अरुण शेेेखर ‘कपूर&सन्स’ की विरासत को तुमने खूब संभाला अपने ‘मुल्क’ से बहुत मोहब्बत थी उसके ‘कर्ज़’ को उतार दिया तुम्हें ‘बॉबी’ का प्रेमरोग लगा फिर ‘खेल खेल में’ तुमने कई ‘प्रेमग्रंथ’ लिखे सबको अपना ‘दीवाना’ बना दिया पर खुद नीतू के दीवाने हुए और उसे लेकर ‘रफ़्फ़ु चक्कर’ हो ...
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