Home / Slider / *भव्य अयोध्या हुई मर्यादित*: चंद्रकिशोर शर्मा

*भव्य अयोध्या हुई मर्यादित*: चंद्रकिशोर शर्मा

अयोध्या से 

वरिष्ठ पत्रकार चन्द्र किशोर शर्मा की रिपोर्ट

जय सिया राम…जय श्री राम..

*जन्मभूमि मम पूरी सुहावन..उत्तर दिश बह सरजू पावन”*

अयोध्या (उत्तर प्रदेश)।

यूं तो अयोध्या की महत्वता और मर्यादा बहुत है, परंतु आज जो अयोध्या में भव्यता देखने को मिली, उससे लगता है आज अयोध्या अपार मर्यादित हुई है।

जैसे मानो कि अयोध्या में त्रेता युग का संचार हो रहा हो। राममयी अयोध्या संज संवर कर आज के दिन का इंतजार कर रही हो। देश ही नहीं अपितु पूरे विश्व के मर्यादित संतो के बीच भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर भाई मोदी ने भूमि पूजन अभिजीत मुहूर्त में कर देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में आज संदेश भी दिया कि राम राज हमें जीना एवं मरना कैसे सिखाता है। उन सभ्यताओं पर भी मोदी जी ने आज के कार्यक्रम में विस्तार से चर्चा भी की। कश्मीर से कन्याकुमारी तक, वाराणसी से सोमनाथ तक, पूरे हिंदुस्तान के लोग आज के इस कार्यक्रम से
हर्षो उल्लासित है।


पूरे देश में आनंद की लहर है, तो वही आज का यह दिन सत्य,अहिंसा, आस्था और बलिदान को न्याय प्रिय भारत की अनुपम भेंट है। इस मर्यादा का अनुभव हमने तब भी कर लिया था जब सर्वोच्च न्यायालय ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया था।


ठीक उसी तरह राम का चरित्र सबसे अधिक जिस केंद्र बिंदु पर घूमता है वह है सत्य पर अडिग रहना। इसीलिए तो श्री राम संपूर्ण। तो वही भगवान श्री राम ने अपने सामाजिक समरसता को अपने राज्य में शासन की आधार शिला बनाया था। उन्होंने गुरु वशिष्ठ से ज्ञान, केवट से प्रेम, शबरी से मातृत्व, हनुमान जी एवं वनवासी बंधुओं से सहयोग और प्रजा से विश्वास प्राप्त किया। यहां तक एक गिलहरी से उसकी महत्ता को भी स्वीकार किया। उनका अद्भुत व्यक्तित्व, उनकी वीरता, उनकी उदारता, उनकी सत्यनिष्ठा, उनकी निर्भीकता, उनका धैर्य, उनकी दृढ़ता, उनकी दार्शनिक दृष्टि युगो युगो तक प्रेरित करते रहेंगे। राम प्रजा से एक समान प्रेम करते हैं लेकिन गरीबों और दिन- दुखियों पर उनकी विशेष कृपा बनी रहती है।

“नहीं दरिद॔ कोऊ दुखी न दीना
नहीं कोऊ अबुध न लक्षन हिना”
राम प्रजा से समान प्रेम करते हैं जीवन का ऐसा कोई पहलू नहीं है, जहां हमारे राम प्रेरणा ना देते हो। भारत की ऐसी कोई भावना नहीं जिसमें प्रभु राम झलकते ना हो। यहां के आदर्शों में राम, यहां की आस्था में राम और यहां की दिव्यता में राम ही राम है। यही भारत की आस्था है।
परंतु मोदी जी ने यहां एक और हनुमान जी द्वारा कही गई दोहा को भी दोहराया… “राम काज किन्हें बिनू मोहि कहां विश्राम”..
उनका इशारा और कहना यह था कि भारत में जहां जा राम जी का पदार्पण हुआ है वहां वहां राम कारीडोर का भव्य निर्माण कराया जाएगा। हमें तो समय के साथ श्रीराम चलना सिखाते हैं कर्तव्य पालन की सीख भी कराते हैं। आज की कोरोना परिवेश पर भी मोदी जी ने कहा कि वर्तमान की मर्यादा है 2 गज की दूरी और मास्क जरूरी।


तो वही श्री मोदी ने जन्म स्थान पर परिजात वृक्ष का वृक्षारोपण भी किया जिसकी आयु हजार वर्ष से ऊपर की होती है। इसका भी एक संदेश मोदी ने दिया। एक और बात जैसा की अयोध्या का शाब्दिक अर्थ है, जो कभी किसी योद्धा द्वारा जीता ना जा सके, उसी शब्द को आज यथार्थ रूप में 135 करोड़ देश की जनता के भावनाओं ने सिद्ध कर दिया।

Check Also

NSS का सात दिवसीय विशेष शिविर का शुभारंभ विज्ञान संकाय के गणित विभाग में

प्रयागराज,  18 मार्च 2025. इलाहाबाद विश्वविद्यालय परिसर, राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई संख्या 5 एवं 10 का ...