचालित हो रहा है। स्थानीय स्तर पर परस्पर समन्वय के साथ भूखे लोगों के भोजन की व्यवस्था की जा रही है। इसके अलावा स्वयं सेवक राहत कार्यों में अन्य प्रकार से भी सहयोग कर रहे है।

पहले भी संघ के स्वयं सेवक आपदा काल में सेवा हेतु सबसे पहले पहुंचने वालों में शामिल रहे है। यहां तक कि चीन व पाकिस्तान के आक्रमण के समय स्वयं सेवकों ने आंतरिक व्यवस्था के सुचारू संचालन में उल्लेखनीय योगदान दिया था। इससे प्रभावित होकर 1962 व 1965 युद्ध के बाद हुए गणतंत्र दिवस पर राजपथ की मुख्य परेड में स्वयं सेवकों को भी आमंत्रित किया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने उस समय के सरसंघ चालक श्री गुरु जी से पूछा था कि आप ऐसे निःस्वार्थ सेवा भाव की प्रेरणा किस प्रकार देते है।

श्री गुरु जी ने हंस कर कहा था कि इसके लिए स्वयं सेवकों को शाखाओं में अनेक खेल कराए जाते है। उनके कहने का मतलब यह था कि निःस्वार्थ समाज व राष्ट्र सेवा का संस्कार शाखाओं में मिलता है। इसी के चलते स्वयं सेवक आपदा पीड़ितों की सहायता के लिए निकल पड़ते है।

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