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उत्तर प्रदेश में अरबों-खरबों रुपये का स्टेट लैंड घोटाला

10 रुपये से लेकर 100 रुपये के स्टाम्प पर होती है खरीद और बिक्री। पूरा कछारी इलाका अवैध निर्माण से पटा।

वरिष्ठ पत्रकार जे.पी.सिंह की कलम से

पूरे प्रदेश का स्टेट लैंड घोटाला अरबों-खरबों रुपये का है जो वोट की राजनीति और भ्रष्ट शासन की नाजायज औलाद बनकर फलफूल रहा है। स्टेट लैंड की रजिस्ट्री नहीं हो सकती। इसके बावजूद चाहे प्रयागराज हो या उत्तर प्रदेश का कोई अन्य शहर स्टेट लैंड की लाखों एकड़ भूमि को भूमाफिया ने 10 रुपये से लेकर 100 रुपये के स्टाम्प पर लोगों को बेच दिया है। यह काम वर्षों से किया जा रहा है लेकिन कोई भी सरकार इसे रोक पाने में असमर्थ रही है।

लोगों ने प्रयागराज विकास प्राधिकरण सहित कई शहरों के प्राधिकरणों के भ्रष्ट आला अधिकारीयों, प्रवर्तन दलों और जोनल अधिकारियों को रिश्वतें खिलाकर बहुमंजिले भवन ,मॉल ,शौपिंग काम्प्लेक्स ,स्कूल,कालेज, नर्सिंग होम और विवाह घर बनवा लिए हैं,जिनकी संख्या लाखों में है । भू माफियाओं ने गंगा और यमुना के कछारी इलाकों को भी नहीं छोड़ा है ।

केवल प्रयागराज में गंगा,यमुना और ससुर खदेरी नदी के कछार में लाखों अवैध निर्माण 10 रूपये से लेकर 100 रूपये के स्टाम्प पर जमीन खरीदकर और प्राधिकरण के अफसरों को रिश्वत खिलाकर किये जा चुके हैं । बाद में वोट की राजनीति के चलते इनमें सडकें गलियां बिजली की व्यवस्था,नगर निगम में सुविधा शुल्क के बल पर हॉउस टैक्स ,वाटर टैक्स ,राशन कार्ड अदि सब कुछ वैधानिक हो जाता है।

दरअसल स्टेट लैंड को न बेचा जा सकता है न खरीदा जा सकता है। 10 रूपये से लेकर 100 रूपये के स्टाम्प पर इसकी खरीद और बिक्री पूरी तरह गैर क़ानूनी है। इससे सरकारी खजाने को करोड़ों का चूना लग रहा है। इसके बाद भवन मानचित्र न स्वीकृत होने से भी सरकारी राजस्व की भरी हानि हो रही है।इस गडबडघोटाले की जिम्मेदारी जहां प्रयागराज विकास प्राधिकरण और नगरनिगम की है वहीं जिलाधिकारी और मंडलायुक्त के साथ प्रदेश के राजस्व विभाग की भी है। आज तक प्रभावित क्षेत्रों में न तो कोई सर्वे किया गया है न ही भौतिक सत्यापन ,क्योंकि यदि स्टेट लैंड पर बने निर्माणों का अभिलेख माँगा जाय तो कोई भी रजिस्ट्री का पक्का कागज़ नहीं दिखा पायेगा।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय में विचाराधीन जनहित याचिका सं0 4003/2006 के आदेश दिनांक 22.अप्रैल 2011 के द्वारा गंगा-यमुना के तटीय एवं कछारी कृषि उपयोग भूमि व स्टेट लैण्ड भूमि व सिलिंग भूमि पर किसी भी प्रकार के निर्माणों पर पूर्णतः रोक लगायी गयी है। इन क्षेत्रों को बाढ़ग्रस्त क्षेत्र भी घोषित किया गया है तथा घोषित बाढ़ग्रस्त क्षेत्र के आगे 500 मीटर के क्षेत्र को उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा एच0एफ0एल0 (हाई फ्लड लेवल) में घोषित किया गया है। परन्तु इसके विपरीत विकास प्राधिकरण में नियुक्त एवं क्षेत्र में तैनात सुपरवाइजर, अवर अभियन्ता, भवन निरीक्षक, सहायक अभियन्ता, जोनल अधिकारी व प्राधिकरण के उच्च अधिकारियों द्वारा घोषित बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में यानी प्रयागराज के गंगा व यमुना के तटीय क्षेत्रों में चारो तरफ भू-माफियाओं से मिलकर भारी पैमाने पर अवैध कब्जा कराकर अवैध कालोनी, अवैध प्लाटिंग, बहुमंजिले लॉज, बहुमंजिले भवनों, बहुमंजिले फ्लैटों आदि का निर्माण करा दिया गया है।इन अवैध निर्माणों की संख्या लाखों में है । वर्तमान में भी इन सभी तटीय व घोषित बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में सैकड़ों अवैध निर्माण जारी है।इनमें से अधिकांश भूमि स्टेटलैंड है क्योंकि यदि भूमिधरीमालिकाना होता तो इनकी बाकायदा रजिस्ट्री हो जाती लेकिन 10 रूपये से लेकर 100 रूपये के स्टाम्प पर ये जमीने बेचीं खरीदी गयी हैं।

