प्रयागराज।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की समर्पित कार्यकर्ता व भारतीय जनता पार्टी की लोकप्रिय नेता श्रीमती शैलतनया श्रीवास्तव का रविवार की रात निधन हो गया। कोरॉना पॉजिटिव होने पर 27 दिसम्बर को उन्हें स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
Corona report नेगेटिव आने पर उन्हें अस्पताल के पोस्ट कोविद वार्ड में रखा गया था जहां उन्हें निमोनिया हो गया था। रविवार की रात अस्पताल में ही उनका निधन हो गया।
वह भारतीय जनता पार्टी की महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। उनके पति श्री केके श्रीवास्तव पी डब्लू डी के सेवानिवृत्त अभियंता हैं। उनकी पुत्री और दामाद इस समय देश में नहीं है, स्वीडन में हैं। पिछले दिनों भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री स्वतंत्र देव सिंह उनके घर उनसे मिलने आए थे। उनकी बहन श्रीमती कल्पना सहाय पत्रकार कॉलोनी में रहती हैं।
“दीदी शैलतनया श्रीवास्तव का असमय जाना सिर से एक वरिष्ठ आत्मीय का हाथ उठ जाना है। एक सुरक्षा कवच का हट जाना है।
वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ऐसी समर्पित कार्यकर्ता थीं कि उन्हें प्रयागराज में संघ के अनेक नए कामों के प्रारंभ करने में सहयोगी बनने का सौभाग्य मिला। परिवार से ही संघ संस्कारों से पोषित दीदी इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में पढ़ते हुए विद्यार्थी परिषद को जमाया तो उन्हीं दिनों राष्ट्र सेविका समिति की प्रयागराज इकाई के गठन का दायित्व संभाला। प्रयागराज के पहले सरस्वती शिशु मंदिर की प्रथम शिक्षिका बन कर विद्या भारती के कार्यों को मजबूती दी। साहित्य परिषद की प्रयागराज में इकाई गठित कराकर वह उसकी अध्यक्ष बनीं तो संस्कार भारती प्रयागराज की संरक्षिका बनाईं गईं।
भारतीय जनता पार्टी में काम करने लगीं तो भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश भाजपा की मंत्री और कार्यकारिणी सदस्य रहकर भाजपा को मजबूत किया। अटल बिहारी वाजपेई, सुषमा स्वराज, केशरी नाथ त्रिपाठी, वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ गोविंद से उनके नजदीकी संबंध थे।
हर साल गरीबों को ठंड में कम्बल बांटना, कोरोना काल में भोजन और काढ़ा बांटना उनकी दिनचर्या थी। उनके इसी लंबे सामाजिक, राजनीतिक कार्यों को देखते हुए उन्हें पिछले दिनों भारत सरकार के भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) का मानद सदस्य और उत्तर प्रदेश सरकार की हिन्दुस्तानी एकेडमी का सदस्य बनाया गया।
शैल दीदी रंगमंच की उस समय की रंगकर्मी थीं, जब नाटकों में महिला अभिनेत्रियों का अकाल था। वह आकाशवाणी की बी हाई कलाकार भी थीं। उत्तर भारत की लोक संस्कृति पर थाती नाम की उनकी पुस्तक हाल में ही प्रकाशित हो काफी चर्चित हुई। इसके पहले उनके दो कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। दीदी, नम आंखों से आपको श्रद्धांजलि।”
डॉ प्रदीप भटनागर