प्रयागराज विकास प्राधिकरण व नियोजन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा जोनल डेवलपमेन्ट प्लान 2021 व महायोजना 2021 में गंगा व यमुना के तटीय कछारी, कृषि उपयोग भूमि को मानचित्र में खुला मैदान षडयंत्र के तहत दर्शाया गया है । इन क्षेत्रों में गंगा तटीय क्षेत्र, छोटा बघाड़ा, बड़ा बघाड़ा, सलोरी, गंगा नगर, द्रौपदी घाट, रसूलाबाद कछार, मेंहदौरी कछार, बेली कछार, नया पुरा कछार, राजापुर कछार, स्टैनली रोड ब्लड बैंक के बगल से पश्चिम की ओर स्टैनली रोड से 200 मीटर बाद गंगा-तटीय कछारी क्षेत्र में व नेवादा कछार, मऊ सरैयां कछार, पत्रकार कालोनी के बाद कछारी क्षेत्र, झॅंूसी के हवेलिया, छतनाग जैसे कई कछारी क्षेत्र आदि है। इसी प्रकार यमुना के तटीय कछारी क्षेत्र में करैलाबाग, बक्शी, बक्शी मोढ़ा, महेवा कछार, गंगोत्रीनगर कछार, करामत की चौकी कछार, ससुर खदेरी नदी के कछार आदि के क्षेत्रों में अवैध निर्माणों के परिणामस्वरूप पूरे प्रयागराज की आधार-भूत संरचना (इन्फ्रास्ट्रक्चर) ध्वस्त व छिन्न-भिन्न कर दी गयी है।

गंगा यमुना के तटीय व बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में हो गये लाखों की संख्या में अवैध निर्माणों के परिणामस्वरूप प्रयागराज की आधार-भूत संरचना (इन्फ्रास्ट्रक्चर) पूर्णतः छिन्न-भिन्न हो गयी है, जिसके अन्तर्गत प्रयागराज नगर का यातायात, ड्रेनेज सिस्टम, सिवरेज सिस्टम, जल आपूर्ति सिस्टम, विद्युतीकरण प्रणाली सिस्टम आदि पूर्णतः ध्वस्त हो गयी है। गंगा एवं यमुना में सीवर का दूषित जल गन्दे नालों के जरिये सीधे मिलाया जा रहा है।

इस अवैध निर्माण के लिए विगत 20 वर्षों से तैनात प्रयागराज विकास प्राधिकरण में तैनात होते आ रहे उपाध्यक्ष विकास प्राधिकरण, सचिव, अपर सचिव, जोनल अधिकारी, प्रभारी अधिकारी, प्रवर्तन दल प्रभारी, अवर अभियन्ता, भवन निरीक्षक, सहायक अभियन्ता क्षेत्र में तैनात सुपरवाइजर पूर्णतः दोषी है। आज तक इन भ्रष्ट अधिकारियों व अभियन्ताओं एवं लिपिकों के विरूद्ध उ0प्र0 नगर नियोजन और विकास अधिनियम 1973 की धारा 26(घ) के अन्तर्गत किये गये अपराधों की कोई कार्यवाही नही की गयी और न ही इन विकास प्राधिकरण में तैनात इन दोषियों के विरूद्ध एफ0आई0आर0 की गयी और न इन धाराओं में दोषी अधिकारियों, अभियन्ताओं व कर्मचारियों को कोई दण्ड दिया गया और न ही इन भ्रष्ट अधिकारियों के विरूद्ध भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत इनकी चल अचल सम्पत्तियों की जांच की गयी जबकि इन भ्रष्ट अधिकारियों, अभियन्ताओं व कर्मचारियों के पास करोड़ों व अरबों रूपयों की चल अचल सम्पत्ति नामी व बेनामी मौजूद है। आज भी प्रयागराज विकास प्राधिकरण व प्रयागराज प्रशासन में बैठे भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा सुनियोजित संगठित भ्रष्टाचार भारी पैमाने पर किया जा रहा है।

केंद्र सरकार के मुताबिक देश की करीब 13 हजार वर्ग किमी वन भूमि पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा है। कुछ ऐसे ही दावे राज्य सरकारों के भी हैं। राज्य सरकारें जमीनों पर अतिक्रमण के तमाम मामले में खिन वोट की राजनीति के चलते तो खिन धर्म की राजनीति के चलते तो कहीं सिस्टम में भ्रष्टाचार के चलते भू माफियाओं के सामने समर्पण कर दिया है जिन्होंने न केवल साफ-साफ अतिक्रमण,अवैध कब्जा और अवैध निर्माण कर रखा है बल्कि 10 रूपये से लेकर 100 रूपये के स्टाम्प पर हजारों एकड़ स्टेटलैंड बेच दिया है ,बेच रहे हैं।

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